“ऐसे गुर कउ बलि बलि जाईये आप मुकतु मोहि तारै”

दीपक शर्मा (जिला संवाददाता)
बरेली :सिक्ख समाज की ओर से आज जहां पूरे संसार में बंदी छोड़ दिवस मनाया गया। बरेली में गुरुद्वारा श्री गुरू सिंघ सभा गुरू गोबिन्द सिंघ नगर माडल टाउन में रात्रि के विशेष दीवान सजाये गए हजूरी रागी भाई सतवंत सिंघ जी ने गुरबाणी कीर्तन गायन कर संगत को निहाल किया। ज्ञानी भाई निर्मल सिंघ जी ने बंदी छोड़ दिवस का इतिहास बताया कि कैसे तत्कालीन बादशाह द्वारा बंधक ग्वालियर की जेल से 52 हिन्दू राजाओं को जिन्हें अलग अलग थमलों से बांध रखा था, भोजन में रेत मिलाकर, पीने वाले पानी में नमक मिलाकर दिया जाता था। सोने के लिए बिछौना भी नहीं दिया जाता था खड़े खड़े ही सिर फेंक कर सोते थे। बहुत से राजा पागल हो गए थे। इन सबको ग्वालियर की जेल से छठे गुरू हरि गोबिन्द साहिब ने
रिहा करवाया। चूंकि गुरू हरि गोबिन्द साहिब को भी बादशाह जहांगीर ने गुरू जी को भी उसी जेल में बंदी बना लिया था। बादशाह बीमार पड़ गया। साईं मियां मीर ने सलाह दी की गुरू साहिब को तुरंत रिहा करो तभी ठीक होंगे। रिहा होने से पूर्व गुरू जी ने शर्त रखी की राजाओं को भी मुक्त किया जाए। बादशाह ने कहा की जो आपका दामन पकड़ कर निकल जाये उसे रिहा कर दिया जायेगा। गुरूजी के आदेश पर 52 कलियों का चोला बनवाया गया। सभी 52 राजा एक एक कली को पकड़ कर जेल से बाहर आये। गुरू साहिब
श्री दरबार साहिब अमृतसर साहिब पहुंचे। संगत ने दीपमाला कर गुरू जी का स्वागत किया। इसी खुशी में दीपमाला कर सिक्ख जगत में मनाया जाता है।
गुरुद्वारा साहिब में इस अवसर पर संगत ने दीपमाला कर खुशियां मनाई।
इस अवसर पर गुरदीप सिंघ बग्गा, राजेंदर सिंघ, हरनाम सिंघ, बलविंदर सिंघ, राणा प्रताप सिंघ, अमनदीप सिंघ का विशेष सहयोग रहा। मुख्य सेवादार मालिक सिंघ ने सबका धन्यवाद किया।




