बिहार:वेतन के अभाव में शिक्षकों की हो रही है मौतें और शिक्षा विभाग मौतों को रोकने के बजाए मृत शिक्षकों की गिनती करने में लगे हैं ,,,प्रशांत कुमार

अररिया संवाददाता

अररिया।बिहार पंचायत-नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश वरीय उपाध्यक्ष सह अररिया जिलाध्यक्ष प्रशांत कुमार ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर अविलंब वेतन भुगतान की मांग सरकार से किया है। उन्होंने बताया कि आर्थिक संकट से जूझ रहे शिक्षकों को समय-समय पर वेतन भुगतान में विलंब कर सरकार गहरा आर्थिक संकट दे देती है। रुक-रुककर वेतन देना सरकार ने परिपाटी सी बना ली है। फिलहाल विगत तीन माह से बिहार के चार लाख अल्प वेतनभोगी शिक्षक वेतन के लिए तरस रहे हैं। लिहाजा शिक्षकों के समक्ष भयानक आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। शिक्षकों को घर चलाने में परेशानी हो रही है। ऐसे कई शिक्षक हैं जो रुपये के अभाव में समय पर अपना ईलाज तक नहीं करा पा रहें हैं समुचित ईलाज के अभाव में शिक्षकों की मौतें हो रही है और शिक्षा विभाग मौतों को रोकने के बजाए मृत शिक्षकों की गिनती करने में लगे रहते हैं। इसे दुर्भाग्य नहीं कहें तो और क्या? बावजूद शिक्षक देश के भविष्य नौनिहालो को सवांरने के लिए संकल्पित है। बिहार के चार लाख शिक्षक छात्र/छात्राओं को कोरोना काल की वजह से पढ़ाई में हुई क्षति को पुरा करने में लगे हुए है।
प्रदेश वरीय उपाध्यक्ष ने आगे कहा कि शिक्षक विद्यालय में रहकर बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं। मगर सरकार की शिक्षा व शिक्षकों के प्रति नकारात्मक सोच की वजह से शिक्षक अपने संवैधानिक अधिकारों को लेकर मजबूरी बस रोड पर उतरने पर मजबूर हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षकों के भलाई की सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें करती है, मगर करता कुछ नहीं है। सच्चाई यह है कि सरकार विगत 16 वर्षों से समय से शिक्षकों को आजतक वेतन तक नही दे पाई है। एक वर्ष पूर्व बिहार कैबिनेट से 15% वेतन वृद्धि, स्थानांतरण को मंजूरी दी थी। उसे भी अभी तक लागू नहीं कर शिक्षकों के साथ क्रूर मजाक कर रही है सरकार। कहा कि सरकार के जुल्मो-सितम की इंतहा हो गई है। उन्होंने चैतावनी भरे लहजे में कहा कि अब और बर्दाश्त नही किया जाएगा। समय रहते सरकार शिक्षकों की सभी समस्याएं यथा प्रति माह वेतन भुगतान, 15% वेतन वृद्धि का लाभ, स्थानांतरण, सभी प्रकार के ऐरियर का भुगतान, प्रधानाध्यपक पद पर प्रोन्नति का लाभ, अप्रशिक्षित शिक्षकों का लंबित वेतन भुगतान जैसे गंभीर समस्याओं का समाधान नहीं करती है, तो बिहार के लाखों शिक्षक एक बार फिर आन्दोलन के लिए बाध्य होगी। जिसकी पुरी जिम्मेदारी बिहार सरकार की होगी।

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