हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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जयराम विद्यापीठ में निरंतर चल रहा है सामूहिक गीता पाठ एवं गीता यज्ञ अनुष्ठान।
कुरुक्षेत्र, 6 दिसम्बर : ब्रह्मसरोवर के तट पर श्री जयराम विद्यापीठ में जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी की प्रेरणा से जयराम संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य प. रणबीर भारद्वाज एवं आचार्य प. राजेश प्रसाद लेखवार शास्त्री के मार्गदर्शन में 51 विद्वान ब्राह्मणों एवं ब्रह्मचारियों द्वारा निरंतर सामूहिक गीता पाठ तथा मंत्रोच्चारण के साथ गीता यज्ञ अनुष्ठान किया जा रहा है। परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी ने संदेश में कहा कि गीता श्रवण एवं गीता यज्ञ अनुष्ठान में शामिल होने का अवसर परमात्मा की कृपा से भाग्यशाली प्राणियों को मिलता है। भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं कहा है कि गीता मेरा हृदय है। गीता मेरा उत्तम सार है। गीता मेरा अति उग्र ज्ञान है। गीता मेरा अविनाशी ज्ञान है। गीता मेरा श्रेष्ठ निवासस्थान है। गीता मेरा परम पद है। गीता मेरा परम रहस्य है। गीता मेरा परम गुरु है। ब्रह्मचारी ने कहा कि गीता ही इस सृष्टि का श्रेष्ठ ग्रंथ है क्योंकि गीता वह वाणी है जो अपने आप श्री विष्णु भगवान स्वरूप श्री कृष्ण के मुख कमल से निकली हुई है। इस लिए हर प्राणी को गीता अच्छी तरह कंठस्थ करना चाहिए। उन्होंने कहाकि गीता रूपी अदभुत ग्रन्थ के 18 अध्यायों में इतना सारा सत्य, इतना सारा ज्ञान और इतने सारे उच्च, गंभीर और सात्त्विक विचार भरे हुए हैं कि यह मनुष्य को निम्न-से-निम्न दशा में से उठा कर देवता के स्थान पर बिठाने की शक्ति रखते हैं। वे पुरुष तथा स्त्रियाँ बहुत भाग्यशाली हैं जिनको इस संसार के अन्धकार से भरे हुए सँकरे मार्गों में प्रकाश देने वाला यह छोटा-सा लेकिन अखूट तेल से भरा हुआ धर्मप्रदीप प्राप्त हुआ है। इस अवसर पर श्रवण गुप्ता, के के कौशिक, राजेंद्र सिंघल, राजेश सिंगला, टेक सिंह, एस एन गुप्ता, सतबीर कौशिक, रोहित कौशिक, हरिद्वार से प. जयपाल शर्मा इत्यादि भी मौजूद थे।
जयराम विद्यापीठ में गीता जयंती महोत्सव के अवसर पर सामूहिक पाठ करते हुए ब्राह्मण एवं ब्रह्मचारी।