धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में बुजुर्गों की दयनीय हालत को बयां कर गया नाटक बलि और शम्भू।

धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में बुजुर्गों की दयनीय हालत को बयां कर गया नाटक बलि और शम्भू।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 94161- 91877

जिंदगी के आखरी पड़ाव पर बेबस पिता की कहानी दिखा गये बलि और शम्भू।
रास कला मंच के कलाकारों ने छूआ दिल, अभिनय से छोड़ी छाप।

कुरुक्षेत्र :- शायद हर ओल्ड एज होम में एक बलि और शम्भू होंगे। ये वे लोग हैं जो किन्हीं कारणों के चलते अपने परिवार से अलग रह रहे हैं। उनका अपना इतिहास है और उनके इतिहास से जुड़ी कुछ स्मृतियां। कुछ स्मृतियां अच्छी हैं तो कुछ बुरी भी। कला कीर्ति भवन, कुरुक्षेत्र की भरतमुनि रंगशाला में आयोजित हुआ नाटक बलि और शम्भू ऐसे ही दो बुजुर्गों की कहानी है। जिनमें से एक को उसके घर से निकाल दिया गया है और दूसरा अपनी इकलौती बेटी की मौत के बाद अकेला वृद्धाश्रम में रह रहा है। गौरतलब है कि हरियाणा कला परिषद द्वारा उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज तथा हस्तशिल्प वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित गांधी शिल्प बाजार के दौरान सात दिवसीय नाट्य रंग महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें प्रतिदिन अलग-अलग नाटकों का मंचन हो रहा है। इसी कड़ी में रास कला मंच, सफीदों के कलाकारों द्वारा अभिनीत तथा रवि मोहन के निर्देशन में मानव कौल का लिखा हुआ नाटक बलि और शम्भू मंचित हुआ। इस मौके पर सोनीपत से अतिरिक्त उपायुक्त अशोक बंसल बतौर मुख्यअतिथि कार्यक्रम में पहुंचे। वहीं विशिष्ट अतिथि के रुप में कुवि के युवा एवं संस्कृति विभाग के निदेशक डा. महासिंह पूनिया उपस्थित रहे। अन्य मेहमानों में चंद्रप्रकाश तथा मनीष सिंधवानी ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। कला परिषद के निदेशक संजय भसीन ने पुष्पगुच्छ भेंट कर अतिथियों का स्वागत किया। वहीं हरिकेश पपोसा ने हरियाणवी पगड़ी पहनाकर अतिथियों का सम्मान किया। मंच का संचालन मीडिया प्रभारी विकास शर्मा द्वारा किया गया। अपने विचार व्यक्त करते हुए अशोक बंसल ने कला परिषद के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि कोरोना महामारी से जूझ रहे कलाकारों को पुनः मंच प्रदान कर अपनी कला बिखेरने का अवसर देकर कला परिषद ने सार्थक पहल की है। वहीं देशभर के शिल्पकारों को एक ही मंच पर लाकर कुरुक्षेत्र में गीता जयंती का माहौल बनाना भी सराहनीय कदम है।
नाटक बलि और शंभू ने दिया खूबसूरती से जिंदगी जीने का संदेश।
दिल को छू गए बलि और शम्भू, दर्शकों की आंखे हुई नम लगभग दो घण्टे की अवधि वाले नाटक बलि और शम्भू में वृद्धाश्रम में रहने वाले दो बुजुर्गों की हालत पर प्रकाश डाला गया। नाटक में दिखाया कि जब बच्चे बड़े होते हैं तो मां बाप से उनकी अपेक्षाएं भी बड़ी होने लगती है। फिर बड़े होने के बाद बच्चे अपने मां बाप से दूर चले जाते हैं। कुछ रह जाता है तो बस अपेक्षाएं। प्यारी नोकझोक के बीच कलाकारों ने जिंदगी की सच्चाई और बुढ़ापे की पीड़ा को बयां किया तो दर्शक भावुक हो गए। नाटक बलि और शम्भू ने ओल्ड एज होम में रहने वाले बुजुर्गो की भावनाओं को बड़े ही मार्मिक तरीके से पेश कर समाज को आइना दिखाया। शम्भू अपनी बेटी तितली को बहुत प्यार करता है, लेकिन तितली भागकर शुभांकर से शादी कर लेती है। शादी के बाद अपने पिता से माफी मांगकर उनको मनाने के लिए वापस घर लौटते समय कार एक्सीडेंट में उसकी मौत हो जाती है। बेटी की मौत के बाद शम्भू घर छोड़कर ओल्ड एज होम आ जाता है। कुछ दिन बाद वहां पर रहने के लिए बलि आता है, जिसको उसके घर वालों ने निकाल दिया है। पहले तो बलि और शम्भू में बिलकुल नहीं बनती, लेकिन धीरे धीरे वे दोस्त बन जाते हैं। अपनी जिंदगी के दर्द को सांझा करने के साथ साथ एक दूसरे को हंसाकर खुश होते हैं। कुछ दिन बाद शम्भू की मौत हो जाती है और बलि अकेला हो जाता है। शम्भू की मौत के बाद तितली का पति शुभांकर, जो दो साल से शंभू को पत्र भेजकर मिलने की तमन्ना जताता है, वह मिलने आता है। शुभांकर से बलि खुद को शंभू बताकर मिलता है। दोनों एक दूसरे से अपना दर्द बांटते हैं। थोड़ी देर बाद जब शुभांकर चला जाता है तो बलि को ओल्ड एज होम में काम करने वाले कर्मचारी गौतम से पता चलता है कि शुभांकर को शम्भू की मौत का सच पता होने के बाद भी उसने यह जाहिर नहीं किया। इस प्रकार नाटक में कलाकारों ने इंसान के अंर्तद्वद्व को दिखाने का प्रयास किया । एक ओर जहां इंसान जिंदगी के अंतिम पड़ाव में अतीत के पलों ढोते ढोते आखिरी पलों के इंतजार में जिंदगी गुजारने लगता है, वहीं दूसरी ओर इंसान आखरी समय में नये रिश्ते बनाकर जिंदगी को खूबसूरती से जी सकता है। नाटक में मुख्य भूमिकाओं में प्रेम नांगल, सुधाशुं गिरी, मोहित कुमार, रुबी चैाहान, प्रेरणा सिंह, अनुज कुमार, यशु दास, सोनू सिंघानियां, आदित्या पंडिता, न्यूम अंसारी, सुरेश निर्वाण, सोहन कुमार, दिनेश, अर्पित यादव, योगिता, पूजा पाठक आदि रहे। अंत में मुख्य अतिथि ने सभी कलाकारों को सम्मानित किया।
गांधी शिल्प मेले में बागपत की चादरों और लखनऊ की चाट ने मोहा पर्यटकों का मन
भारत सरकार और हरियाणा सरकार के संयुक्त तत्वावधान में ब्रहमसरोवर स्थित कला कीर्ति भवन के प्रांगण में लगे गांधी शिल्प में पर्यटकों का तांता लगा हुआ है। देशभर से आए शिल्पकारों के हस्तशिल्पों से न केवल मेले की शोभा बढ़ रही है, बल्कि पर्यटक निरंतर खरीदारी करते हुए भी नजर आ रहे हैं। बागपत उत्तरप्रदेश के दानिश द्वारा तैयार चादरें आंगतुकों को लुभाने में कामयाब हो रही हैं। दानिश का कहना है कि शिल्प मेले के पहले दिन से ही लोगों द्वारा चादरों की खूब खरीदारी की जा रही है। वहीं परिसर में लगे राजस्थान, लखनऊ तथा हरियाणा के फूड कोर्ट भी लोगों के जायके में बदलाव लाने में कामयाब हो रहे हैं। लखनऊ की चाट और गोहाना का जलेब लोगों को खूब भा रहा है। इसके अलावा हरियाणा के लोकवाद्य यंत्र बीन पर आंगतुक झूमते नजर आते हैं।
होगा नाटक मां का मंचन।
सात दिवसीय नाट्य रंग महोत्सव में आज पाली भूपिंद्र के लिखे नाटक मां को मंचित किया जाएगा। फेथ इन थियेटर ग्रुप के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत नाटक का निर्देशन ऋषिपाल द्वारा किया गया है। यह जानकारी कला परिषद के मीडिया प्रभारी विकास शर्मा ने दी। उन्होंने बताया कि 11 बजे से प्रारम्भ होने वाले शिल्प मेले के दौरान शाम 6.30 बजे नाटक मंचन होगा।

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