गुप्त नवरात्रि में तंत्र साधना का विशेष महत्व

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 94161-91877

कुरुक्षेत्र :- आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष के रविवार को गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा गज यानी हाथी की सवारी से पधार चुकी है, आषाढ़ मास के तहत आने वाले गुप्त नवरात्रि आज 11 जुलाई को रवि पुष्य नक्षत्र के दिव्य संयोग में आरंभ, इस बार गुप्त नवरात्रि पर सर्वार्थ सिद्धि योग बना है, जो कि सुबह 5:31 बजे से रात्रि 2:22 तक रहा और रवि पुष्य नक्षत्र भी है, ज्योतिषाचार्य कहते है कि गज पर सवार होकर मां दुर्गा के आगमन से उत्तम वृष्टि के आसार होंगे। पूजा में लौंग और बताशे का भोग लगाना चाहिए।
मीन राशि वाले जातक मां चंद्रघंटा की पूजा करें। हल्दी की माला से बगलामुखी मंत्रो का जाप भी करें।
ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टानाम वाचं मुखम पदम् स्तम्भय। … जिव्हां कीलय कीलय बुद्धिम विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा।
गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की साधना कर ऋषि विश्वामित्र अद्भुत शक्तियों के स्वामी बन गए। उनकी सिद्धियों की प्रबलता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने एक नई सृष्टि की रचना तक कर डाली थी । इसी तरह, लंकापति रावण के पुत्र मेघनाद ने अतुलनीय शक्तियां प्राप्त करने के लिए गुप्त नवरात्रों में साधना की थी। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने मेघनाद को आज्ञा दी थी कि, गुप्त नवरात्रों में अपनी कुलदेवी निकुम्बाला की साधना करके वह अजेय बनाने वाली शक्तियों का स्वामी बन सकता है।

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