हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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लोगों का अपने बच्चों के रिश्तों के प्रति तनाव को दूर करने में अहम भूमिका निभाता है पण्डित जी फाउंडेशन।
नई दिल्ली :- पण्डित जी फाउंडेशन के अध्यक्ष व अनेक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सामाजिक , धार्मिक संस्थाओं के ट्रस्टी ओर साथ मे बिना किसी तृष्णा के युवक व युवतियों को कामयाब वैवाहिक रिश्तों में बांधने वाले पण्डित तीर्थ प्रकाश वत्स जी ने आज अपने अनुभव सांझा करते हुए बताया कि मनुष्य को कभी भी अहंकार नही करना चाहिये क्योंकि इस मनुष्य योनि में जन्म लेने के बाद अगर कोई उसका सबसे बड़ा शत्रु है तो वह अहंकार ही है उन्होंने बताया कि यदि आपके पास अहंकार भाव है तो समझ लेना फिर आपको किसी और शत्रु की जरुरत ही नही क्योंकि अहंकार वो सब काम कर देगा शायद जो काम कोई महाशत्रु भी न कर सके। अहंकार बड़ा ही शक्तिशाली होता है।
वो अहंकार ही तो था जिसके बल पर रावण ने साक्षात त्रिभुवनपति श्रीराम जी को ही चुनौती दे डाली, जिसके बल पर कंस ने जगत पालक को ही बालक मान कर उसे मारने के प्रयत्न शुरू कर दिए।
जिसके बल पर दुर्योधन ने एक सती नारी के चीर पर ही भरी सभा में हाथ डालने का आदेश दे दिया। अहंकार आग की वो धधकती लपटें हैं, जो गर्म तो नहीं मगर जलाकर राख अवश्य कर देती हैं। अतः अहंकार में नहीं अपितु प्यार और उपकार में जीने का प्रयास करना चाहिए। पण्डित तीर्थ प्रकाश वत्स जी ने अपना सारा जीवन लोगों का अपने बच्चों के रिश्तों के प्रति तनाव को दूर कर युवक व युवतियों की जोड़ी मिलाने व ब्राह्मण बच्चों को रोजगार दिलाने में लगा दिया ।
आज पण्डित जी देश ही नही विदेशों में भी बसे भारतीयों के बच्चों को उनकी कद काठी शिक्षा को ध्यान में रखते हुए कामयाब रिश्ते करवाने वाले व रोजगार उपलब्ध करवाने वाले पण्डित जी के नाम से जाने जाते है उन्होंने अपना मुख्य कार्यालय दिल्ली में बना रखा है जिनका दूरभाष नम्बर 93110 – 82100 व 98681- 05060 है। पण्डित जी ने बताया कि मनुष्ययोनि बार बार नही मिलती यह योनि समाजसेवा व मोक्ष प्राप्ति के लिए ही मिलती है अतः इस योनि में जन्म लेकर मनुष्य को किसी भी प्रकार का अहंकार नही करना चाहिये।