कन्नौज
वीवी न्यूज़ संवाददाता दिव्य बाजपेई की रिपोर्ट
सुदामा चरित सुनाकर मित्रता को दर्शाया
हसेरन कस्बे आर्यावर्त बैंक ठाकुरद्वारा पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के सप्तम दिवस पर सुदामा चरित का प्रसंग सुनाया गया व्यास पीठ पर आचार्य अखिलेश द्विवेदी ने मधुर वाणी से श्रोता गणों को भगवान कृष्ण और सुदामा की मित्रता की बारे में वर्णन किया कथा प्रांगण में आचार्य का फूल मालाओं से स्वागत किया गया आचार्य द्विवेदी ने बताया भगवान कृष्ण के 16108 विवाह का वर्णन किया भगवान के विवाह की कथा का विस्तृत वर्णन कर सुनाया उन्होंने बताया मित्रता करनी है तो एक सच्चे मित्र बनना पड़ेगा सच्चा मित्र वही है जो सुख और दुख में साथ दें सुदामा ने अपने बाल सखा कृष्ण को चने ना खिलाकर खुद दूषित चने खाकर स्वयं अपने आप को दरिद्रता अपनाई व्यास जी ने बताया सुदामा एक ज्ञानी पुरुष थे वह सब कुछ जानते थे एक बार की बात सुदामा जी अपनी पत्नी और बच्चों के साथ जीवन व्यतीत कर रहे थे गरीबी का हाल था गरीबी में ही अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करते थे एक बार उनके हृदय में लालसा हुई उन्होंने मन में विचार किया आज अपने हम बालसखा कृष्ण से मिलने द्वारकापुरी जाएंगे द्वारकाधीश के द्वार पर पहुंचते ही द्वारपालों ने उन्हें रोक दिया उनसे परिचय पूछा तो उन्होंने बताया हम बचपन के मित्र हमारा नाम सुदामा है जैसे ही द्वारपालों ने जाकर कृष्ण से कहा कि आप से मिलने एक दरिद्र ब्राह्मण आया है और अपना नाम सुदामा बता रहा है जैसे ही प्रभु के गानों में इस नाम की ध्वनि पहुंची प्रभु उठकर खड़े हो गए नंगे पैरों दौड़े और अपने बाल सखा सुदामा को गले लगा लिया प्यार जी ने बताया मित्र वही है जो सुख और दुख में साथ दें श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिवस पर मित्रता का पाठ पढ़ाया मित्र बनना है सुदामा सा बनो जिन्होंने अपनी मित्रता के लिए सब कुछ त्यागा इस मौके पर बंसी शाक्य नरेंद्र भदोरिया सुरेश शाक्य पंकज शाक्य कमलेश अंशु मिश्रा हरिओम त्रिपाठी सहित सैकड़ों की संख्या में भक्तगण मौजूद रहे