सरकार को तो लोकसभा चुनाव परिणामों से सबक लेना चाहिए था : डा . महेंद्र शर्मा

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

पानीपत : शास्त्री आयुर्वेदिक अस्पताल पानीपत के संचालक एवं प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डा. महेंद्र शर्मा ने बताया कि राजसत्ता में राजा परं देवतम् सिद्धांत स्वयं ईश्वर को पसंद नहीं हैं, इसलिए तो महाभारत हुआ। स्वयं भगवान ने राजसत्ता को चुनौती दे डाली कि राजा राज्य का प्रथम सेवक है और एक वेतनभोगी व्यक्ति होता है, स्वामी नहीं। मगध में धनानंद के राज दरबार में अपमान होने के बाद वहीं राजदरबार में ब्रह्मेष चाणक्य ने भी इन्हीं शब्दों का प्रयोग करते हुए राजा को चुनौती दे दी थी कि हम ब्राह्मण हैं, हम अपने लिए पालनहार राजा का निर्माण कर लेंगे और उन्होंने चंद्रगुप्त को प्रकट कर दिया था। आज प्रजातंत्र है तो आम जनता ब्राह्मण का स्वरूप है, यदि जनता के मंतव्य और अपेक्षा को पूरा न किया गया तो निश्चय ही चंद्रगुप्त अवतरित हो जाएगा।
यह सत्य है कि राजनीति में सत्य नहीं होता और यह भी सत्य है कि आज सत्य के बिना राजनीति संभव ही नहीं है। कब तक कितना और क्यों झूठ बोला जा सकता है यह सब भारतीय राजनीति का प्रमाण है जिस के कारण देश में भ्रष्टाचार व्याप्त है जिस को समाप्त करना असंभव है क्यों की झूठ की तफ्तीश करने वाले ही झूठे हैं। इन झूठों के झूठ को कोई न पकड़े इन पर कोई अंकुश न हो इस लिए संचार माध्यम चुनाव आयोग सी बी आई और ई डी के बाद न्यायपालिका को भी खरीदने के प्रयास जारी हैं, न्यायधीश बड़े दबाव में कार्य कर रहे हैं, उनको सेवा में रहते हुए और सेवा निवृति के बाद जीवन खतरे में नजर आता है। आज सोशल मीडिया में फेसबुक utube instagram के दर्शक और श्रोता बढ़ते जा रहे हैं और इनकी इनकम सरकारी गिरफ्त के चेन्लज से दिन प्रतिदिन अधिक होती जा रही है।आज सरकारी और बिकाऊ मीडिया पर लोग समाचार तो क्या कार्टून्स देखना भी पसंद नहीं करते, इनकम भी कम होती जा रही है। ऐसा इस लिए हो रहा है कि गत 10 वर्षों में सरकार की ओर जो हुआ कहा जाता है वह कहीं भी धरातल पर नज़र नहीं आता, लोग टी वी पर सारा दिन सरकार के पक्ष में रागदरबारी सुन सुन कर उख़ता गए हैं और उन्होंने सोशल मीडिया की ओर रुख कर लिया है, आज utube चैनल्स पर असंख्य पत्रकारों के हजारों लाखों की संख्या में अनुगामी हैं, जिन्हें घटनाक्रम की सच्चाइयों का पता चलता है। यही कारण है हमारे देश में संचार माध्यमों पर इतने बड़े नियंत्रण और सरकारी प्रचार प्रसार के बाद सत्ताधारी दल की सदस्य अल्पमत में चली गई। लोग कितना झूठ सुने और झूठ क्यों सुनें … यह मुख्य प्रश्न है। नई लोकसभा के प्रथम सत्र में ही इतना हंगामा हो जाना, शर्मनाक है कि सरकार को विपक्ष की बात सुननी चाहिए , क्यों की विषय देश के भविष्य छात्रों के जीवन से जुड़ा है। यह neet कोई निकाय, निगम या राज्य का विषय नहीं है।
हमारे देश में केवल इतना ही प्रजातंत्र है कि सरकार सिर्फ रागदरबारी सुनेगी सत्य को नहीं इनको विरोध पसंद नहीं है। जब पूर्ण बहुमत तो यह हेकड़ी चलती थी अब तो सरकार वैशाखियों पर है अभी भी वही तेवर। न जाने यह सरकार कब गिर जाए। विडंबना तो यह है कि अभी तो दो दिन पूर्व ही लोकसभा के लिए निर्वाचित सांसदों ने शपथ ली है। लोगों ने आप को जनमत नहीं दिया तो गुस्सा स्वयं पर किया जाए कि ऐसी क्या कमी रही की सीटें कम हो गई। राजनीतिज्ञों को यह मान कर चलना चाहिए सत्ता सदैव किसी के पास नहीं रहती।
लोकसभा में भारत की राजनीति का हाल पर संत कबीर जी की यह पंक्तियां बड़ी सहजता से सटीक बैठती है कि …
चश्मदीद अंधा बने, बहरा सुने दलील।
झूठों का है दबदबा, सच्चे हों जलील।।
एक बार जंगल में विचरती गाय माता (जनता) के पीछे शिकारी शेर (सत्ता) पड गया और गाय जान बचाने के लिए इधर उधर भागते भागते एक दलदल (राजनीति) भरे तलाब की गहराई में जा कर फंस गई और शेर भी पीछा करते हुए उसी दल दल में जा फंसा, गाय की कद काठी तो ऊंची थी लेकिन शेर की नाटी। गाय को तो सांस लेने की जगह सहजता से मिल रही थी लेकिन शेर का दम घुट रहा था। अब दल दल में गाय शेर को चुनौती देने लगी कि देख शेर बाबू! गोधूली (चुनाव) का समय हो रहा है, मेरा प्यारा बछड़ा मुझे घर में न देख भूख से रंभाएगा और मेरा मालिक (जनता) मुझे खोजते खोजते मेरे रंभाने के आवाज़ का पीछा करते करते आखिरकार यहां पहुंच ही जाएगा। अब तूं बता तेरे को कौन बचाने आ रहा है।
खैर अगले तीन महीनों में देश के कुछ प्रदेशों में चुनाव भी आ रहे हैं। यदि शेर ने पिछले चुनाव परिणामों से कोई सबक न लिया और अब भी वही व्यवहार रहा तो गाय का मालिक दलदल में से गाय को जैसे तैसे निकाल कर ले जाएगा और शेर ….
आचार्य डॉ. महेन्द्र शर्मा “महेश”

Read Article

Share Post

VVNEWS वैशवारा

Leave a Reply

Please rate

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You May Like

Breaking News

advertisement