कुरुक्षेत्र – आज राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस है आज भी रक्त के लिए लोगों को इधर उधर भटकना पड़ता है। रक्तदान शिविर भी निरंतर लग रहे हैं लेकिन जागरूकता की कमी के कारण रक्त की आपूर्ति पूर्ण नहीं हो पाती है। ऐसे में सभी को चाहिए कि वे नियमित प्रत्येक 3 माह के अंतराल में रक्तदान करें. ये विचार हरियाणा पुलिस के उप निरीक्षक राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित, राष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेता, डायमंड रक्तदाता एवं पर्यावरण प्रहरी डॉ. अशोक कुमार वर्मा ने व्यक्त किये. वे आजकल हरियाणा नारकोटिक्स कण्ट्रोल ब्यूरो में नियुक्त हैं. उन्होंने बताया कि उनके जीवन में एक ऐसी घटना हुई जिससे प्रेरित होकर वे न केवल स्वयं रक्तदान करते हैं अपितु उनके परिवार के लोगों के साथ साथ रिश्तेदार एवं मित्र भी रक्तदान कर रहे हैं।
हरियाणा पुलिस के उप निरीक्षक डॉ. अशोक कुमार वर्मा एक ऐसा उदाहरण जो स्वयं 143 बार रक्तदान कर चुके हैं और 65 बार प्लेटलेट्स दे चुके हैं। इतना ही नहीं वे बिना किसी बैनर के 370 स्वैच्छिक रक्तदान शिविर आयोजित कर 45078 लोगों का जीवन बचा चुके हैं।
पिता से मिली रक्तदान की प्रेरणा।
डॉ. अशोक कुमार वर्मा ने बताया कि 1989 में वे राजकीय महाविद्यालय करनाल में विद्यार्थी थे और एनसीसी कैडेट थे। एक बार उनके एनसीसी अधिकारी ने कहा कि डीएवी महाविद्यालय में रक्तदान शिविर लगा हुआ है और आप वहां जाकर रक्तदान करें। उन्होंने वहां जाकर रक्तदान किया लेकिन जैसे ही घर जाकर बताया तो मां ने इस पर गहन चिंता व्यक्त की और कहा कि ऐसा नहीं करना चाहिए था। इस पर डॉ. अशोक कुमार वर्मा को बहुत ठेस पहुंची लेकिन रात्रि में जैसे ही पिता जी घर पर आए, उन्हें सारी बात का पता लगा तो उन्होंने अपने पुत्र के इस पुनीत कार्य के लिए पीठ थपथपाई और कहा कि बहुत ही अच्छा कार्य किया है क्योंकि वे स्वयं एक सैनिक थे और उन्होंने भी भारतीय सेना में रहते हुए अनेकों बार रक्तदान किया था।बस यहीं से आरंभ हुआ रक्तदान का सिलसिला। डॉ. अशोक कुमार वर्मा ने बताया कि उन दिनों लोगों में रक्तदान के प्रति जागरूकता न के बराबर थी तो भी वे किसी भी जरुरतमंद के लिए मां से छिपकर रक्तदान करते थे। अब ऐसा नहीं है अब न केवल डॉ. अशोक कुमार वर्मा रक्तदान करते हैं अपितु उनके परिवार में सभी भाईयों, भतीजों और रिश्तेदारों ने भी रक्तदान करना आरंभ कर दिया है।
भाई बहन पत्नी बेटियां बेटा रिश्तेदार और मित्र भी उनसे प्रेरणा लेकर रक्तदान करते हैं-
बेटी प्रियंका एवं दिव्या वर्मा 3 बार, बेटा अक्षय वर्मा 5 बार, भाई विनोद कुमार वर्मा 57 बार और पत्नी सुषमा वर्मा 5 बार रक्तदान कर चुके हैं।
370 रक्तदान शिविर के माध्यम से 45078 लोगों को मिला नवजीवन।
डॉ. अशोक कुमार वर्मा बताते हैं कि वे 1999 में पुलिस प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात कुरुक्षेत्र ज़िले में चुनाव सेवा में नियुक्त थे। तब उनके घर पुत्र अक्षय वर्मा ने जन्म लिया और उसे पीलिया हो गया। चिकित्सक ने कहा कि इस बच्चे को बचाने के लिए इसका रक्त बदलना होगा तो डॉ. अशोक ने रक्तदान किया और उनका रक्त ही बच्चे को चढ़ाया गया। उस दिन डॉ. अशोक कुमार वर्मा को रक्त के महत्व का अनुभव हुआ और तब से नियमित रक्तदाता बन गए।
सैनिक पिता कली राम खिप्पल की पुण्यतिथि पर लगाया पहला रक्तदान शिविर।
पुलिस उप निरीक्षक डॉ. अशोक कुमार वर्मा ने बताया कि उन्होंने पहला रक्तदान शिविर अपने पिता कली राम खिप्पल की पुण्यतिथि पर लगाया था और इसके पश्चात वे अब तक अपने स्वयं के खर्चे पर 370 स्वैच्छिक रक्तदान शिविर आयोजित कर चुके हैं। इन शिविरों में एकत्रित रक्त से 45078 लोगों को लाभ मिला है।
हजारों लोगों को जागरूक किया
डॉ. अशोक कुमार वर्मा ने पुरे उत्तर भारत में हजारों युवाओं को रक्तदान के लिए प्रेरित कर उनसे रक्तदान करवाया है। प्रत्येक वर्ष वे अपने पिता की पुण्यतिथि पर सम्मान समारोह आयोजित कर रहे हैं। रक्तदान करना और कराना उनके जीवन का लक्ष्य बन गया है।
कोरोना के समय रक्त की आपूर्ति करने में योगदान-
वर्ष 2020 में उन्होंने 54 रक्तदान शिविर आयोजित किए जबकि 2021 में अब तक 56 रक्तदान शिविर आयोजित कर 1717 रक्त इकाई राजकीय रक्त कोष को दे चुके हैं।
पुलिस सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित-
पुलिस सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित डॉ. अशोक कुमार वर्मा के नाम एक हजार से अधिक प्रशंसा पत्र हैं। वे हरियाणा राज्य के राजयपाल से रक्तदान के लिए स्वर्ण पदक भी ले चुके हैं।