सोनाली मुर्गीपालन से बदलेगी महिला समूहों की किस्मत

  • स्व सहायता समूह को गौठान में दिए गए सोनाली नस्ल के 300 चूजे

जांजगीर-चांपा 22 सितंबर 2022/ सुराजी गांव योजना के तहत बनाई गई गौठानों से सोनाली नस्ल के मुर्गीपालन करने से स्व सहायता समूहों की किस्मत चमकेंगी, क्योंकि इस नस्ल की मुर्गी और अंडे की बाजार में बहुत मांग रहती है, और इसकी कीमत भी अच्छी मिलती हैं। बाजार में बढ़ती मांग को देखते हुए ही जिले की 33 गौठानों में जिसमें प्रत्येक गौठान में 300 नग सोनाली कुक्कुट (चूजे) स्व सहायता समूहों की महिलाओं को पालन करने के लिए दिए गए हैं। जिससे वे अपना स्वरोजगार स्थापित करेंगी और आगे चलकर इस गतिविधि के माध्यम से बेहतर मुनाफा कमा सकेंगी।
जिले में कलेक्टर श्री तारन प्रकाश सिन्हा के निर्देशन एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. फरिहा आलम के मार्गदर्शन में गौठानों में स्व सहायता समूहों की महिलाओं को जोड़ते हुए आजीविका गतिविधियां संचालित की जा रही है। गौठानों में मिल रहे स्वरोजगार से समूह की महिलाएं उत्साहित हैं और इसलिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियां जैसे बकरीपालन, वर्मी कम्पोस्ट निर्माण, सब्जी बाड़ी के अलावा अब सोनाली नस्ल की मुर्गीपालन के क्षेत्र में अपने हाथ अजमा रही हैं। इसके लिए समूहों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
अभिसरण की बनी मिसाल
गौठान में मुर्गीपालन के क्षेत्र में जिले में अभिसरण की मिसाल पेश की जा रही है। मुर्गीपालन के लिए गौठान में महात्मा गांधी नरेगा से शेड का निर्माण कराया गया तो वहीं एनआरएलएम के माध्यम से समूह का गठन किया गया है। सोनाली नस्ल के कुक्कुट जिला खनिज न्यास मद एवं एनआरएलएम से जुड़ी स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा कंवर्जेंस की राशि से खरीदे गये हैं। इसमें पशुपालन विभाग के माध्यम से टीकाकरण, तकनीकी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। सोनाली नस्ल के कुक्कुट पालन करने से स्व सहायता समूह की महिलाओं को गांव में रहते हुए ही स्वरोजगार मिल रहा है।
सोनाली से आजीविका के द्वार
पशुपालन विभाग के उपसंचालक श्री के.पी. पटेल ने बताया कि 9 विकासखण्ड की अलग-अलग 33 गौठानों में सोनाली की नस्ल के कुक्कुट स्व सहायता समूहों को दिये गए हैं। सोनाली कुक्कुट 3 माह में लगभग एक से डेढ़ किलो तक बढ़ जाता है जो मार्केट में विक्रय के लिए तैयार हो जाता है। बाजार में सोनाली मुर्गी की कीमत लगभग 350 तक रहती है, इन मुर्गियों को बेचकर समूह की महिलाएं मुनाफा कमाएंगी। उन्होंने बताया कि मुर्गीपालन करते हुए प्रतिवर्ष लगभग 120 से 130 अंडे का भी लाभ प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि चूजों को बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण एवं आवश्यकतानुसार चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है साथ ही समूहों को कुक्कुट पालन के लिए तकनीकी प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
सोनाली से मिला रोजगार
जिले के 33 गौठानों में सोनाली मुर्गीपालन में डीएमएफ एवं स्व सहायता समूह का अंशदान मिलाकर कार्य किया जा रहा है। जिसमें नवागढ़ विकासखण्ड की गौठान जगमहंत, पचेड़ा, खोखरा, पुटपुरा, पामगढ़ विकासखण्ड से मुलमुला, लोहर्सी, अकलतरा विकासखण्ड की अमोरा, तरौद, डभरा विकासखण्ड की पुटीडीह, नवापारा ड, रेडा, चंदेली बिलाईगढ़ प, ठनगन, गोपालपुर, सक्ती विकासखण्ड की जेठा, ढोलनार शामिल है। वहीं मालखरौदा विकासखण्ड की चरौदी, सोनादुला, पिरदा, जैजैपुर विकासखण्ड की खजुरानी, दर्राभाठा, भोथिया, बरेकेलकला, तुसार, बलौदा विकासखण्ड की पोंच, बम्हनीडीह विकासखण्ड की पिपरदा, कपिस्दा, अफरीद, पुछेली, गोविंदा, लखाली और बंसुला शामिल हैं। इन गौठानों में महिला स्व सहायता समूहों के द्वारा सोनाली नस्ल की कुक्कुट का पालन किया जा रहा है। वीरांगना लक्ष्मी बाई, खुशी, जय मॉ, जय मॉ बैष्णो देवी, प्रगति, दिया, आदिवासी, नारी, जागो, गंगा मैया, अंजली, स्वास्तिक, महामाया, दुर्गा, जय भवानी आदि समूह की महिलाओं का कहना है कि मुर्गीपालन करने से समूह को स्वरोजगार मिला है और आगामी दिनों में इससे मुनाफा कमाकर आर्थिक रूप से मजबूत बनेंगे।

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