चंपारण से 16 अगस्त को शुरू हुए बेरोजगारों के खिलाफ हल्ला बोल यात्रा का पटना में बड़े सम्मेलन के साथ होगा समापन
अररिया
देश में भीषण बेरोजगारी और बढ़ती आत्महत्या के खिलाफ युवा नेता अनुपम के नेतृत्व में हल्ला बोल यात्रा बिहार के विभिन्न जिलों से शुरू होकर आगामी 23 सितंबर 2022 को पटना में आयोजित बड़े सम्मेलन के बाद समापन होगा। उक्त जानकारी अधिवक्ता कश्यप कौशल ने दी। इसकी तैयारी को लेकर युवा हल्ला बोल यात्रा, जिला इकाई अररिया द्वारा बुधवार को अधिवक्ता कश्यप कौशल के आवास पर युवाओं की एक बैठक भी बुलाई गई। जिसमे जिला युवा हल्ला बोल यात्रा इकाई के सक्रिय सदस्य अधिवक्ता कश्यप कौशल जी ने सभी युवाओं से सर्वसम्मति से निर्णय लेकर यह तय किया गया कि आगामी 23 सितंबर को पटना में एक बड़े सम्मेलन के साथ आयोजित समापन समारोह में अररिया से भी बेरोजगार युवाओं की भागीदारी काफी मात्रा में सुनिश्चित हो ,इसके लिए जिले के सभी 9 प्रखंडों से युवाओं को समापन समारोह में शामिल होने के लिए आह्वान किया गया और इस राष्ट्रव्यापी आंदोलन को सफल बनाने में कोई कसर न छोड़ें ,इसके लिए अररिया जिला इकाई युवा हल्ला बोल यात्रा के सक्रिय सदस्य काफी जोर शोर से तैयारी में जुट जाएं। इस मौके पर अधिवक्ता कश्यप कौशल के इलावा डॉ ऋषभ राज, सरदिंदु कुमार, शरदेंदु कुमार, डॉक्टर नीरज राय, डॉक्टर शंभू कुमार, डॉ प्रताप, अमित कुमार सिंह, प्रो साजिद नाडियाडवाला, रितेश कुमार,ऋतु वर्मा, यशवंत कुमार ,डॉ विकास चंद्र , अफ़गान, अफ़फान कामिल, रजी अनवर, रशीद आलम, अनवर राज, अनवर हुसैन, मनीष कुमार ,सीता राम मंडल,सहित सैकड़ों युवा शामिल थे।
इस मौके पर बैठक की अध्यक्षता कर रहे हैं अधिवक्ता कश्यप कौशल ने कहा कि यात्रा के दौरान अनुपम सिर्फ समस्या को चिन्हित नहीं कर रहे, बल्कि समाधान भी बता रहे हैं। उन्होंने बेरोज़गारी संकट के समाधान के तौर पर ‘भारत रोज़गार संहिता’ का प्रस्ताव दिया है। ‘भारत रोज़गार संहिता’ को संक्षिप्त में भ-रो-सा कहा जा रहा है। अपनी यात्रा के माध्यम से अनुपम सरकार से भरोसा मांग रहे हैं और इसी प्रस्ताव के इर्द गिर्द जनसमर्थन जुटा रहे हैं। पहले दिन से ही अनुपम की यात्रा को खूब जनसमर्थन मिल रहा है, विशेष तौर पर उनकी बैठकों में युवाओं और बुद्धिजीवियों की भागीदारी उल्लेखनीय है।
बेरोज़गारी आज जीवन मरण का सवाल बन चुका है। भविष्य को लेकर युवाओं में अनिश्चितता और अंधकार इस कदर है कि हताशा बढ़ती जा रही है। बेरोज़गारी के कारण आत्महत्या की खबरें अब आम बात होती जा रही है। इस कारण से युवाओं का सरकार से भरोसा उठता जा रहा है। उन्होन कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बोझा ढोने और ठेला चलाने के लिए बिहार के लोगों को हजारों किलोमीटर दूर बम्बई दिल्ली जाना पड़ता है। बिहार में ही बंद पड़े चीनी, पेपर और जूट मिलों को पुनर्जीवित किया जाना चाहिए ताकि दो वक्त की रोटी के लिए बिहार के लोगों को पलायन न करना पड़े। कहा कि देश में किसानों के आत्महत्या की खबरें पहले खूब आया करती थी। अब भारी संख्या में बेरोज़गारी के कारण युवाओं में आत्महत्या की खबरें आ रही है। युवाओं की आत्महत्या देश में राजनीतिक बहस के केंद्र में होना चाहिए। आज की सबसे बड़ी बहस होनी चाहिए लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकारों को कोई परवाह नहीं। ऐसे में युवाओं को एकजुट होकर कहना पड़ेगा कि ‘आत्महत्या नहीं, आंदोलन होगा’।