सुखधाम को ही कहा जाता है स्वर्ग : बीके सरोज बहन।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र, 22 जनवरी : ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय कुरुक्षेत्र केंद्र की निदेशक बीके सरोज बहन ने कहा कि शास्त्र पढऩे वाले को भक्त कहा जाता है। भक्ति और ज्ञान दो चीजे हैं। वैराग्य किसका कहना है, भक्ति का या ज्ञान का। जरुर कहेंगे भक्ति का। अब ज्ञान मिल रहा है। इस ज्ञान से ही ऊंचा बना जा सकता है। अब भगवान सुखदाई बनाते हैं, क्योंकि सुखधाम को ही स्वर्ग कहा जाता है। उन्होंने बताया कि सुखधाम में तो सभी चलना चाहते हैं और वे पढ़ाई भी सुखधाम में चलने के लिए कर रहे हैं। जैसे उस पढ़ाई से बैरिस्टर, डाक्टर आदि बनते हैं, लेकिन इस पढ़ाई से तो देवता बनते हैं। दैवी युग अब धारण करने हैं। यह ज्ञान भी तुम्हारी आत्मा लेती है। आत्मा का कोई धर्म नहीं है, वह तो आत्मा है। फिर जब आत्मा शरीर में आती है, तो शरीर के धर्म अलग होते हैं। आत्मा का धर्म क्या है, आत्मा तो बिंदू की तरह है और इसका शांत स्वरूप है। आत्मा शांति धाम मुक्ति धाम में रहती है। अब भगवान कहते हैं कि आत्मा का पिता परमात्मा है, उसे याद करना है। यही सत्य है। आत्मा और परमात्मा का मेल होता है और संगमयुग पर जो अब चल रहा है। गायन भी है आत्मा परमात्मा अलग रहे बहुकाल…। इस दौरान बीके राजकुमारी, संतोष शर्मा, निर्मल सैनी, हीरा देवी, संतोष वर्मा, सतींद्र कौर, जरनैल कौर व सतीश कत्याल, हेम राज, विनोद शर्मा, प्रो. सुदेश चंद्र, बलवंत शर्मा और रमेश भारद्वाज मौजूद रहे।
कार्यक्रम में महावाक्य करती बीके सरोज बहन।