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संवर्द्धन कार्यक्रम की सफलता से मिलेगी कुपोषण की समस्या से निजात
-सामुदायिक स्तर पर विशेष प्रयास से कुपोषण मुक्ति अभियान को मिलेगी मजबूती
-योजना के सफल क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण है सेविका व आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका
अररिया, 01 जून ।
भारत सरकार के नीति आयोग द्वारा चिह्नित आकांक्षी जिलों की सूची में अररिया का नाम भी शामिल है। लिहाजा आयोग की निर्धारित मानकों के अनुरूप विभिन्न आयामों पर जिले में तेजी से काम चल रहा है। कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, वित्तीय समावेशन के साथ-साथ कुपोषण मुक्ति को लेकर भी लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। इस कड़ी में अति कुपोषित बच्चों बच्चों के लिये समुदाय आधारित प्रबंधन कार्यक्रम संवर्द्धन के सफल क्रियान्वयन को लेकर आईसीडीएस व स्वास्थ्य विभाग का संयुक्त प्रयास लगातार जारी है। संवर्द्धन कार्यक्रम के सफल संचालन का जिम्मा आंगनबाड़ी सेविका व आशा कार्यकर्ताओं पर सौंपी गयी है। इसे लेकर उन्हें खासतौर पर प्रशिक्षित भी किया जा रहा है।
जिले को कुपोषण मुक्त बनाने की है पहल :
इसी कड़ी में सिकटी सीएचसी सभागार में संबंधित कर्मियों को संवर्द्धन कार्यक्रम की जानकारी देते हुए पीएमसीएच पटना सीओई की न्यूट्रिशन एक्सपर्ट स्वेता हलधर ने बताया कि नीति आयोग द्वारा बच्चों के स्वास्थ्य व पोषण संबंधी सूचकांक के अपेक्षित सुधार के उद्देश्य से संचालित संवर्द्धन कार्यक्रम जिले को कुपोषण मुक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल है। पूसा के अमित कुमार ने बताया कि संवर्द्धन कार्यक्रम में कुपोषण में कमी लाने के उद्देश्य से पूर्व से संचालित प्रयासों के अतिरिक्त समुदाय विशेष की भूमिका को महत्व दिया गया है। इसका प्रभावी क्रियान्वयन सकारात्मक परिणाम दे सकता है।
सामुदायिक स्तर पर बेहतर प्रबंधन से होगा अभियान सफल ;
संवर्द्धन कार्यक्रम के सफल संचालन में पिरामल स्वास्थ्य व यूनिसेफ जैसे स्वास्थ्य विभाग की सहयोगी संस्था की मदद ली जा रही है। डीटीएल पिरामल संजय कुमार ने कहा कि संवर्द्धन कार्यक्रम के तहत आंगनबाड़ी केंद्र पर कुपोषित बच्चों की वृद्धि निगरानी पर समुचित नजर रख कुपोषित बच्चों को चिह्नित किया जाना है। सामुदायिक स्तर पर बेहतर प्रबंधन के जरिये सुपोषित बनाने की दिशा में उचित प्रयास किया जाना है। जिला पोषण समन्वयक कुणाल श्रीवास्तव ने बताया कि ऊर्जा युक्त भोजन, माइक्रोन्यूट्रिएंट, आवश्यक मेडिकल उपचार, उचित परामर्श एवं फॉलोअप के जरिये बच्चों को सामान्य बच्चों की श्रेणी में लाने का प्रयास संवर्द्धन कार्यक्रम का उद्देश्य है। पूसा के केशव कुणाल ने बताया कि संवर्द्धन कार्यक्रम के तहत निर्धारित लक्ष्यों के प्राप्ति की दिशा में आंगनबाड़ी सेविका व आशा द्वारा अतिकुपोषित बच्चों का गृह आधारित देखभाल इस दिशा में बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।