श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय ने बनाया पढ़ाई, सिखलाई और कमाई का मॉडल

श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय ने बनाया पढ़ाई, सिखलाई और कमाई का मॉडल।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

अनुभव को मान्यता देकर डिग्री और डिप्लोमा देने की पहली बार हुई शुरुआत।

चंडीगढ़ : श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय ने
पढ़ाई के साथ-साथ कमाई करने और युवाओं को इंडस्ट्री के साथ जोड़ने का मॉडल विकसित किया है। बेरोजगारी के दौर में यह मॉडल काफी मुफीद साबित हो रहा है। देश की लगभग डेढ़ सौ इंडस्ट्री इस विश्वविद्यालय के साथ जुड़ चुकी हैं। नतीजतन 70 फीसदी से भी ज्यादा युवाओं की प्लेसमेंट हो चुकी है।
विदेशों में रोजगार के लिए भी युवाओं को तैयार किया जा रहा है।
श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय ने नई शिक्षा नीति में कौशल लागू करने का मॉडल तैयार किया है। कौशल विवि अनुभवी कामगारों और पेशेवरों को डिग्री देने की दिशा में भी एक महत्वकांक्षी मॉडल विकसित के चुका गई। उन्हें प्रोफेशनल डिग्री भी दी जा रही है। शिक्षा में कौशल लागू होने से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है और उन्नति में बदलाव आएगा।
श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राज नेहरू का कहना है कि कौशल से स्वरोजगार को बढ़वा मिल रहा है। कौशल मिशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन है, इस विज को पूरा करने में कौशल विश्वविद्यालय अहम भूमिका निभा रहा है। कौशल से रोजगार को बढ़ावा मिल ही रहा है साथ ही परंपरागत उद्योगों को कुशल कर्मी भी मिल रहे हैं। कौशल विश्वविद्यालय देश का पहला विवि है, जहां पर युवाओं को पढ़ाई के साथ कौशल में पारंगत किया जा रहा है।
पढ़ाई के साथ कमाई कर रहे युवा।
कौशल विवि कुलपति डॉ. राज नेहरू का कहना है कि विश्वविद्यालय ने युवाओं के लिए पढ़ाई के साथ कमाई का एकीकृत कार्यक्रम तैयार किया है। युवा सीधे उद्योगों के साथ जुड़कर न केवल अपनी स्कीलिंग को मजबूत कर रहे हैं, साथ ही नई तकनीकों से भी रूबरू हो रहे हैं। नई तकनीकों के साथ जुड़ने से युवाओं की स्कीलिंग में भी निखार आ रहा है। श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय स्किलिंग के साथ-साथ अप, रिस्किलिंग और क्रॉस स्किलिंग पर भी काम कर रहा है। विश्वविद्यालय ने सीखो कमाओ और अपनी पहचान बनाओ करना था दिया है। इसके अंतर्गत विद्यार्थियों को ऑन द जॉब ट्रेनिंग कराई जाती है। विश्वविद्यालय के इंडस्ट्री पार्टनर ट्रेनिंग करवाते हैं और विद्यार्थी इंडस्ट्री में आ रहे नए बदलावों को सीखते हैं। इस दौरान उन्हें सम्मानजनक मानदेय भी दिया जाता है यानी विद्यार्थी पढ़ाई के साथ-साथ कमाई भी कर रहे हैं।
अनुभवी को दी जा रही है प्रोफेशनल डिग्री
कौशल विश्वविद्यालय देश का पहला ऐसा विवि है, जहां पर अनुभवी हुनरमंदों को प्रोफेनशल डिग्री दी जा रही है। फिलहाल विवि के साथ 22 अनुभवी हुनरमंद कोर्स कर रहे हैं, जिन्हें बी-वॉक की डिग्री दी जाएगी। शैक्षणिक योग्यता पूरी होते ही उनके लिए पदोन्नति के दरवाजे भी खुल जाएंगे। बी-वॉक में 57 वर्षीय व्यक्ति भी कोर्स कर रहा है। श्री विश्वकर्मा कौशल विद्यालय के कुलपति डॉ आज नेहरू ने बताया कि इस मॉडल को रिकॉग्निशन ऑफ प्रायर लर्निंग (आरपीएल) का नाम दिया गया है। जिन लोगों के पास अनुभव है लेकिन डिग्री नहीं है उनके पुराने अनुभव को आधार बनाकर उन्हें कोर्स करवाने की परंपरा शुरू की गई है इससे देश का ग्रॉस इनरोलमेंट रेशो (जीईआर) भी बढ़ सकता है।
प्रोफेशन कोर्सों में युवाओं का रुझान।
कुलपति डॉ. राज नेहरू का कहना है कि प्रोफेशन कोर्सों में युवाओं का रुझान है। विश्वविद्यालय के कोर्सों में 100 प्रतिशत कौशल होता है। पढ़ाई के साथ कौशल से ही उनके लिए रोजगार और आजीविका का नया रास्ता बनता है। युवा न केवल आजीविका अर्जित करते हैं, बल्कि स्वरोजगार की तरफ भी कदम बढ़ाते हैं। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने कहा कि यदि हमें वैश्विक स्तर पर स्पर्धा में आगे निकलना है तो अपनी अगली पीढ़ी को कौशल देना होगा। यदि हमारे बच्चे कौशल शिक्षा के साथ जुड़ेंगे तो यह देश के विकास की दिशा में सार्थक कदम होगा। इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, इंडस्ट्री में अन्वेषण और उत्पादकता की गुणवत्ता बढ़ेगी।
जापान के लिए तैयार हो रहे विद्यार्थी।
श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय ने जापानी, जर्मन और अंग्रेजी के विशेष कोर्स तैयार किए गए हैं। जापान में लोगों की बढ़ती उम्र और युवाओं की घटती आबादी को देखते हुए वहां एल्डर केयर में रोजगार की काफी संभावनाएं हैं। इसी के अनुरूप मंत्रालय की संस्तुति पर विश्वविद्यालय ने ऐसा कोर्स तैयार किया है। जिसको पूरा करने के बाद विद्यार्थी जापान में भी रोजगार के अवसरों का फायदा उठा सकते हैं जापानी कोर्स करने में विद्यार्थी काफी दिलचस्पी दिखा रहे हैं।

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