नदीम अहमद जॉर्नलिस्ट
दिल्ली
देवबंद से ताल्लुक़ रखने वाले सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट अदील सिद्दीक़ी कई सालों से जेलों में बंद कैदीयो की रिहाई के लिए और उनके मौलिक अधिकारों के लिए काम कर रहे हे। एडवोकेट सिद्दीक़ी साहब का कहना हे कि “ जेल में बंद कैदीयों को उसके मौलिक अधिकारों से वांछित नहीं किया जा सकता हे। क़ानून और देश का संविधान किसी भी कैदी के साथ दुर्व्यवहार या अमानवीय व्यवहार करने का या क्रूरता बरतने की अनुमति नहीं देता हे। कैदी होने का मतलब ये क़तई नहीं होता हे कि उनके सभी मौलिक अधिकार ख़त्म हो गए हे”, इसी सम्बंध में जोधपुर सेंट्रल जेल (राजस्थान) में बंद तीन कैदी – गजेंद्र, मीरा खान और सूरज की कोविड- 19 से मौत हो जाने के कारण और जेल के वार्ड में ज़्यादा भीड़ होने के कारण 28 कैदी कोरोना पॉज़िटिव पाए गए। इसी सम्बंध में दिल्ली सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट मोहम्मद अदील सिद्दीक़ी के मेहनत और प्रयासों से माननीय न्यायमूर्ति बी०आर०गवई और माननीय न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी बेंच ने रिट याचिका (आपराधिक) महेंद्र बनाम राजस्थान राज्य में महानिरीक्षक (जेल) जयपुर (राजस्थान) और जोधपुर सेंट्रल जेल (राजस्थान) के जेल अधीक्षक को नोटिस जारी कर जवाब माँगा हे। वही एडवोकेट अदील सिद्दीक़ी साहब ने बताया की वह कई सालों से जेलों में बंद कैदी जिसमें युवा वर्ग मध्य वर्ग और बुज़ुर्ग कैदी जिन की आयु 70 वर्ष उससे अधिक हे। उनकी रिहाई और उनके लिए आवाज़ उठाने का कार्य भी कर रहे हे। एडवोकेट साहब अदील सिद्दीक़ी ने बताया की हमारे देश में कई ऐसे लोग हे जो कितने ही सालों से जेलों में फँसे हुए हे। जिन्हें ना अपने मौलिक अधिकारो का पता हे। ऐसे लोगों की मदद के लिए एडवोकेट अदील सिद्दीक़ी ने एक पहल की हे।जो लोग परेशान हे उनकी पूरी पूरी सहायता करेंगे।