कोरोना काल मे संकटमोचक बना एसटीएच, जब हर जगह बंद हुआ इलाज तो उसने बचाई जान


प्रभारी संपादक उत्तराखंड
साग़र मलिक

हल्द्वानी। कोरोना जब चरम पर था। सभी निजी अस्पतालों ने भी कोरोना के अतिरिक्त मरीजों का इलाज बंद कर दिया था। डा. सुशीला तिवारी अस्पताल भी कोविड मरीजों के लिए आरक्षित हो गया। इसके बावजूद सर्जरी विभाग के डाक्टरों ने कुमाऊं भर के पांच गंभीर रोगियों का ऑपरेशन कर जान बचाई।
28 दिन के बच्चे का किया ऑपरेशन
जनसंपर्क अधिकारी आलोक उप्रेती ने बताया कि 20 दिन में एक बच्चा इमरजेंसी में पहुंचा। बच्चे के पेट के निचले हिस्से की आंतें फट गयी थी। जिसका तत्काल ऑपरेशन जरूरी था। डाक्टरों ने तत्काल बच्चे का ऑपरेशन कर लैट्रिन का रास्ता पेट से निकाला। अब बच्चा स्वस्थ है। 50 वर्षीय महिला का दो वर्ष पहले आंत फट जाने के कारण आंतों का हिस्सा पेट के रास्ते निकाला गया था। इस बीच महिला की आंतों और पेट के त्वचा के बीच में लैट्रिन का रास्ता बन गया था। कई महीनों वह अस्पतालों के चक्कर काटते रही। कोरोना पॉजिटिव महिला का ऑपरेशन किया गया। अब महिला स्वस्थ है। इस तरह की कई अन्य मरीजों को आपात स्थिति में इलाज मिला।
ये डाक्टर रहे शामिल
सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. भुवन, डा. एनएस भाट, डा. श्रीरंजन काला, डा. प्रतीक, डा. मालविका, डा. निशांत, डा. प्रखर शामिल रहे।
राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. सीपी भैसोड़ा ने बताया कि कोरोना महामारी के बीच जब कहीं भी मरीज भर्ती नहीं हो पा रहे थे। तब हमारी टीम ने गंभीर मरीजों का इलाज किया। सर्जरी कर मरीजों की जान बचाई। डाक्टरों ने पूरी निष्ठा से काम किया।

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