रिपोर्ट पदमाकर पाठक
बरसात के मौसम में बच्चों की करें विशेष देखभाल।रहें सतर्क!
• बच्चों को सर्दी-जुकाम से बचाएं
• मंडलीय जिला चिकित्सालय में प्लेटलेट्स चढ़ाने की है व्यवस्था
• घर के पास रखें साफ–सफाई, करें मच्छरदानी का प्रयोग
आजमगढ़।बरसात के मौसम में बच्चों की परवरिश पर विशेष ध्यान देना चाहिए। अगर बच्चों पर ध्यान नहीं दिया गया तो बच्चे बीमार पड सकते हैं। इसलिए बरसात के मौसम में बहुत सावधान रहने की आवश्यकता है।मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आईएन तिवारी ने कहा कि डायरिया, दिमागी बुखार, न्यूमोनिया एवं अन्य संक्रामक बीमारियों से बच्चों को सुरक्षित करने के लिए जीरो से 2 वर्ष के बच्चों को समय पर नियमित टीकाकरण अवश्य करवायें। उन्होंने बताया कि मंडलीय जिला चिकित्सालय में तीन बाल रोग विशेषज्ञ की ओपीडी होती है जिसमें एक डाक्टर की ओपीडी में प्रतिदिन लगभग 50 से 60 मरीज आते हैं।उनमें से 25 से 30 मरीज सर्दी – जुकाम, बुखार, सांस फूलने और उल्टी-दस्त के होते हैं।इस तरह ओपीडी में आने वाला हर दूसरा मरीज बदलते मौसम का शिकार है। ऐसे में सतर्क रहने की आवश्यकता है।जिला अस्पताल में मई माह में 2156 मरीज, जून माह में 2317 मरीज तथा जुलाई माह में अब तक 1131 मरीजों की ओपीडी की गयी है।
बदलते मौसम में बच्चों की परवरिश पर विशेष ध्यान देना चाहिए।अगर बच्चों पर ध्यान नहीं दिया गया तो बच्चे बीमार पड सकते हैं। इस मौसम में बच्चों को तीन तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, पहला- सर्दी, खांसी, जुकाम एवं बुखार, दूसरा- उल्टी-दस्त और बुखार तथा तीसरा- डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया तथा मच्छरजनित रोग। बरसात के मौसम में बच्चों को सर्दी, खांसी, जुकाम, निमोनिया उल्टी तथा दस्त की संभावना रहती है। इसलिए सतर्क रहें और अपने बच्चे को सर्दी – जुकाम से बचायें।किसी भी तरह की समस्या होने पर अपने बच्चे को नजदीकी अस्पताल में तुरंत दिखायें तथा इलाज करें। डॉ की सलाह के बिना कोई भी दवा बच्चे को कत्तई ना दें। सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग अवश्य करें।मंडलीय जिला चिकित्सालय के वरिष्ठ परामर्शदाता एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. एस.के. विमल ने बताया कि मंडलीय जिला अस्पताल में हमारी ओपीडी कमरा नंबर 20 में होती है। खासतौर से बच्चों के लिए उल्टी -दस्त होने पर सावधान रहें। साफ पीने के पानी का प्रयोग करें तथा घर का बना हुआ ताजा खाना खिलायें, बासी खाना खिलाने से परहेज करें। बच्चे को बाजार की कोई भी खुली हुई चीज बिलकुल न खिलायें। खासतौर पैर बुखार आने पर सतर्क रहें, डेंगू बुखार में बच्चों की प्लेटलेट्स कम हो सकती है। मंडलीय जिला चिकित्सालय में प्लेटलेट्स चढ़ाने की पर्याप्त सुविधा उपलब्द्ध है। डॉ विमल ने बताया कि बच्चों को पूरी आस्तीन के कपड़े पहनाएँ एवं कमरे में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें तथा सफाई रखें। घर में ओआरएस का पैकेट जरूर रखें, ताकि उल्टी-दस्त होने पर बच्चों को डिहाइड्रेशन से बचाया जा सके। उल्टी होने पर ओआरएस का घोल या अन्य पेय पदार्थ जैसे दाल का पानी, पतली दलिया तथा मांड थोड़ी -थोड़ी मात्रा में जल्दी-जल्दी देना सुनिश्चित करें, यदि बच्चा उल्टी करता भी है तो थोड़ा -थोड़ा ओआरएस का घोल तथा पेय पदार्थ देते रहें। ओआरएस के पैकेट दो तरह के होते हैं – छोटा पैकेट 200 मिलीलीटर (एक गिलास) पानी में घोलना होता है, तथा बड़ा पैकेट एक लीटर पानी में घोलना होता है। घोल बनाते समय, सही संयोजन आवश्यक है अन्यथा यह हानिकारक भी हो सकता है।
बुखार आने पर सूती गीले कपड़े से शरीर को पोंछना, बुखार उतारने का एक उपयोगी तरीका है। अगर ठंढ देकर बुखार आ रहा है तो मलेरिया हो सकता है, खून की जांच करायें तथा यथाशीघ्र इलाज करना सुनिश्चित करें। एमएमपारा रौनापार निवासी तीन वर्षीय ऋषभ की माँ बबिता मौर्या ने बताया की इसे एक महीने से रुक-रुक कर बुखार आ रहा था। एक हप्ते पहले मंडलीय जिला अस्पताल में डाक्टर को दिखाकर दवा लिया था।अब इसे पहले से काफी आराम है।आशा बहन ने ओआरएस का पैकेट दिया था, उसे भी समय-समय पर पिलाती थी, उससे भी आराम मिला है।देवड़ा दामोदरपुर निवासी छह वर्षीय प्रज्ञा पाल की माँ ने बताया कि प्रज्ञा को कुछ दिन पहले पेट दर्द और उल्टी होने कि समस्या थी। इस दौरान गाँव की आशा ने ओआरएस का पैकेट भी दिया था, उससे कुछ आराम मिला था। लेकिन उल्टी ज्यादा होने पर बुखार भी आता था। प्रज्ञा को पाँच दिन पहले मंडलीय जिला अस्पताल में दिखाया था। डाक्टर ने दवा लिखा था। आज फिर बुलाया गया था। पहले से प्रज्ञा अब काफी ठीक है।