शुभ कृत्य सम्पादित करने के मूहर्त प्रारंभ होंगे 11 जुलाई से : डा. महेंद्र शर्मा ज्योतिषाचार्य

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

एक लंबे अंतराल के बाद नगर में विवाह की शहनाइयां गूंजेगी , मंदिरों के शिलान्यास और मूर्ति स्थापना के साथ गृह प्रवेश, नामकरण , उपनयन आदि संस्कार समाप्दित होंगे।

पानीपत : शास्त्री आयुर्दिक अस्पताल पानीपत के संचालक एवं प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डा . महेंद्र शर्मा ने बताया कि उत्तर भारत की अपनी ही परम्परा जिस में खर मास और कार्तिक मास, त्रयोदश दिनात्मक पक्ष श्रद्धा पर्व श्राद्ध पक्ष होलाष्टक गुरु और शुक्रास्त होने पर शुभ कार्य नहीं किए जाते अन्यथा समस्त शुभ मुहूर्त ग्रहण किए जाते हैं। चतुर्मास्य पर चार माह की वर्जना हमारे यहां लागू नहीं होती। इस वर्ष 7 जुलाई 2024 को शुक्रोदय होने के पश्चात शुभ विवाह, गृहप्रवेश, नव व्यवसाय, प्रतिष्ठान और विपणन प्रारंभ करने के शुभ मुहूर्त 11 जुलाई से प्रारंभ होंगे। गुरु/शुक्रोदय या गुरु/शुक्रास्त के पहले और बाद के 3/3 दिन तक इनको बाल्यतव और वृद्धत्व दोष रहता है। इसलिए शुभकार्य गुरु/शुक्र ग्रह के बलि होने पर ही संपादित करने का वैदिक आदेश है। मंदिर/ देवस्थानों के शिलान्यास और देवविग्रह मूर्तिस्थापना के मुहूर्त 11 से 15 जुलाई तक ही हो सकेंगे क्योंकि 16 जुलाई से सूर्य दक्षिणायन में प्रवेश कर जाएंगे। दक्षिणायन में देवविग्रह संबंधित कृत्य संपादित नहीं किए जाते।
उत्तर भारत में 7 जुलाई 2024 को शुक्रोदय होने के पश्चात 16 अक्टूबर में कार्तिक माह की संक्रांति तक समस्त शुभ कृत्यों के मुहूर्त प्रशस्त रहेंगे। उत्तर भारत के समस्त पंचांगों में विवाह के शुभ मुहूर्त निम्नलिखित हैं।
आषाढ माह से अश्विन (जुलाई से अक्टूबर) तक के विवाह मुहूर्त
जुलाई 11,12,14,19, 20, 21, 22, 23, 27, 30, 31
अगस्त 5, 6,7, 8,11,18,19, 23, 24, 26, 27, 28
सितंबर 4,7,8,9,10,11, 12,13,14 अक्टूबर 3,6,7, 11,12 को शुभ विवाह के मुहूर्त समस्त पंचांगों अंकित हैं। उत्तर भारत में आषाढ मास देवशयनी एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्ल श्री हरी प्रबोधिनी एकादशी तक चतुर्मास में पूर्वी भारत की शुभ कृत्य की वर्जना पर विचार नहीं किया जाता, यदि ऐसा होता तो उत्तर भारत के समस्त पंचांगों में लोक मान्यताओं और स्थानीय परंपराओं के प्रचलन से इन मुहूर्तों को अंकित क्यों किया गया है। विवाह आदि शुभ मुहूर्त प्रसंग के प्रमाण में आप अपने अपने जनपद नगरों के विवाह मंडपों में जाकर संज्ञान ले सकते हैं कि क्या चतुर्मास (आषाढ़ से कार्तिक तक) की ऊपर लिखी गई अंग्रेजी तारीखों को विवाह मंडप खाली हैं।
इस संवत्सर 2081 में 24 अप्रैल को शुक्रास्त, 6 मई को गुरु अस्त, 23 जून से 5 जुलाई तक त्रयोदश दिनात्मक पक्ष के कारण विवाह गृह प्रवेशादि शुभ कृत्य वर्जित थे। उत्तर भारतीय जनमानस बड़ी उत्सुकता से 11 जुलाई 2024 की प्रतीक्षा कर रहा है, जब हमारे परिवारों में सुकृत्य प्रारंभ होंगे।
आचार्य डॉ. महेंद्र शर्मा पानीपत।

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