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गुरुकुल में श्रद्धा से मनाया गया स्वामी श्रद्धानन्द बलिदान दिवस

श्रद्धानन्द ने शुद्धि आंदोलन चलाकर छुआछूत, ऊंच-नीच के भेदभाव को दूर किया – डॉ. राजेन्द्र ब्रिगेडियर डॉ. प्रवीण कुमार ने कहा केरियर काउंसलिंग की सुविधा भी देगा गुरुकुल।

कुरुक्षेत्र, (प्रमोद कौशिक) 21 दिसम्बर : स्वामी श्रद्धानन्द ने शुद्धि आंदोलन चलाकर न केवल जात-पात और ऊंच-नीच के भेदभाव को मिटाया अपितु समाज के दबे कुचले लोगों को भी मुख्यधारा से जोड़कर देश में नवजागरण का सूत्रपात किया। उक्त शब्द गुरुकुल कुरुक्षेत्र में स्वामी श्रद्धानन्द बलिदान दिवस समारोह को सम्बोधित करते हुए विख्यात वैदिक विद्वान् डॉ0 राजेन्द्र विद्यालंकार ने कहे। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को अपने भविष्य को उज्जवल और जीवन को सार्थक बनाने के लिए स्वामी श्रद्धानन्द जी जीवनी ‘कल्याण मार्ग का पथिक’ और महात्मा गांधी की पुस्तक ‘सत्य के साथ मेरे प्रयोग’ अवश्य पढ़नी चाहिए। निश्चित ही इन पुस्तकों के अध्ययन से छात्रों के मन-मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ेगा और जीवन के प्रति उनका दृष्टिकोण परिवर्तित होगा। महान् विचारक स्वामी श्रद्धानन्द के जीवन पर उन्होंने कहा कि भारतीय एकता को जब इस्लाम ने तोड़ने का प्रयास किया तो स्वामी श्रद्धानन्द ने पंडित लेखराम के साथ मिलकर इसे विफल करने में अहम भूमिका निभायी। इस अवसर पर गुरुकुल के प्रधान राजकुमार गर्ग, निदेशक ब्रिगेडियर डॉ. प्रवीण कुमार, प्राचार्य सूबे प्रताप एवं व्यवस्थापक रामनिवास आर्य ने मुख्य अतिथि डॉ. राजेन्द्र विद्यालंकार का ‘स्मृति-चिन्ह’ देकर अभिनन्दन भी किया।
स्त्री शिक्षा और वैदिक गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति के प्रबल पक्षधर स्वामी श्रद्धानन्द जी ने गुरुकुल कांगडी, गुरुकुल सूपा, गुजरात और गुरुकुल कुरुक्षेत्र जैसे संस्थाओं की नींव रखी और समाज में शिक्षा की नई क्रांति को जन्म दिया, उन्हीं की प्रेरणा से गुरुकुल कुरुक्षेत्र आज देश में संस्कारों के साथ आधुनिक, तकनीकी शिक्षा प्रदान करने वाला अग्रणी संस्थान है। वर्तमान में विशेषकर हरियाणा, पंजाब में हो रहे ‘कन्वर्जन’ पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि यह हम सभी अभिभावकों के लिए बड़ा कठिन दौर है, हमारे बच्चों को वैदिक संस्कृति और संस्कारों से दूर किया जा रहा है जो युवाओं के लिए खतरे की घंटी है। उन्होंने कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द जी के जीवन से प्रेरणा लेकर हमें ‘कन्वर्जनरूपी’ एक बीमारी को रोकना होगा, नहीं तो स्थिति केरल, कश्मीर जैसी हो जाएगी।
निदेशक ब्रिगेडियर डॉ0 प्रवीण कुमार ने अभिभावकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि गुरुकुल में छात्रों की केरियर संबंधी शंकाओं के समाधान हेतु एक विख्यात एजेंसी से टाइअप किया है जिससे आठवीं कक्षा से ही छात्र को काउंसलिंग के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि उसे किस क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना है, तभी से उसकी तैयारी भी आरम्भ हो जाएगी। गुरुकुल का यह कदम छात्रों के भावी जीवन में अहम भूमिका अदा करेगा। साथ ही उन्होंने एनडीए, आईआईटी, नीट के परिणामों पर प्रकाश डाला। उन्होंने अभिभावकों को आश्वस्त किया कि गुरुकुल कैम्पस में उनके बच्चे और उनका भविष्य पूर्णरूप से सुरक्षित है।
इससे पूर्व गुरुकुल के छात्रों ने संस्कृत, हिन्दी तथा अंग्रेजी भाषाओं में भाषण के माध्यम से स्वामी श्रद्धानन्द के जीवन पर अपने-अपने विचार व्यक्त किये। ‘कृष्ण की चेतावनी’, ‘श्रीकृष्ण-अर्जन संवाद’ और ‘अमरदीप स्वामी श्रद्धानन्द’ कोरियोग्राफी के माध्यम से छात्रों ने बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति दीं जिन पर दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा हॉल गुंजायमान कर दिया। शांतिपाठ के साथ समारोह सम्पन्न हुआ।

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