वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
तीन दिवसीय वैज्ञानिक लेखन, अनुसंधान अखंडता और प्रकाशन नैतिकता पर आयोजित कार्यशाला का हुआ समापन।
कुरुक्षेत्र : श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के आयुर्वेद अध्ययन एवं अनुसंधान संस्थान एवं दिल्ली भारतीय चिकित्सा के लिए राष्ट्रीय आयोग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय वैज्ञानिक लेखन, अनुसंधान अखंडता और प्रकाशन नैतिकता पर आयोजित कार्यशाला का समाप्त शनिवार को हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में आयुर्वेद अध्ययन एवं अनुसंधान संस्थान के प्राचार्य डॉ. देवेंद्र खुराना रहे। उन्होंने कहा कि किसी भी कार्यक्रम की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि हम उस काम में शामिल है और उसके प्रति कितना समर्पित हैं। इसलिए लक्ष्य तभी हासिल किया जा सकता है जब हम सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ते हैं और असफलता से सीखते हैं इसके साथ ये भी ध्यान रखें कि काम की शुरुआत पूरी तैयारी और सही योजना के साथ ही करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अनुसंधान विषय समर्पण मांगता है जो पूर्णतः विज्ञान पर आधारित है। किसी भी विषय का चयन करते वक्त यह जरूर ध्यान में रखना चाहिए कि उसकी उपादेयता क्या है। विषय का चयन छात्र व समाज हित को ध्यान में रख कर करना चाहिए। तभी विषय की सार्थकता सिद्ध होगी। इसके साथ प्राचार्य ने कहा कि श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय एकमात्र देश का पहला विश्वविद्यालय है जहां पर आयुर्वेद के 14 विषयों में एमडी सहित पीएचडी भी विद्यार्थियों को कराई जा रही है और आगे भविष्य में योग एवं नेचुरोपैथी, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी में पढ़ाई करवाई जाएगी। वहीं दिल्ली भारतीय चिकित्सा के लिए राष्ट्रीय आयोग से उपस्थित विषय विशेषज्ञ डॉ. शैली छाबड़ा ने कहा कि इस तीन दिवसीय कार्यशाला का उद्देश्य तब सफल होगा जब आगे अर्जित ज्ञान को विद्यार्थियों तक स्थानांतरित किया जाएगा। क्योंकि ज्ञान की एक विशेषता है वह बांटने से ही बढ़ता है। अनुसंधान अधिष्ठाता एवं कार्यक्रम के संयोजक डॉ. आशीष मेहता ने कार्यक्रम के अन्त में उपस्थित गणमान्य अतिथियों का धन्यवाद प्रकट किया। इस अवसर डीन ऑफ कॉलेज बृजेंद्र सिंह तोमर और डॉ. सतबीर चावला उपस्थित रहे।