उमंग संस्था द्वारा बारना में खेल चौपाल का किया आयोजन

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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खेल चौपाल में दिखा युवाओं व बुजुर्गों में खेलों के प्रति जज्बा।
ग्रामीणों ने सरकार द्वारा खेलों के लिए सुविधाएं देने की करी मांग।
बुजुर्गों ने बताया कि वे अपने समय में कैसे व कौनसे खेलते थे खेल।

कुरुक्षेत्र, 20 फरवरी :- उमंग समाजसेवी संस्था द्वारा गांव बारना में खेल चौपाल का आयोजन किया गया। खेल चौपाल में ग्रामीणों ने अपने विचारों को सांझा किया व सरकार से मांग की कि खेलों को बढावा देने के लिए गांव स्तर पर सुविधाएं दी जाएं ताकि प्रत्येक गांव से युवाओं का रूझान खेलों की तरफ बढ सके। खेल चौपाल में मुख्य रूप से हॉकी के राष्ट्रीय पदक विजेता व क्रीड़ा भारती के प्रदेश उपाध्यक्ष सुभाष चौहान मुख्य रूप से पहुंचे। खेल चौपाल का संंचालन उमंग संस्था के अध्यक्ष देवीलाल बारना ने किया। खेल चौपाल को लेकर ग्रामीणों में काफी उत्साह देखा गया। इसमें बच्चों के अलावा बुजुर्ग लोग भी शमिल हुए व अपने समय मे खेले जाने वाले खेलों के बारे में बताया।
मुख्यातिथि सुभाष चौहान ने कहा कि खेल हमारे जीवन का अभिन्न अंग होते हैं इसलिए हर किसी को खेलों को अपने जीवन में शामिल करना चाहिए। खेल खेलने से जहां मनुष्य में आत्मविश्वास पैदा होता है वहींं शरीर भी स्वस्थ रहता है। बचपन से जो व्यक्ति खेलना शुरु कर देता है उसके शरीर से बीमारियों का दूर तक नाता नही रहता। प्राचीन समय में ग्रामीण खेल गांवों में खेले जाते थे जोकि आज खत्म हो चुके हैं। उमंग संस्था के उपाध्यक्ष महेंद्र पाल व सदस्य रामनारायण ने ग्रामीणों को जागरूक करते हुए कहा कि खेलने के लिए सिर्फ सरकार को न कोसें बल्कि खेलो को अपने जीवन में शामिल करें। स्वयं जागरूक होकर मोबाईल का कम प्रयोग कर खुद खेलना शुरु करें व अपने बच्चों को खेलों के रास्ते पर लगाएं। वॉलीवाल के खिलाड़ी रहे 62 वर्षीय सूबे सिंह ने कहा कि वे अपने समय में वॉलीवाल खेलते थे व आस पास के गांवों में भी खेलने के लिए जाते थे। लेकिन समय का ऐसा फेर आया कि कोई खेलना ही पसंद नही करता।
बुजुर्गों ने सुनाये अपने समय के खेलों के किस्से।
72 वर्षीय बुजुर्ग रति राम, 85 वर्षीय सतपाल, जगीर सिंह व साहब सिंह ने अपने दिनों को याद करते हुए कहा कि वे जब नौजवान थे तो वे गुल्ली डंडा, डंडा-चूम, काली-पीली डिलों व अन्य खेल खेलते थे। उन्होने बताया कि आज के समय में जो हॉकी खेली जाती है, उनके समय में इस खेल को वे गींड नाम से जानते थे। इसके लिए खुंडानुमा लकड़ी का डंडा व पुराने कपड़ों से बनाई गई जालीनुमा गेंद से खेलते थे। इसके बाद दोनो तरफ खिलाड़ी उस गेंंद के पीछे भागते थे और देर रात्रि तक खेलते रहते थे। बुजुर्गों ने कहा कि आज के समय मे तो मोबाईल देखने के अलावा कोई ज्यादा काम भी नही रहा। उनके समय में वे पूरा दिन खेतों में काम करते थे और सांय काल के समय अपने दोस्तों के साथ खेलते थे। रति राम ने कहा कि खेल चौपाल से वे प्रभावित हुए हैं और वे भी बुजुर्गों की एक टीम बनाएंगें और उमंग संस्था के खेलगिरी कार्यक्रम में भाग लेकर युवाओं को खेलों के प्रति जागरूक करने का काम करेंगें। इस मौके पर फौज में सेवाएं दे रहे कमांडों बलविंद्र सिंह, कोच देवीदयाल, शमशेर सिंह, सतपाल तायल, पूर्व सरपंच ज्ञानी राम, रामचंद्र, गुलाब चंद व बलविंद्र सिंह ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि सरकार द्वारा काफी अच्छी व्यायामशाला गांव में बनाई गई है लेकिन आज तक भी विभाग द्वारा इसके संचालन की कोई व्यवस्था नही की है। ऐसे में जल्द से जल्द व्यायामशाला में कोच व चौकीदार के अलावा अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएं।
उमंग समाजसेवी संस्था द्वारा आयोजित खेल चौपाल का दृश्य।

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