मानव के जीवन को आदर्श बनाता है भारतीय संविधान : प्रो. भरतराम कुम्हार।

मानव के जीवन को आदर्श बनाता है भारतीय संविधान : प्रो. भरतराम कुम्हार।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 94161-91877

‘‘संविधान के 70 वर्ष: लोकतंत्र के रूप में कितने सफल’’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन।

कुरुक्षेत्र, 23 जनवरी:- विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान द्वारा ‘‘संविधान के 70 वर्ष: लोकतंत्र के रूप में कितने सफल’’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यान में विद्या भारती राजस्थान के अध्यक्ष एवं राजकीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान के पूर्व चेयरमैन प्रोफेसर भरतराम कुम्हार मुख्य वक्ता रहे। अध्यक्षता कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में फैकल्टी ऑफ लॉ के चेयरमैन एवं डीन डॉ. सुनील यादव ने की। संस्थान के निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह ने मुख्य वक्ता का परिचय कराते हुए बताया कि प्रो. भरतराम राजस्थान विश्वविद्यालय, जोधपुर विश्वविद्यालय, उदयपुर विश्वविद्यालय की सीनेट के सदस्य एवं अजमेर विश्वविद्यालय की प्रबंधक समिति के सदस्य भी रहे। वे राजस्थान में 5 विश्वविद्यालयों के अधिकारियों की चयन समिति के सदस्य रहे। विषय की प्रस्तावना रखते हुए विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान के सचिव अवनीश भटनागर ने कहा कि लोकतत्र के रूप में भारत कितना सशक्त होकर खड़ा हुआ है, यह हमारे सामने 70 वर्ष बाद समीक्षा का अवसर है। किसी देश की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर यह विचार करना कि 75 वर्ष पहले भारत को कौन से स्वप्न के साथ हमारे पूर्वजों ने जिन्होंने अपने जीवन का संघर्ष करके इस देश को स्वतंत्रता दिलाई, उनके जीवन के लक्ष्य को पूर्ण करने में हम कितने सफल रहे, यह हमारे लिए समीक्षा का विषय है।
मुख्य वक्ता प्रो. भरतराम कुम्हार ने कहा कि भारत के संविधान में ऐसी उदात्त प्रस्तावना है जो संविधान के स्रोत, भारत का स्वरूप क्या होगा एवं उन पवित्र उद्देश्यों का उल्लेख भी करती है जिन्हें हम संविधान के तहत प्राप्त करना चाहते हैं। संविधान के भाग 3 में उन मूल अधिकारों को संवैधानिक स्तर प्रदान किया गया जो न केवल मानव को अन्य प्राणियों से भिन्न करते हैं बल्कि मानव के जीवन को आदर्श जीवन भी बनाते हैं। उन्होंने राज्य के चार तत्वों भूमि क्षेत्र, उसमें निवास करने वाले नागरिक, सार्वभौमिकता और सरकार की विस्तृत व्याख्या करते हुए बताया कि संविधान में भी चार बातों से संबंधित विधि होती है। भारत में शासन पद्धति के रूप में लोकतंत्र को स्वीकार किया गया है। संविधान की प्रस्तावना में ही यह स्पष्ट घोषणा की गई है कि हम भारत को लोकतंत्रात्मक गणराज्य बना रहे हैं। भारत में लोकतंत्र अति प्राचीन समय से है। त्रेता युग में भी जब श्रीराम के राज्याभिषेक की बात आई थी, तब महाराज दशरथ ने नगर-नगर के प्रमुख लोगों, राजाओं, सामंतों को बुलाया था और उस सभा में दशरथ ने कहा था कि मैं राम को राज्याभिषेक दे सकता हूं क्या? यही हमारे प्राचीन लोकतंत्र का एक उदाहरण है।
उन्होंने कहा कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के तुरंत बाद अंग्रेज इस बात को समझ गए थे कि यदि भारत का शासन चलाना है तो उसमें भारतीयों का भी कुछ हाथ होना आवश्यक है। 1861 में इंडियन कौसिल एक्ट बना, जिसमें स्वीकार किया गया कि भारतीयों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए। 1892 के इंडियन कौसिल एक्ट में सिद्धान्त रूप में यह स्वीकार किया गया कि चुनाव भी हो सकते हैं। उसके बाद 1909 का भारत परिषद अधिनियम में चुनाव को स्वीकार किया गया लेकिन दुर्भाग्य से साम्प्रदायिक चुनाव प्रणाली स्वीकार कर ली गई और यही भारत के विभाजन का कारण बन गया।
1935 के एक्ट के बाद राजनीति में सुभाष चंद्र बोस के रूप में महापुरुष का अवतरण हुआ, जिन्होंने भारत को स्वतंत्रता दिलाई। वर्ष 1939 से 1945 तक द्वितीय विश्व युद्ध हुआ। इसमें अंग्रेजों की राजनैतिक और आर्थिक शक्ति को झकझोर कर रख दिया गया। ब्रिटिश पार्लियामेंट द्वारा पारित इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947 आया और इसके द्वारा भारत स्वतंत्र हुआ और हमारी संविधान सभा देश के लिए कानून बनाने वाली सर्वोच्च संस्था सुप्रीम बॉडी ऑफ लॉ मेकिंग बन गई और इसी ने सुप्रीम कोर्ट बनाया। उन्होंने कहा कि 284 सदस्यों वाली संविधान निर्मात्री सभा ने 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में 25 नवम्बर 1949 को संविधान तैयार कर लिया एवं 26 नवम्बर 1949 को इसेे स्वीकार और अंगीकृत कर लिया।
व्याख्यान की अध्यक्षता करते हुए डॉ. सुनील यादव ने भारत के संविधान के निर्माण की पृष्ठभूमि एवं वर्तमान में उसकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हमें हमारे संविधान पर गर्व है कि अन्य देशों के मुकाबले भारत का संविधान लचीला है और हमारे मूल अधिकारों व कर्तव्यों की रक्षा करता है। हमारा संविधान विश्व में सबसे बड़ा और लिखित संविधान है। भारतीय संविधान का प्रत्येक शब्द अपने आप में स्वयं व्याख्यायित है, भावों से भरा हुआ है। संस्थान के निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह ने वक्ता एवं देशभर से जुड़े सभी श्रोताओं का धन्यवाद किया और सर्वे भवन्तु सुखिनः की कामना के साथ व्याख्यान का समापन हुआ।
व्याख्यान में संबोधित करते विद्या भारती राजस्थान के अध्यक्ष प्रो. भरतराम कुम्हार, प्रस्तावना रखते वि.भा.सं.शि.संस्थान के सचिव अवनीश भटनागर, अध्यक्षता करते कुवि में चेयरमैन एवं डीन डॉ. सुनील यादव तथा परिचय कराते संस्थान के निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह।

Read Article

Share Post

VVNEWS वैशवारा

Leave a Reply

Please rate

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

ਨੂੰ ਨੇਤਾ ਜੀ ਸੁਭਾਸ਼ ਚੰਦਰ ਬੋਸ ਜੀ ਦੀ 125ਵੀਂ ਜਯੰਤੀ ਮੌਕੇ ਤੇ ਸਰਕਾਰੀ ਹਾਈ ਸਕੂਲ ਕੋਠੇ ਪੱਤੀ ਮੁਹੱਬਤ ਵਿਖੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਇਸ ਦਿਵਸ ਬਾਰੇ ਜਾਗਰੂਕ ਕਰਨ ਲਈ ਇੱਕ ਸੈਮੀਨਾਰ

Sat Jan 23 , 2021
ਅੱਜ ਮਿਤੀ 23.01.2021 ਨੂੰ ਨੇਤਾ ਜੀ ਸੁਭਾਸ਼ ਚੰਦਰ ਬੋਸ ਜੀ ਦੀ 125ਵੀਂ ਜਯੰਤੀ ਮੌਕੇ ਤੇ ਸਰਕਾਰੀ ਹਾਈ ਸਕੂਲ ਕੋਠੇ ਪੱਤੀ ਮੁਹੱਬਤ ਵਿਖੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਇਸ ਦਿਵਸ ਬਾਰੇ ਜਾਗਰੂਕ ਕਰਨ ਲਈ ਇੱਕ ਸੈਮੀਨਾਰ –ਮੋਗਾ 23 ਜਨਵਰੀ (ਸ਼ਾਲੀਨ ਸ਼ਰਮਾ, ਜਿਲਾ ਇੰਚਾਰਜ, ਮੋਗਾ) -ਮਾਨਯੋਗ ਸ਼੍ਰੀ ਬਗੀਚਾ ਸਿੰਘ ਸੀ.ਜੇ.ਐਮ.-ਕਮ-ਸਕੱਤਰ, ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਕਾਨੂੰਨੀ ਸੇਵਾਵਾਂ ਅਥਾਰਟੀ, ਮੋਗਾ […]

You May Like

advertisement