कठिन परिश्रम व रियाज़ में निरंतरता से ही होगा कौशल विकास : प्रोफेसर यशपाल

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 94161-91877

कुवि के संगीत एवं नृत्य विभाग में चल रही कार्यशाला का छठा दिन सम्पन्न।

कुरुक्षेत्र, 4 अगस्त :- कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के संगीत एवं नृत्य विभाग द्वारा विगत छः दिनों से पेशेवर कलाकारों व संगीत के विद्यार्थियों हेतु आठ दिवसीय कौशल विकास कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। बुधवार को कार्यशाला के छठे दिन कथक नृत्य की प्रसिद्ध कलाकार व गुरु डॉ शुभ्रा अरोडा ने शिव परन का मर्म समझते हुए इसका प्रशिक्षण दिया।
उन्होंने बताया कि इसमें वीर , रौद्र तथा भक्ति रस का समावेश होता है । अपने इस परन का मर्म समझाते हुए बताया कि जो रौद्र है, परिपक्व व साहसी है, श्रेष्ठ है अजन्मा है तथा सूर्य के समान प्रकाशमान है, ऐसे भगवती के पति भगवान शिव को मेरा प्रणाम है। उन्होंने लय के विषय में बताते हुए लय के विभिन्न प्रकारों पर भी प्रकाश डाला।
कार्यशाला के द्वितीय कालांश में पंडित हरविंदर शर्मा ने अपना व्याख्यान देते हुए इमदाद खानी घराने द्वारा किये जाने वाले आलाप के ढंग पर प्रशिक्षण को आगे बढ़ाते हुए जोड़ आलाप की जानकारी विशेष प्रकार से दी। जोड़ आलाप में किस प्रकार जोड़े की तार को छेड़कर विभिन्न प्रकार की शैलियों को किस प्रकार सितार पर दर्शाया जाता है और राग चारुकेशी के माध्यम से संपूर्ण आलाप की जानकारी दी। राग चारुकेशी पर आधारित फिल्मी गीत -’श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम’ ..की प्रस्तुति पर सभी का मन मोह लिया। उन्होंने इसके साथ साथ राग में फिल्मी संगीत में ताल का प्रयोग किस प्रकार किया जाता है की भी जानकारी दी । कार्यशाला के प्रातः कालीन सत्र के तृतीय कालांश में तबला विषय के विषय विशेषज्ञ डॉ. राहुल स्वर्णकार ने तबला संगति के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डाला। गायन वादन तथा नृत्य में तबला संगति की बारीकियों को समझाया।
कार्यशाला के मध्याह्न सत्र के प्रथम कालांश में प्रोफेसर यशपाल नें राग भैरव, भैरव रागांग तथा भैरव के विभिन्न प्रकारों जैसे कलिंगड़ा, गौरी, गुनकली, जोगिया, बैरागी, मंगल भैरव, बसंत मुखारी, इत्यादि के विषय में भी प्रतिभागियों के ज्ञान में वृद्धि की और भैरव तथा उस के निकटवर्ती रागों की विशेष बातों को भी स्पष्ट किया ।
इस कालांश के पश्चात साउंड रिकॉर्डिंग के कालांश में डॉ. रवि गौतम ने ऑडियो मिक्सिंग विषय पर विस्तृत चर्चा की तथा बताया कि किस प्रकार किसी प्रोजेक्ट में अलग अलग ध्वनियों तथा आवाज़ों का वॉल्यूम निर्धारित किया जाए व किस प्रकार से उस में उचित इफेक्ट्स का प्रयोग कर के हम सम्पूर्ण गीत अतना किसी रचना इत्यादि को सुंदर मधुर व प्रभावशाली बना सकते हैं। संगीत विभाग की ओर से कार्यशाला के आयोजन सचिव डॉ. अशोक शर्मा ने बताया कि बताया कि संगीत विभाग के द्वारा यह कार्यशाला रूसा- सेन्टर फ़ॉर कंटीन्यूइंग एजुकेशन के साथ मिल कर आयोजित की जा रही है। देश के विभिन्न राज्यों से प्रतिभागी इस मे विशेष रुचि दिखा रहे हैं। संगीत विभाग द्वारा निकट भविष्य में भी इस प्रकार के विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जाते रहेंगे।

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