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श्री जयराम विद्यापीठ में चल रही भागवत कथा में शामिल हुए परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी।
वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
भागवत कथा में भगवान के दर्शन के साथ अपनी संस्कृति एवं संस्कारों की भी प्राप्ति होती है : ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी।
कुरुक्षेत्र, 13 अक्तूबर : श्री जयराम विद्यापीठ में श्राद्ध पक्ष के अवसर पर दिल्ली के विधायक महेंद्र गोयल, श्यामसुंदर, रोशन लाल, जगदीश गोयल, राजकुमार, अशोक गोयल, नानक गोयल, ईश्वर गोयल इत्यादि गोयल परिवार द्वारा की जा रही भागवत कथा में देशभर में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी शामिल हुए।
विद्यापीठ में कथावाचक ललिताम्बा पीठाधीश्वर आचार्य जयराम महाराज कथा कर रहे हैं। परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी के कथा में पहुंचने पर यजमान गोयल परिवार ने सम्मानित किया तथा आशीर्वाद लिया। ब्रह्मचारी ने सर्वप्रथम व्यासपीठ पर नमन किया तथा उसके उपरांत उन्होंने धर्मनगरी एवं गीता की जन्मस्थली पर दिल्ली, हरियाणा एवं अन्य क्षेत्रों से आए हुए श्रद्धालुओं का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि कथा को शरणागत होकर श्रवण करना चाहिए एवं उसका जीवन में अनुसरण करना चाहिए। मनुष्य को अच्छे कर्म एवं धर्म को करना चाहिए। यही कथा में प्रेरणा दी गई है।
ब्रह्मचारी ने कहा कि गीता के संदेश के माध्यम से केवल अर्जुन को ही नहीं बल्कि पूरी सृष्टि को भगवान श्री कृष्ण ने कर्म की प्रेरणा दी। भगवान कहते हैं कि अगर मुझ में समर्पित हो जाओगे तो तुम्हारी रक्षा एवं कल्याण की मेरी जिम्मेदारी है। ब्रह्मचारी ने कहा कि देश के विभिन्न राज्यों से विद्यापीठ श्री मद भागवत की कथा सुनने आने वाले श्रद्धालु सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें उस धरती पर कथा सुनने का मौका मिला जिस पर भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं गीता का अपने मुखारविंद से गीता का संदेश दिया। यहां का वातावरण ऐसा है कि हर क्षण भगवान श्री कृष्ण के होने का अहसास होता है।
ब्रह्मचारी ने कहा कि हमें कथा के अवसर पर भगवान के दर्शन के साथ अपनी संस्कृति एवं संस्कारों की भी प्राप्ति होती है। जो भी श्रद्धालु भगवान के प्रति आस्था रखते हैं भगवान किसी न किसी रूप में उनके साथ रहते हैं।
भागवत कथा के अवसर पर संदेश देते हुए परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी एवं कथा करते हुए आचार्य जयराम महाराज व श्रद्धालु।