त्रिकोणीय लड़ाई में सपा ने दी भाजपा बसपा को पटकनी
अंबेडकरनगर। सवर्ण बाहुल्य वोटरों वाली कटेहरी सीट पर तीन दशक से बना मिथक इस बार भी कायम रहा। इस सीट पर हुई त्रिकोणीय लड़ाई में सपा प्रत्याशी लालजी वर्मा ने शेर की तरह दहाड़ लगाते हुए भाजपा व बसपा प्रत्याशी को पटकनी देकर जीत हासिल की। तीन दशक से वर्चस्व के बाद भी इस सीट पर कोई भी सवर्ण प्रत्याशी जीत हासिल करने में सफल साबित नहीं हुआ है। वर्ष 1991 में यहां आखिरी बार सवर्ण प्रत्याशी भाजपा के अनिल तिवारी चुनाव जीते थे। इस बार भाजपा समर्थित निषाद पार्टी के अवधेश द्विवेदी व बसपा प्रत्याशी प्रतीक पांडेय ने खूब जोर लगाया लेकिन जीत फिर भी उनसे काफी दूर रही।कटेहरी विधान सभा सीट की पहचान जिले में सर्वाधिक ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र के बतौर है। पिछले कई विधानसभा चुनाव से यहां पिछड़े वर्ग के ही प्रत्याशी जीतते आ रहे हैं। बीते कई चुनाव से सवर्ण प्रत्याशियों की तरफ से दावेदारी के बाद भी उनके हिस्से में बस हार आयी। बतौर सपा प्रत्याशी जयशंकर पांडेय ने वर्ष 2002 व वर्ष 2007 में कड़ी टक्कर दी, लेकिन जीत नसीब नहीं हो पाई। 2007 में तो लगभग 200 मतों के अंतर से जयशंकर जीतते जीतते रह गए। साल 2012 में यहां बतौर सवर्ण प्रत्याशी लड़े भाजपा के रमाशंकर सिंह चौथे स्थान पर रहे। इसके बाद बीते 2017 के चुनाव में भाजपा ने अवधेश द्विवेदी को टिकट दिया। उन्होंने सपा के जयशंकर पांडेय को पीछे छोड़ते हुए बसपा के लालजी वर्मा को जोरदार टक्कर दी लेकिन छह हजार मतों से चुनाव हार गए।इस बार भी भाजपा से टिकट के कई दावेदार मैदान में थे लेकिन गठबंधन के तहत यह सीट निषाद पार्टी के खाते में चली गयी। निषाद पार्टी ने यहां से पिछले चुनाव के रनरअप रहे अवधेश द्विवेदी तो मैदान में उतारा। इसे देखकर बसपा ने भी प्रतीक पांडेय को मैदान में उतारा। प्रतीक के लिए चुनावी बिसात उनके पिता व पूर्व विधायक पवन पांडेय ने बिछाई। इससे सवर्ण वोटों में बंटवारे की आशंका के साथ ही बसपा छोड़कर आए पूर्व मंत्री व सपा प्रत्याशी लालजी वर्मा की जीत की राह आसान दिखने लगी थी। गुरुवार को मतों की गणना के बाद सामने आए नतीजे के बाद पुरानी तमाम अटकलें एक बार फिर सच साबित दिखी। सपा प्रत्याशी लालजी वर्मा ने भाजपा व बसपा के प्रत्याशियों को दमदारी के साथ पछाड़ते हुए एक बड़ी जीत हासिल की है।