बरेली: रबड़ फैक्ट्री भूमि की बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई न होने पर अंतरराष्ट्रीय वैश्य सम्मेलन के जिलाध्यक्ष ने राष्ट्रीय अध्यक्ष को लिखा पत्र

रबड़ फैक्ट्री भूमि की बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई न होने पर अंतरराष्ट्रीय वैश्य सम्मेलन के जिलाध्यक्ष ने राष्ट्रीय अध्यक्ष को लिखा पत्र

बरेली : फतेहगंज पश्चिमी में रबड़ फैक्ट्री की 18 अरब रुपये की भूमि सरकार को वापस करवाने हेतु बॉम्बे हाईकोर्ट में केंद्र व प्रदेश सरकार की कड़ी पैरवी कर औधौगिक सिडुकल की स्थापना व बॉम्बे हाईकोर्ट हर तारीख पर सरकार की सुनवाई न होने के मामले में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री,व आई वी एफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष से मांग की गई।
बरेली के फतेहगंज पश्चिमी में स्थापित 1998 से बन्द पड़ी रबड़ फैक्ट्री की जमीन के स्वामित्व को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में सुस्त पड़ी सुनवाई व कर्मचारियों के वाकया भुगतान को लेकर अंतर्राष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन के युवा जिलाध्यक्ष आशीष अग्रवाल ने पुनः केंद्र सरकार के शीर्ष नेतृत्व समेत अंतर्राष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक अग्रवाल के माध्यम से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ग्रह मंत्री अमित शाह के लिए कार्यालय में सम्पर्क कर चर्चा हेतु मिलने का समय मांगा, और प्रकरण के सन्दर्भ में एक मांग पत्र भी भेजा है, श्री अग्रवाल ने यूपी सरकार के बेशकीमती तेरह सौ एकड़ भूमि को 24 वर्ष से बन्द पड़ी फैक्ट्री प्रबंधन की लापरवाही व बैंकों व अन्य प्राइवेट कंपनियों की सांठगांठ से मामले को कोर्ट में उलझाए रखे जाने का आरोप लगाते हुए बताया कि बॉम्बे हाईकोर्ट में वाद संख्या 3821/1999 12 जुलाई 2002 से माननीय उच्च न्यायालय मुम्बई ने फैक्ट्री की चल अचल संपत्ति को अपने अधिकार में लेकर कोर्ट रिसीवर तैनात किया गया था, इस दौरान फैक्ट्री की लाखों की कीमत की मशीनों, लोहा, सिल्वर को खुर्द बुर्द किया गया जिसकी जिम्मेदारी कोर्ट रिसीवर की थी इसमें यूपी सरकार का कोई हस्तक्षेप नही था। फैक्ट्री प्रबंधन के लोन की वसूली प्रबंधन से करने के बजाय यूपी सरकार की भूमि को हड़पकर वसूली की योजना बनाई गई, जबकि फैक्ट्री की स्थापना के समय हुई सेल डीड में साफ है कि फैक्ट्री के बन्द होने की दशा में 6 माह के अंदर भूमि सरकार को वापस दी जाएगी। उसी सेल डीड के अनुसार 24 वर्ष गुजर जाने के वाद भी सरकार को भूमि वापस नही मिली व मामले को जानबूझकर बॉम्बे हाईकोर्ट में लटकाया जा रहा है उन्होंने मांग की अगर बॉम्बे हाईकोर्ट वर्षों से इस केस में फैसला नही सुना पा रही है तो उनके माध्यम सुप्रीम कोर्ट में भेजी गई जनहित याचिका पर जल्द से जल्द सुनवाई हो या केस को सुप्रीम कोर्ट में हस्तांतरण कर दिया जाय।इस प्रकरण में अंतर्राष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन के माध्यम देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति के कार्यालय में भी सम्पर्क कर महामहिम से हस्तक्षेप की गुहार लगाई गई है ।

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