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वृन्दावन : जगन्नाथ घाट स्थित श्रीजगन्नाथ मंदिर में चल रही सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन व्यासपीठ से आचार्य पीठाधीश्वर स्वामी यदुनन्दनाचार्य महाराज ने अपनी सुमधुर वाणी में सभी भक्तों- श्रद्धालुओं को सुदामा चरित्र, भगवान के बैकुंठ गमन एवं परीक्षित मोक्ष की कथा श्रवण कराई।
आचार्य पीठाधीश्वर स्वामी यदुनन्दनाचार्य महाराज ने कहा कि महर्षि वेदव्यास महाराज द्वारा रचित श्रीमद्भागवत महापुराण कोई साधारण ग्रन्थ नही है, बल्कि स्वयं अखिल कोटि ब्रह्माण्ड नायक परब्रह्म परमेश्वर भगवान श्रीकृष्ण का वांग्मय स्वरूप है। इसका आश्रय लेने वाले व्यक्ति के तीनों तापों का नाश हो जाता है। साथ ही उसे प्रभु की दुर्लभ भक्ति प्राप्त होती है।
श्रीजगन्नाथ पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञान प्रकाश पुरी महाराज ने कहा कि गोलोकवासी महामंडलेश्वर स्वामी ईश्वरपुरी महाराज द्वारा संस्थापित श्रीजगन्नाथ मंदिर श्रीधाम वृन्दावन का अति प्राचीन एवं प्रसिद्ध स्थल है।यहां प्रतिवर्ष श्रीजगन्नाथ रथयात्रा महोत्सव अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी एवं जगन्नाथ मंदिर के युवराज नील माधव शर्मा ने कहा कि प्राचीन भारतीय वैदिक सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए ऐसे उत्सव मनाए जाने चाहिए। इसी से सनातन संस्कृति पल्लवित व पोषित होती है।
इससे पूर्व भव्य फूलों की होली खेली गई। जिसमें लुधियाना (पंजाब) से आए सैकड़ों भक्तों-श्रद्धालुओं ने संगीत की मृदुल स्वर लहरियों के मध्य होली के भजनों पर जमकर नृत्य किया।
इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, आचार्य पीठ के युवराज वेदान्त आचार्य, स्वामी श्रीरामसुदर्शनाचार्य महाराज, कन्हैया लाल बृजवासी, डॉ. राधाकांत शर्मा, अशोक, वैष्णव आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञान प्रकाश पुरी महाराज ने बताया कि 7 जुलाई को अपराह्न 4 बजे से श्रीजगन्नाथ मंदिर से जगन्नाथ भगवान की रथ यात्रा समूचे नगर में गाजे-बाजे के मध्य अत्यंत श्रद्धा और धूमधाम से निकाली जाएगी। साथ ही ठाकुरजी का भव्य फूल बंगला सजाया जाएगा।इसके अलावा उनको 56 भोग भी निवेदित किए जायेंगे।
8 जुलाई को संत, ब्रजवासी, वैष्णव सेवा एवं वृहद भंडारा आदि के आयोजन संपन्न होंगे।