टीबी उन्मूलन अभियान ने पकड़ी रफ़्तार, मरीजों की संख्या घटकर हुई आधी

टीबी उन्मूलन के प्रयासों में डब्ल्यूएचओ कर रहा महत्वपूर्ण सहयोग
मरीजों की जांच से लेकर इलाज तक की सुविधाओं का हो रहा अनुश्रवण

अररिया, 04 सितंबर ।

देश को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित है। इसे लेकर जिला यक्ष्मा केंद्र द्वारा मजबूती से अभियान चलाया जा रहा है। इसका असर भी देखने को मिल रहा है। वर्ष 2021 में जहाँ जिले में टीबी के 1780 मरीज थे, वहीं इस वर्ष अब इनकी संख्या घटकर लगभग आधी यानी 975 रह गयी है। इन बचे नोटिफाइड मरीजों का भी नियमित फॉलोअप किया जा रहा है। समय पर रोगियों की पहचान के लिये सदर अस्पताल सहित अन्य स्वास्थ्य केंद्रों पर विशेष शिविर आयोजित किये जा रहे हैं। ईंट भट्ठा, झुग्गी झोपड़ी, धूल-मिट्टी से भरे कार्य स्थलों पर भी समय-समय पर जांच शिविर आयोजित कर संभावित रोगियों को चिह्नित किया जा रहा है। टीबी उन्मूलन अभियान को गति देने के उद्देश्य से जिला यक्ष्मा केंद्र व डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि प्रखंडवार उपलब्ध इंतजाम व संचालित गतिविधियों का लगातार अनुश्रवण व निरीक्षण कर रहे हैं ।

प्रखंडवार उपलब्ध इंतजामों का हो रहा अनुश्रवण

डब्ल्यूएचओ की विशेष टीम द्वारा 1 से 3 सितंबर के बीच क्रमश: भरगामा, रानीगंज, पलासी एवं जोकीहाट टीबी यूनिट का निरीक्षण किया गया। इस क्रम में शनिवार को कुर्साकांटा व फारबिसगंज टीबी यूनिट का भी निरीक्षण व अनुश्रवण किया गया। अनुश्रवण टीम में शामिल डब्ल्यूएचओ के कंसलटेंट डॉ राजीव ने बताया कि टीबी उन्मूलन अभियान में प्रखंड स्तर पर उपलब्ध टीबी मरीजों की जांच, दवाओं की उपलब्धता, नियमित रूप से दवाओं का सेवन सहित अन्य मामलों का अनुश्रवण किया जाता है। ताकि अभियान को मजबूती दिया जा सके।

मरीजों को कराया जा रहा नियमित दवाओं का सेवन

जिला टीबी व एड्स समन्वयक दामोदर प्रसाद ने बताया कि जिले में फिलहाल टीबी के 975 नोटिफाइड मरीज हैं। उन्हें नियमित रूप से दवा का सेवन कराया जा रहा है। निक्षय योजना के तहत नोटिफाइड मरीजों को प्रति माह 500 रूपये की सहायता राशि का भी भुगतान किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि टीबी मरीजों की खोज में निजी चिकित्सा संस्थानों से जरूरी मदद ली जा रही है। वर्ष 2021 में जिले में कुल नोडिफाइड टीबी मरीजों की संख्या 1780 थी। इस साल जुलाई माह के अंत तक यह घटकर 971 रह गयी है ।

टीबी दवा का पूरा कोर्स करना जरूरी

जिला यक्ष्मा रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ वाईपी सिंह ने बताया कि समय पर टीबी रोग की पहचान होने पर इसका आसानी से इलाज संभव है। टीबी की दवाओं का सही ढंग से कोर्स पूरा नहीं करने व बिना चिकित्सक की सलाह पर टीबी की दवा का सेवन करने से टीबी का रोग ज्यादा गंभीर रूप ले लेता है। जिसे एमडीआर टीबी कहा जाता है। इसलिये टीबी के सामान्य लक्षण दिखने पर ही इसकी जांच व दवा के पूरे कोर्स का सख्ती से अनुपालन जरूरी है।

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