आध्यात्मिकता एवं ज्ञान परम्परा भारतीय सांस्कृतिक विरासत का आधार : स्वामी मुनिवत्सल दास

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

आध्यात्मिक ज्ञान मानव जीवन में उत्कृष्टता का आधार : प्रो. सोमनाथ सचदेवा।
भारत का प्राण अध्यात्म में निहित : प्रो. सीता राम व्यास।
केयू तथा बीएपीएस स्वामी नारायण रिसर्च इंस्टीट्यूट अक्षरधाम, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में ‘आधुनिक युग में अध्यात्म ज्ञान की प्रासंगिकता’ विषय पर एकदिवसीय विस्तार व्याख्यान आयोजित।

कुरुक्षेत्र, 13 सितम्बर : पूज्य स्वामी मुनिवत्सल दास, कोठारी बीएपीएस स्वामी नारायण रिसर्च इंस्टीट्यूट अक्षर धाम, नई दिल्ली ने कहा कि आध्यात्मिकता एवं ज्ञान परम्परा भारतीय सांस्कृतिक विरासत का आधार है। मनुष्य की वैचारिक शक्ति, नैतिक बल एवं सांस्कृतिक उत्थान आध्यात्मिकता में निहित है। उन्होंने कहा कि यदि मनुष्य गीता में दिए गए स्थित प्रज्ञ ज्ञान को जीवन में धारण कर ले तो वह कभी विचलित एवं पराजित नहीं हो सकता। वह शुक्रवार को कुवि के डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर अध्ययन केन्द्र तथा बीएपीएस स्वामी नारायण रिसर्च इंस्टीट्यूट अक्षरधाम, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में ‘आधुनिक युग में अध्यात्म ज्ञान की प्रासंगिकता’ विषय पर एकदिवसीय विस्तार व्याख्यान कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। इससे पहले दीप प्रज्ज्वलित कर विधिवत् रूप से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।
पूज्य स्वामी मुनिवत्सल दास ने कहा कि रामायण में वन जाने का आदेश मिलने पर भगवान श्रीराम ने स्थित प्रज्ञ होकर इसका निवर्हन किया। वर्तमान में मनुष्य जीवन में समस्या आने पर छोटी-छोटी बातों पर नैतिक बल खो बैठता है इसलिए मनुष्य को रामायण एवं गीता में निहित स्थिर प्रज्ञ ज्ञान को जीवन में धारण करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि परमात्मा ने मनुष्य को पुरुषार्थ करने का अवसर दिया है इसलिए उसे निरपेक्ष होकर अपना कर्म करना चाहिए। इस अवसर पर पूज्य स्वामी मुनिवत्सल दास, कुवि कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा, प्रो. सीता राम व्यास ने डॉ. अम्बेडकर अध्ययन केन्द्र के निदेशक प्रो. गोपाल प्रसाद व सह निदेशक डॉ. प्रीतम सिंह द्वारा सम्पादित पुस्तक’ रेवोल्यूशन विजन ऑफ डॉ. बीआर अम्बेडकर’ का भी विमोचन किया।
व्याख्यान कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि आध्यात्मिक ज्ञान मानव जीवन में उत्कृष्टता का आधार है क्योंकि आध्यात्मिकता मनुष्य को एकाग्रता, सकारात्मकता, संयमता व आत्मबल की शक्ति प्रदान करती है। आध्यात्मिक ज्ञान ही आत्मा से परमात्मा का मिलन है जो मोक्ष की प्राप्ति का सन्मार्ग है। उन्होंने कहा कि बहुत गहराई से स्व को जानने की प्रक्रिया ही अध्यात्म है। उन्होंने तुलसीदास के जीवन प्रसंग एवं पतंजलि के अष्टांग योग के माध्यम से भारतीय आध्यात्मिक ज्ञान परम्परा महत्ता बताई। इसके साथ ही उन्होंने भारत के पूर्व राष्ट्रपति एवं भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के द्वारा दिए गए जीवन में उत्कृष्टता प्राप्त करने के मूल मंत्र के बारे भी बताया। कुलपति प्रो. सोमनाथ ने कहा कि प्रकृति भी परमात्मा का ही रूप है इसलिए केयू ने पर्यावरण संरक्षण के लिए एक विद्यार्थी एक वृक्ष को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया है जिसके तहत पर्यावरण को सहेजने के लिए विद्यार्थियों द्वारा एक वर्ष में 75हजार पेड़ लगाए जाएंगे।
प्रो. सीता राम व्यास, सामाजिक चिंतक ने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि आध्यात्मिक ज्ञान के बिना मनुष्य का जीवन पशुपत जीवन के समान है। भारत का प्राण अध्यात्म में निहित है क्योंकि आध्यात्मिक चेतना द्वारा ही भारत ने विश्व में प्रसिद्धि पाई है। उन्होंने कहा कि भारत का आध्यात्मिक ज्ञान सार्वकालिक है तथा यह राष्ट्र का मेरुदंड भी है। आध्यात्मिकता से ही धर्म के दस लक्षणों की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारत के ऋषियों, मुनियों ने अध्यात्म के आधार पर ही राष्ट्र चेतना को जागृत किया। उन्होंने युवाओं से जीवन में कड़ा परिश्रम, पर्यावरण सरंक्षण में जिम्मेवारी निवर्हन करने का आह्वान किया।
डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर अध्ययन संस्थान के निदेशक प्रो. गोपाल प्रसाद ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विस्तार व्याख्यान की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि भारतीय आध्यात्मिक ज्ञान परम्परा योग एवं चिंतन पर आधारित है। उन्होंने बताया कि ‘रेवोल्यूशन विजन ऑफ डॉ. बीआर अम्बेडकर’ पुस्तक में कुल 19 आर्टिकल है तथा केन्द्र की ओर से प्रकाशित होने वाली 11वीं पुस्तक है। सह निदेशक डॉ. प्रीतम सिंह ने बताया कि केन्द्र स्थित पुस्तकालय में विभिन्न विचारधाराओं के धर्मग्रन्थ विद्यमान हैं। उन्होंने केन्द्र द्वारा कंप्यूटर एवं कौशल विकास संबंधी कोर्स की भी जानकारी दी। केन्द्र द्वारा अतिथियों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित भी किया गया। मंच का संचालन शोधार्थी आशुतोष ने किया।
इस अवसर पर प्रो. सुरेश कुमार, डॉ. सोमबीर जाखड़, डॉ. आनंद कुमार, डॉ. तेलू राम, संगीता धीर, कुंटिया महासचिव रविन्द्र तोमर सहित शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।
शोधार्थियों के लिए आईसीएसएसआर से मिली 5.5 लाख की ग्रांट।
डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर अध्ययन केन्द्र के निदेशक प्रो. गोपाल प्रसाद ने बताया कि कुवि कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा के कुशल मार्गदर्शन में केन्द्र को आईसीएसएसआर की ओर से शोधार्थियों हेतु अनुसंधान क्रियाविधि संबंधी कार्यशाला आयोजित करने के लिए 5.5 लाख रुपये की ग्रांट मिली है। उन्होंने बताया कि इस ग्रांट के तहत शोधार्थियों के लिए आयोजित होने वाली कार्यशाला के लिए पंजीकरण, रहने एवं भोजन आदि की व्यवस्था निशुल्क रहेगी।

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