आजमगढ़: आचार्य हरिहर कृपालु के ना रहने पर कुरहंस गावं में स्तिथ श्री महारथी संस्कृत विद्यालय की हालत खस्ता

आजमगढ़: आचार्य हरिहर कृपालु के ना रहने पर कुरहंस गावं में स्तिथ श्री महारथी संस्कृत विद्यालय की हालत खस्ता ,

आचार्य हरिहर कृपालु के जाने के बाद से महारथी संस्कृत विद्यालय की हालत खस्ता, नहीं विद्यालय में पढ़ते हैं बच्चे न पढ़ाते हैं अध्यापक, संस्कृत विद्यालय की कक्षाएं रहती है बंद,

आजमगढ़ जिले के जीयनपुर थाना क्षेत्र के ब्लॉक अजमतगढ़ के कुरहंस गांव में स्थित श्री महारथी संस्कृत विद्यालय में विद्यालय के समस्त कक्षाएं बन्द है शिक्षण कक्ष और प्राचार्य कक्ष भी बंद पड़े हैं

शिक्षा के नाम पर कुछ नहीं हो रहा है , बच्चे और अध्यापक दोनों विद्यालय से नदारद हैं ,

अध्यापक सिर्फ हर महीने वेतन उठा रहे हैं बेंच और डेस्क धूल फांक रहे हैं , मानो विद्यालय सिर्फ नाम का रह गया है
यह संस्कृत विद्यालय सिर्फ कागजों में ही चल रहा है ,

विद्यालय खुलने के समय पर जब मीडिया कर्मी श्री महारथी संस्कृत विद्यालय में गए तब ना ही कोई अध्यापक ना ही कोई विद्यार्थी और ना ही विद्यालय के प्रधानाचार्य मौके पर मौजूद रहे |
मीडिया कर्मियों को विद्यालय में आने की सूचना पाकर विद्यालय के समीप ही सहायक अध्यापक कृष्ण मुरारी तिवारी और आशा तिवारी का घर होने के कारण वे भागते हुए विद्यालय आए ,
वही मौके पर सहायक अध्यापक कृष्ण मुरारी तिवारी से जब राम का रूप पूछा गया तब वह कहने लगे आप हमारे प्रधानाध्यापक से बात करिए

श्री महारथी संस्कृत विद्यालय की हालत देखने से प्रतीत होता है कि पूर्व प्रधानाध्यापक आचार्य हरिहर कृपालु जब तक थे

तब तक व्यवस्थाएं सुचारू ढंग से चल रही थी लेकिन उनके ना रहने के बाद से मानो सारी व्यवस्थाएं ढीली पड़ गई हैं और शिक्षा व्यवस्था कहीं गुम हो गई है यह हजारों विद्यार्थियों के साथ सरासर अन्याय है और यह मुद्दा कोई साधारण नहीं बल्कि शिक्षा व्यवस्था के साथ जुड़ा है ,

यह प्रश्न विद्यार्थियों के जीवन का और एक बड़े भ्रष्टाचार का है

देश के अन्दर जिस तरीके से योगी जी अपनी भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए तरह तरह के प्रयास कर रहे है , कही जिलों के नाम बदल रहे है तो कही हिंदू संस्कृति को जगाने का काम कर रहे रहे हैं , वहीँ इस तरह की लापरवाही से भारतीय संस्कृति को काफी धक्का लग सकता हैं , क्योकि एक विद्यालय से हजारों छात्र पढ़ के निकलते है कब कौन सा छात्र देश की भारतीय संस्कृति को आगे लेकर जाए और उसके काम आये ये कौन जानता है , पर शासन – प्रशाशन को ताक पर रख कर इस कुरहंस गाव में स्तिथ श्री महारथी संस्कृत विद्यालय के प्रधानाचार्य एवं अध्यापक संस्कृत विद्यालय की धज्जिया उड़ा रहे है , भारतीय संस्कृत को लुप्त करने में लगे है , सरकार ऐसे सांस्कृतिक विद्यालयों पर ध्यान दें

रिपोर्ट पदमाकर पाठक

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