उत्तरी भारत के प्रमुख घोड़ा ज्योतिषी स्वर्गीय पं० बुद्ध देव शर्मा की पुण्यतिथि पर विशेष

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक दूरभाष – 94161 91877
अब घोड़ा ज्योतिषी परिवार की तीसरी पीढ़ी ज्योतिष विद्या द्वारा जनकल्याण की भावना से आमजन के कष्टों का निवारण, समाधान करने में प्रयासरत है।
कैथल : उत्तरी भारत के प्रमुख ज्योतिषियों में से एक माता गेट कैथल निवासी पं. बुद्धदेव शर्मा का जन्म हरियाणा के प्रसिद्ध ज्योतिष परिवार में 7 अगस्त 1916 को गोभवन तीर्थ गुहणा वर्तमान जिला कैथल में उत्तरी भारत के प्रमुख ‘घोड़ा ज्योतिषी पं. शिवदत्त शर्मा के घर हुआ। इनके पिता जी महाराजा पटियाला के राज ज्योतिषी थे। इनके ज्ञान व भविष्यवाणियों से प्रभावित होकर उन्होंने पं. शिव प्रसाद शर्मा को ‘घोड़ा ज्योतिषी की उपाधि से विभूषित किया। बाद में परिवारिक परम्परा के कारण उत्तरी भारत में इनको ‘घोड़ा ज्योतिषी” के नाम से जाना जाने लगा।
पं. शिव दत्त शर्मा को समय-समय पर राज दरबार में आमन्त्रित किया जाता था। इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण पटियाला महाराजा भूपेन्द्र सिंह थे। प्रारम्भ में इनका ज्योतिष विद्या में कोई विश्वास नहीं था। लेकिन एक बार उन्होंने विभिन्न ज्योतिषियों को अपने दरबार में बुलाया और भविष्यवाणियों को पर्चियों पर लिखवा लिया लेकिन जो भविष्यवाणी इनके पिता जी ने की थी वह पूर्णतया सही साबित होने पर महाराजा पटियाला उनके मुरीद हो गए तथा उनकी विद्वता से प्रभावित होकर उन्हें घोड़ाज्योतिषी का उपाधि से सम्मानित किया। तब से ही इनको परिवार इसी नाम से प्रसिद्ध हो गया। यद्यपि इनके परिवार का घोड़ों से कोई सम्बंध नहीं था अतः सवाल ये पैदा होता है कि इनको ‘घोड़ा ज्योतिषी ‘अलंकृत किया गया। वास्तव में विज्ञान के अनुसार घोड़ा शक्ति, बति, स्वतंत्रता और सफलता का प्रतीक माना जाता है। भौतिकी विज्ञान के अनुसार भी शक्ति का मूल्यांकन ‘हार्स पावर’ से किया जाता है। यहाँ तक की व्यक्ति की ताकत की तुलना भी घोड़े की शक्ति से की जाती है।
पं. बुद्धदेव जी प्रारम्भिक शिक्षा गाँव से शुरू हुई, उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इन्होंने लाहौर और बनारस में प्रवेश ग्रहण किया और शास्त्री एवं आयुर्वेदिकचार्य की शिक्षा प्राप्त की। बनारस विश्व विद्यालय में शिक्षा ग्रहणा करते समय उनकी मुलाकात पं. मदनमोहल मालवीय से हुई। पं. बुद्धदेव जिनको ज्योतिष विद्या प्राकृतिक रूप में परिवार से प्राप्त होने के कारण वे वे सभी प्रश्नों का सटीक उत्तर देते देते थे थे जिससे पं. मदनमोहन मालवीय उनसे बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने पं. बुद्धदेव को उचित आदर व सम्मान दिया तथा समय समय पर मार्गदर्शन किया।
पं. युद्धदेव ने कुछ समय शास्त्री अध्यापक के रूप में भी कार्य किया परन्तु उन्होंने शीघ्र ही इस पद को त्याग कर ज्योतिष विद्या को एक व्यवसाय के रूप में कैथल शहर में ही प्रारम्भ कर दिया। उनकी निपुणता और कौशल के अनुपात से भविष्यवाणियों सच होने लगी और अपने पिता जी की भाँति ज्योतिष के क्षेत्र में इनका नाम चर्चित हो गया।
पं. युद्धदेव शर्मा “घोड़ा ज्योतिषी आम जनता अनेकों मुख्यमंत्री, मंत्री, उच्च अधिकारियों, राजनेताओं आदि के बारे में सही भविष्वाणी करने के कारण अत्यंत प्रसिद्ध हो गए। इस इस क्षेत्र में उनके द्वारा की गई कुछ प्रमुख भविष्वाणियों की चचा करना महत्त्वपूर्ण होगा। जिनका सम्बंध पून प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गान्धी, स. प्रताप सिंह कैरो, पूर्व उप प्रधानमंत्री चौ. देवी लाल, पूर्व मुख्श्मंत्री भजन लाल, उच्च अधिकारी तथा तत्कालीन पंजाब, हरियाणा व हिमाचल के राजनेता एवं पूर्व आई सी एस अधिकारी आर.पी. कपूर मुख्य है। इनके सम्बंध में की गई भविष्यवाणियों का क्रमबद्ध व ऐतिहासिक कालचक्र के अनुसार चर्चा निग्न प्रकार से है।
पूर्व मुख्यमंत्री, पंजाब स. प्रताप सिंह कैरो अक्तूबर 1955 में पटियाला कमीशनरी के कमीश्नर आर.पी. कपूर (आई.सी.एस.) व पंजाब विधानसभा के सदस्य स. प्रताप सिंह कैरो पं. जी के पास कैथल आए। औपचारिक वार्ता के बाद उन्होंने स. प्रताप सिंह कैरो के भविष्य के सम्बंध में लिखकर एक पर्ची दे दी जिसमें तीन मूल प्रश्नों के उत्तर थ जिनमें सबसे अहम सवाल यह था कि क्या स. प्रताप सिंह कैरो मुख्यमंत्री बन सकता है? बाकी दो प्रश्न पारिवारिक थे। पंडित जी ने स्पष्ट लिखा कि आप निश्चित रूप से मुख्यमंत्री बन जाओगे और यही नहीं मुख्यमंत्री बनने की तारीख भी लिख दी। कैरो साहब ने कहा कि हमारे भागय ऐसे कहीं कि मैं मुख्यमंत्री बन जाऊँ। कांग्रेस हाई कमान ने जब उनके मुख्यमंत्री बनने की घोषणा की तो उन्होंने पंडित जी के पास दो उच्च अधिकारियों को शपथ ग्रहण का समयज्योतिषी का उपाधि से सम्मानित किया। तब से ही इनको परिवार इसी नाम से प्रसिद्ध हो गया। यद्यपि इनके परिवार का घोड़ों से कोई सम्बंध नहीं था अतः सवाल ये पैदा होता है कि इनको ‘घोड़ा ज्योतिषी ‘अलंकृत किया गया। वास्तव में विज्ञान के अनुसार घोड़ा शक्ति, बति, स्वतंत्रता और सफलता का प्रतीक माना जाता है। भौतिकी विज्ञान के अनुसार भी शक्ति का मूल्यांकन ‘हार्स पावर’ से किया जाता है। यहाँ तक की व्यक्ति की ताकत की तुलना भी घोड़े की शक्ति से की जाती है।
पं. बुद्धदेव जी प्रारम्भिक शिक्षा गाँव से शुरू हुई, उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इन्होंने लाहौर और बनारस में प्रवेश ग्रहण किया और शास्त्री एवं आयुर्वेदिकचार्य की शिक्षा प्राप्त की। बनारस विश्व विद्यालय में शिक्षा ग्रहणा करते समय उनकी मुलाकात पं. मदनमोहल मालवीय से हुई। पं. बुद्धदेव जिनको ज्योतिष विद्या प्राकृतिक रूप में परिवार से प्राप्त होने के कारण वे वे सभी प्रश्नों का सटीक उत्तर देते देते थे थे जिससे पं. मदनमोहन मालवीय उनसे बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने पं. बुद्धदेव को उचित आदर व सम्मान दिया तथा समय समय पर मार्गदर्शन किया।
पं. युद्धदेव ने कुछ समय शास्त्री अध्यापक के रूप में भी कार्य किया परन्तु उन्होंने शीघ्र ही इस पद को त्याग कर ज्योतिष विद्या को एक व्यवसाय के रूप में कैथल शहर में ही प्रारम्भ कर दिया। उनकी निपुणता और कौशल के अनुपात से भविष्यवाणियों सच होने लगी और अपने पिता जी की भाँति ज्योतिष के क्षेत्र में इनका नाम चर्चित हो गया।
पं. युद्धदेव शर्मा “घोड़ा ज्योतिषी आम जनता अनेकों मुख्यमंत्री, मंत्री, उच्च अधिकारियों, राजनेताओं आदि के बारे में सही भविष्वाणी करने के कारण अत्यंत प्रसिद्ध हो गए। इस इस क्षेत्र में उनके द्वारा की गई कुछ प्रमुख भविष्वाणियों की चचा करना महत्त्वपूर्ण होगा। जिनका सम्बंध पून प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गान्धी, स. प्रताप सिंह कैरो, पूर्व उप प्रधानमंत्री चौ. देवी लाल, पूर्व मुख्श्मंत्री भजन लाल, उच्च अधिकारी तथा तत्कालीन पंजाब, हरियाणा व हिमाचल के राजनेता एवं पूर्व आई सी एस अधिकारी आर.पी. कपूर मुख्य है। इनके सम्बंध में की गई भविष्यवाणियों का क्रमबद्ध व ऐतिहासिक कालचक्र के अनुसार चर्चा निग्न प्रकार से है।
पूर्व मुख्यमंत्री, पंजाब स. प्रताप सिंह कैरो अक्तूबर 1955 में पटियाला कमीशनरी के कमीश्नर आर.पी. कपूर (आई.सी.एस.) व पंजाब विधानसभा के सदस्य स. प्रताप सिंह कैरो पं. जी के पास कैथल आए। औपचारिक वार्ता के बाद उन्होंने स. प्रताप सिंह कैरो के भविष्य के सम्बंध में लिखकर एक पर्ची दे दी जिसमें तीन मूल प्रश्नों के उत्तर थ जिनमें सबसे अहम सवाल यह था कि क्या स. प्रताप सिंह कैरो मुख्यमंत्री बन सकता है? बाकी दो प्रश्न पारिवारिक थे। पंडित जी ने स्पष्ट लिखा कि आप निश्चित रूप से मुख्यमंत्री बन जाओगे और यही नहीं मुख्यमंत्री बनने की तारीख भी लिख दी। कैरो साहब ने कहा कि हमारे भाग्य ऐसे कहां कि मैं मुख्यमंत्री बन जाऊँ। कांग्रेस हाई कमान ने जब उनके मुख्यमंत्री बनने की घोषणा की तो उन्होंने पंडित जी के पास दो उच्च अधिकारियों को शपथ ग्रहण का समयज्योतिषी का उपाधि से सम्मानित किया। तब से ही इनको परिवार इसी नाम से प्रसिद्ध हो गया। यद्यपि इनके परिवार का घोड़ों से कोई सम्बंध नहीं था अतः सवाल ये पैदा होता है कि इनको ‘घोड़ा ज्योतिषी ‘अलंकृत किया गया। वास्तव में विज्ञान के अनुसार घोड़ा शक्ति, बति, स्वतंत्रता और सफलता का प्रतीक माना जाता है। भौतिकी विज्ञान के अनुसार भी शक्ति का मूल्यांकन ‘हार्स पावर’ से किया जाता है। यहाँ तक की व्यक्ति की ताकत की तुलना भी घोड़े की शक्ति से की जाती है।
पं. बुद्धदेव जी प्रारम्भिक शिक्षा गाँव से शुरू हुई, उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इन्होंने लाहौर और बनारस में प्रवेश ग्रहण किया और शास्त्री एवं आयुर्वेदिकचार्य की शिक्षा प्राप्त की। बनारस विश्व विद्यालय में शिक्षा ग्रहणा करते समय उनकी मुलाकात पं. मदनमोहल मालवीय से हुई। पं. बुद्धदेव जिनको ज्योतिष विद्या प्राकृतिक रूप में परिवार से प्राप्त होने के कारण वे वे सभी प्रश्नों का सटीक उत्तर देते देते थे थे जिससे पं. मदनमोहन मालवीय उनसे बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने पं. बुद्धदेव को उचित आदर व सम्मान दिया तथा समय समय पर मार्गदर्शन किया।
पं. युद्धदेव ने कुछ समय शास्त्री अध्यापक के रूप में भी कार्य किया परन्तु उन्होंने शीघ्र ही इस पद को त्याग कर ज्योतिष विद्या को एक व्यवसाय के रूप में कैथल शहर में ही प्रारम्भ कर दिया। उनकी निपुणता और कौशल के अनुपात से भविष्यवाणियों सच होने लगी और अपने पिता जी की भाँति ज्योतिष के क्षेत्र में इनका नाम चर्चित हो गया।
पं. युद्धदेव शर्मा “घोड़ा ज्योतिषी आम जनता अनेकों मुख्यमंत्री, मंत्री, उच्च अधिकारियों, राजनेताओं आदि के बारे में सही भविष्वाणी करने के कारण अत्यंत प्रसिद्ध हो गए। इस इस क्षेत्र में उनके द्वारा की गई कुछ प्रमुख भविष्वाणियों की चचा करना महत्त्वपूर्ण होगा। जिनका सम्बंध पून प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गान्धी, स. प्रताप सिंह कैरो, पूर्व उप प्रधानमंत्री चौ. देवी लाल, पूर्व मुख्श्मंत्री भजन लाल, उच्च अधिकारी तथा तत्कालीन पंजाब, हरियाणा व हिमाचल के राजनेता एवं पूर्व आई सी एस अधिकारी आर.पी. कपूर मुख्य है। इनके सम्बंध में की गई भविष्यवाणियों का क्रमबद्ध व ऐतिहासिक कालचक्र के अनुसार चर्चा निग्न प्रकार से है।
पूर्व मुख्यमंत्री, पंजाब स. प्रताप सिंह कैरो अक्तूबर 1955 में पटियाला कमीशनरी के कमीश्नर आर.पी. कपूर (आई.सी.एस.) व पंजाब विधानसभा के सदस्य स. प्रताप सिंह कैरो पं. जी के पास कैथल आए। औपचारिक वार्ता के बाद उन्होंने स. प्रताप सिंह कैरो के भविष्य के सम्बंध में लिखकर एक पर्ची दे दी जिसमें तीन मूल प्रश्नों के उत्तर थ जिनमें सबसे अहम सवाल यह था कि क्या स. प्रताप सिंह कैरो मुख्यमंत्री बन सकता है? बाकी दो प्रश्न पारिवारिक थे। पंडित जी ने स्पष्ट लिखा कि आप निश्चित रूप से मुख्यमंत्री बन जाओगे और यही नहीं मुख्यमंत्री बनने की तारीख भी लिख दी। कैरो साहब ने कहा कि हमारे भागय ऐसे कहीं कि मैं मुख्यमंत्री बन जाऊँ। कांग्रेस हाई कमान ने जब उनके मुख्यमंत्री बनने की घोषणा की तो उन्होंने पंडित जी के पास दो उच्च अधिकारियों को शपथ ग्रहण का समयनिर्धारित करने के लिए भेजा। इसके बाद स. कैसे ने पंडित जी की विद्वता से प्रभावित होकर प्रत्येक विकट परिस्थिति में उनसे अनेकों बार सम्पर्क किया।
कहते हैं कि राजनीति में कोई स्थायी मित्र अथवा शत्रु नहीं होता। इनके बारे में भी ये बात लागू होती है। आर.पी. कपूर और स. कैरों के धनिष्ट मित्र थे परन्तु समय के साथ गहरे शत्रु हो गए थे।
श्री कपूर को छः महीने के लिए विदेश भेज दिया और वापिस लौटने पर उन्हें निलम्बित कर दिया। बात यहाँ तक पहुँच गई कि स. कैरी से यह कहना पड़ा कि मैं केन्द्र सरकार का उच्च अधिकारी हूँ नाकि पंजाब सरकार का कर्मचारी। मैं पंजाब सरकार के अंतर्गत नहीं आता। बाद में येमामला इतना तूल पकड़ गया कि न्यायालय में आर. पी. कपूरबनाम पंजाब राज्य (1960) सर्वोच्च न्यायालय तक पहुँच गया कि जमीन लेन-देन के मामले में धोखाधड़ी हुई है। इस मामले में श्री कपूर को विजय हासिल हुई, परिणामस्वरूप बहुत बड़ी मुआवजा राशि, वेतन का आधा भाग तथा मानहानि के मुकदमे में लाखो रूपये की राशि प्राप्त हुई। श्री कपूर ने यह राशि पं. बुद्धदेव को देने का निर्णय लिया परन्तु पंडित जी ने पैसा लेने से इन्कार कर दिया। दोनों अपनी जिद पर अड़े रहे। अंत में निर्णय यह हुआ कि एक अनाथालय और एक अस्पताल स्थापित किया जाए। आज मधुबन में बने “अर्पणा अस्पताल जिसमें लाखों लोग अपना इलाज करवाते हैं का श्रेय श्री कपूर साहब और पं. बुद्धदेव शर्मा को जाता है।
चौ. देवी लाल बनाम चौ. भजन लाल विवाद में सर्वविदित है कि सन् 1982 में चौ. देवी लाल के पास विधायकों का बहुमत था परन्तु कुछ उच्च अधिकारीपडित जी को मिलने आए थे, दोनों की कुण्डलियों देखकर उन्होंने भजन लाल के मुख्यमंत्री बनने की घोषणा कर दी थी।
तत्कालीन महाराजा पटियाला सर यादवेद्र सिंह का होनोस्कोप बनाया जिसमें मुख्यतः दो बातें उन्होंने स्वीकार नहीं की गई थी वो थी कि यह जातक सरकार की नौकरी करेगा और इसका देहान्त विदेश में होगा। उस समय में पटियाला रियासत थी यह उनके लिए विश्वास करने योग्य नहीं था क्योंकि जिसका अपना राज पाठ हो और सरकार हो उस समय विश्वसनीय नहीं लगता था परन्तु उन्होंने सरकार की नौकरी बतौर एम्बैसडर ईटली सन् 1960 के दशक में वह सरकार की तरफ से बतौर एम्बैसडर रहे व राजदूत के रूप में कार्य किया। छटे दशक के मध्य में और नीदरलैंड में बतौर एम्बैसडर रह पहीं उनका देहान्त हृदयगति रुकने से हुआ।
महाराजा की पुत्री हेमेन्द्र कौर कुंवर नटवर सिंह पूर्व विदेश मंत्री की पत्नी भी राजनीति में आना चाहती थी और आश्वस्त थी कि टिकट उसको ही मिलेगा परन पंडित जी ने उनको कहा कि टिकट आपको नहीं मिलेगा और टिकट तो आपके परिवार के सदस्य को ही मिलेगा जिससे आपका खून का रिश्ता होगा और फौज से जिसका सम्बन्ध होगा और यह भविष्यवाणी भी सत्य हुई। उनको टिकट न मिलकर उनके भाई राजा अग्रेन्द्र सिंह को मिली।
इस तरह बुद्धदेव जी की अनेकों भविष्यवाणियां हैं जिनकी चर्चा यहाँ नहीं की गई केवल उपरोक्त मुख्य ही उल्लेख में आई हैं। उनकी वाणी में उद्भुत अपनापन झलकता था। वह समाज के सभी वर्ग के लोग प्रशासनिक, अधिकारी व न्याययिक कर्मचारी और व्यापारी उनके सम्पर्क में रहते थे। वो एक अलोकिक प्रतिभा के धनी थ। उनको केवल ज्योतिष में गणित व फलित का ज्ञान था अपितु आयुर्वेद का भी ज्ञान था। वह अधिकतर समय ज्योतिष व वैदिक ग्रन्थों के अध्ययन में लगाते थे। उन्होंने ध्यान योग व तप के द्वारा प्रभु का आलोकिक स्वरूप जान लिया था. यही कारण था उन्होंने संसारिक मोहमाया को अपने ऊपर प्रभावी नहीं होने दिया और उनकी जीवन शैली सालिकता से परिपूर्ण थी और परिश्रम को जीवन की ढाल बनाया। हम उन्हें नमन करते हैं।
ये सभी रोचक एवं दिलचस्प भविष्यवाणियों का उल्लेख करने का हमारा मुख्य अभिप्राय यही है कि इतने बड़े ज्ञानी व महान भविष्य वक्ता का गुमनाम होना चिंताजनक है। अतः इस बात की आवश्यकता है कि इस प्रकार की गुमनाम हस्तियों के बारे में जानकारी दें ताकि वे आने वाली भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बन सकें।
उपरोक्त जानकारियाँ लेखक को उनके घनिष्ठ मित्र श्री शाम देव शर्मा जोकि मैनेजर स्टेट बैंक ऑफ पटियाला से सेवानिवृत हैं और प्रमुख ‘घोड़ा ज्योतिषी पं. बुद्धदेव शर्मा के सुपुत्र हैं।




