महान संत गुरु गोबिंद सिंह ने धर्म, संस्कृति और देश की आन, बान, शान के लिए अपना पूरा परिवार कुर्बान कर दिया : डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र

महान संत गुरु गोबिंद सिंह ने धर्म, संस्कृति और देश की आन, बान, शान के लिए अपना पूरा परिवार कुर्बान कर दिया : डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877
छाया – श्याम लाल।

मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में मातृभूमि शिक्षा मंदिर परिसर में सेवा संवाद कार्यक्रम संपन्न।

कुरुक्षेत्र, 29 दिसम्बर : गुरु गोबिंद सिंह जी गोबिंद राय के रूप में पटना में पैदा हुए जो दसवें सिख गुरु बने। वह एक आध्यात्मिक नेता, योद्धा, कवि और दार्शनिक थे। वह औपचारिक रूप से नौ साल की उम्र में सिखों के नेता और रक्षक बन गए, जब नौवें सिख गुरु और उनके पिता गुरु तेग बहादुर औरंगजेब द्वारा इस्लाम में परिवर्तित होने से इनकार करने के लिए मार दिए गए थे। गुरु गोबिंद जी ने अपनी शिक्षाओं और दर्शन के माध्यम से सिख समुदाय का नेतृत्व किया और जल्द ही ऐतिहासिक महत्व प्राप्त कर लिया। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने खालसा पंथ के संस्थापक गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में मिशन द्वारा मातृभूमि शिक्षा मंदिर परिसर में आयोजित सेवा संवाद कार्यक्रम में व्यक्त किए। कार्यक्रम के अति विशिष्ट अतिथि समाजसेवी हूकूम चन्द गर्ग एवं समाजसेवी नरेश गर्ग द्वारा मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों को दैनिक जरूरत के बर्तन वितरित किए।
डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि महान संत गुरु गोबिंद सिंह ने धर्म संस्कृति और देश की आन, बान सान के लिए अपना पूरा परिवार कुर्बान कर दिया। गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा को संस्थागत बनाने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपनी मृत्यु से पहले 1708 में गुरु ग्रंथ साहिब को सिख धर्म का पवित्र ग्रंथ घोषित किया था। 1675 को कश्मीरी पंडितों की फरियाद सुनकर श्री गुरु तेगबहादुर जी ने दिल्ली के चांदनी चौक में बलिदान दिया। श्री गुरु गोबिंद सिंह जी 11 नवंबर 1675 को गुरु गद्दी पर विराजमान हुए। धर्म एवं समाज की रक्षा हेतु ही गुरु गोबिंद सिंह जी ने 1699 ई. में खालसा पंथ की स्थापना की। पांच प्यारे बनाकर उन्हें गुरु का दर्जा देकर स्वयं उनके शिष्य बन जाते हैं और कहते हैं- जहां पांच सिख इक्ट्‌ठे होंगे, वहीं मैं निवास करूंगा। उन्होंने सभी जातियों के भेद-भाव को समाप्त करके समानता स्थापित की और उनमें आत्म-सम्मान की भावना भी पैदा की।
कार्यक्रम में समाजसेवी हूकूम चन्द गर्ग एवं समाजसेवी नरेश गर्ग अति विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने मातृभूमि सेवा मिशन के द्वारा समाज के असहाय जरूरतमंद बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए चलाए जा रहे कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि मातृभूमि सेवा मिशन आदर्श मानव निर्माण की प्रयोगशाला है।
कार्यक्रम में मिशन के सदस्य एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में मातृभूमि सेवा मिशन परिवार की ओर से अति विशिष्ट अतिथि समाजसेवी हूकूम चन्द गर्ग एवं समाजसेवी नरेश गर्ग को मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया।
मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में आयोजित सेवा संवाद कार्यक्रम में दैनिक जरूरत के बर्तन वितरित करते समाजसेवी हूकूम चन्द गर्ग एवं समाजसेवी नरेश गर्ग।
मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में आयोजित सेवा संवाद कार्यक्रम में अतिथियों को स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्र प्रदान करते मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र।

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