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जांजगीर-चाम्पा 12 जुलाई 2022/सामाजिक कार्यकर्ता निवासी रायपुर श्री ओमेशबिसेन ने बताया कि उनके द्वारा लोकपाल (मनरेगा) जिला गरियाबंद को 25.11.2021 को शिकायत आवेदन निराकरण हेतु डाक द्वारा प्रेषित किया गया था, जो कि लोकपाल कार्यालय में 08.12.2021 को पंजीकृत हुआ तथा 27.04.2022 को अवार्ड पारित होकर उन्हे उक्त अवार्ड की छायाप्रतिलिपि (अप्रमाणित) डाक द्वारा दिनांक 02.07.2022 को प्राप्त हुआ है। उक्त पारित अवार्ड में लोकपाल महोदय द्वारा निम्नानुसार अनुसंसाये की गई है। 1,2,3,4 लोकपाल ने उक्त अवार्ड में लेख किया है कि उनके नोटिसों का जल संसाधन विभाग गरियाबंद के कार्यपालन अभियंता द्वारा जानबूझकर अनदेखा किया गया है तथा जांच कार्य में अकसरी रूतबा जताते हुए बाधा पहुंचाया है। लोकपाल के अवार्ड में बहुत सारे प्रश्न बिंदु निर्मित किया जाकर उनके जवाब भी उल्लेखित किया गया है। किंतु आम जनता के मन में यह महत्वपूर्ण प्रश्न उठता है कि क्या इस प्रकार के अवार्ड में पारित अनुसंशाओं से भ्रष्टाचारियों पर लगाम कसा जा सकेगा। एक तरफ जागरूक नागरिकों द्वारा समाजहित में किये जा रहे शिकायतों भ्रष्टाचारियों द्वारा गलत ठहराया जा रहा है वही दूसरी ओर लोकपाल (मनरेगा) की दुर्बल कार्यवाहियों से भ्रष्टाचारियों का हौंसला बढ़ते जा रहा है।
छत्तीसगढ़ शासन का ध्यानाकर्षण कराना चाहेंगे कि जल संसाधन संभाग गरियाबंद के कार्यपालन अभियंता श्री आशुतोष शाश्वत एवं संबंधित अन्य अधिकारियों के विरूद्व कड़ी से कड़ी प्रशासनिक व अनुशासनात्मक एवं दंडात्मक कार्यवाही किया जावे जिससे कि लोकपाल (मनरेगा) को सक्षमता पूर्वक कार्य निष्पादन करने में सहायता मिल सके। लोकपाल द्वारा प्रकरण के निराकरण में किए जा रहे अनावश्यक विलंब भी भ्रष्टाचार निर्मूलन के रास्ते में एक बाधा है। लोकपालों के द्वारा पारित अवार्ड पर त्वरित प्रशासनिक कार्यवाही नही होने से भी निराशा होती है। क्योकि देर से मिला न्याय भी अन्याय होने जैसा ही है। तथा यदि लोकपाल की विवेचना एवं अनुसंशाये सिर्फ खानापूर्ति के लिए ही हुई तब तो सब कुछ निष्प्रयोजन ही साबित होगा।