बिहार: कांग्रेस का नेतृत्व वंशवाद भी राष्ट्रहित और व्यक्ति की योग्यता को देखकर करती है

कांग्रेस का नेतृत्व वंशवाद भी राष्ट्रहित और व्यक्ति की योग्यता को देखकर करती है।
अररिया

हमारा देश भारत सन 1947 के अगस्त माह के 15 वीं तारीख को अंग्रेजी हुकूमत से निजात पाकर स्वतंत्र हुआ था और भारतीय राष्ट्र कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में विश्व पटेल पर उभरते हुए स्वर्णिम इतिहास रची थी। जब सन 1964 में भारत माता के राजकुमार पंडित जवाहरलाल नेहरू जी का देहावसांत हुआ और गुलजारीलाल नंदा जी को देश की लोकसत्ता का कार्यकारी प्रधान बनाया गया और आगे चलकर लाल बहादुर शास्त्री जी का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। तब प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की पुत्री एक सफल राजनीतिज्ञ थी और भारतीय और भारतीय संसद के साथ-साथ केंद्रीय मंत्रिमंडल का भी हिस्सा थी। जिन्हें आगे चलकर देश के प्रधानमंत्री के रूप में भी जिम्मेदारियां मिली। में इसे परिवारवाद वंशवाद कि श्रेणी से भिन्न समझता हूं, क्योंकि श्रीमती इंदिरा गांधी जी पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की पुत्री अवश्य थी ,लेकिन पहले उन्होंने प्रधानमंत्री बनने की योग्यता हासिल किया और फिर उन्होंने प्रधानमंत्री के पद को सुशोभित करते हुए उल्लेखनीय कार्य किए। इंदिरा जी ने प्रधानमंत्री रहते हुए न केवल भारत बल्कि पाकिस्तान के साथ-साथ वैश्विक भूगोल को भी बदल कर नया इतिहास रचने का काम किया। इंदिरा जी ने जो किया सर्वज्ञात है। 1984 में खालिस्तान का ना बनाना हमारे देश के एकमात्र महिला प्रधानमंत्री की हत्या का कारण बना और परिणाम स्वरूप श्रीमती इंदिरा गांधी जी के पुत्र श्री राजीव गांधी जी को प्रधानमंत्री के रूप में देश की जनता ने स्वीकार किया और इसे हमारे विरोधियों द्वारा परिवारवाद व वंशवाद से जोड़कर प्रचारित किया जाने लगा। मैं कहना चाहूंगा कि अगर श्रीमान राजीव गांधी जी परिवारवाद और वंशवाद से ही सही लेकिन अगर वे प्रधानमंत्री नहीं बने होते तो आज देश संचार क्रांति व तकनीकी का समावेशन न हुआ होता। हमारे विरोधी जो यह कहते हैं कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस वंशवादी पार्टी है। मैं उन्हें बताना चाहूंगा कि कांग्रेस का नेतृत्व वंश बाद भी राष्ट्रहित और व्यक्ति की योग्यता को देखकर करती है। जिससे समाज को फायदा हो। अगर इंदिरा जी वंशवाद से ही सही लेकिन प्रधानमंत्री बनने के बाद अगर उन्होंने बांग्लादेश की उनमुक्ती करवा कर बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल व असम जैसे भारतीय प्रांतों को पाकिस्तानी हमले से सुरक्षित करने का काम किया। जो कि आज हर हिंदुस्तानी अनुभव कर रहे हैं। अगर वंशवाद से बनी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी खालिस्तान को बनने से रोकने के लिए कालकलवीत होना स्वीकार किया तो मैं सलाम करता हूं ऐसी वंशवाद को जिसने भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए प्राणों की आहुति दे दी। मैं सलाम करता हूं ऐसे वंशवाद को जिस वंशवाद ने द्रविड़ नाड को विश्व पटल पर उभरने से और भारत के टुकड़े होने से रोक कर भारत की विभिन्नता में एकता को कायम रखा। बात करते हैं श्रीमती सोनिया गांधी जी का तो वह 1998 में राजीव गांधी जी के हत्या के वर्षों बाद राजनीति में सक्रिय हुई। और अनुभव किया कि वह प्रधानमंत्री के पद के लिए नेतृत्व क्षमता से अभावग्रस्त है तो उन्होंने प्रधानमंत्री के पद को 2004 में ठोकराते हुए विश्व विख्यात अर्थशास्त्री सरदार डॉक्टर मनमोहन सिंह जी को अवसर प्रदान किया, अगर सोनिया जी चाहती तो राहुल गांधी जी को भी प्रधानमंत्री बना सकती थी। लेकिन उन्होंने योग्यता व काबिलियत की पूजा करते हुए ऐसे मानव को राष्ट्र का नेतृत्व सोपने पर विश्वास किया। जिसे राष्ट्र की चर्चा विश्व पटल पर हो सके। और राष्ट्र का सर्वांगीण विकास हो सके। अब हम चर्चा करते हैं भारत की राष्ट्रीय राजनीति में दोएम दर्जे के राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी की जो सिर्फ वंशवाद, परिवारवाद, जातिवाद, संप्रदायवाद और जुमलेबाजी पर आधारित राजनीति से प्रेरित होकर देश की जनता को ठगने का काम कर रही है। अगर कांग्रेस पार्टी पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की पुत्री के पोते राहुल गांधी जी को अपने साथ लेकर चल रही है और यह वंशवाद है तो इसी पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की पुत्री के सांसद पुत्र रहे श्री संजय गांधी जी की पत्नी मेनका गांधी जी सांसदी किया है। संजय गांधी के पुत्र वरुण गांधी का सुल्तानपुर से सांसद होना क्या वंशवाद की श्रेणी में नहीं आता है। क्या कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे आर एस बोम्मई जी के पुत्र बसवराव बोम्मई जी का 5 साल मुख्यमंत्री रहना और पुनः मुख्यमंत्री पद के दावेदारी वंशवाद और परिवारवाद की श्रेणी से बाहर है। क्या अनुराग ठाकुर जी जयंत सिन्हा जैसे लोगों से वंशवाद की बदबू नहीं आती है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह जी के पुत्र राजवीर सिंह का चुनाव भाजपा के टिकट पर लड़ना राजस्थान के मुख्यमंत्री रही वसुंधरा राजे सिंधिया जी के पुत्र दुष्यंत सिंह का झालावाड़ से चुनाव लड़ना रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी के पुत्र पंकज सिंह जी का नोएडा से विधायक होना प्रमोद महाजन जी का पुत्री पूनम महाजन का सांसद होना भाजपा सांसद हुकुमदेव नारायण सिंह जी के पुत्र अशोक यादव का केवटी से तीन बार से विधायक होना स्वामी प्रसाद मौर्य के पुत्री संघमित्रा मौर्य एकनाथ खड़गे की बहू रक्षक खड़गे का राजनीति मध्य प्रदेश में विजया राजे सिंधिया जी जो कि जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक थी। उनके पोते ज्योति रादित्य सिंधिया जी वह उनके परपोते का राजनीति में सक्रिय होना। माननीय मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश श्री शिवराज सिंह चौहान जी के परिवार की राजनीतिक सक्रियता बिहार के पूर्व मंत्री शकुनी चौधरी जी के पुत्र सम्राट चौधरी जी का मंत्री होना, विधायक होना, विधान परिषद होना, व नेता प्रतिपक्ष के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी बिहार प्रदेश इकाई का अध्यक्ष होना क्या वंशवाद व परिवारवाद नहीं है। मैं कांग्रेस के वंशवाद को भी उजागर किया और उस देश की जनता को हुए फायदा से भी अवगत कराया। लेकिन क्या भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व द्वारा इस बात को सार्वजनिक मंच से उजागर किया जा सकता है कि उनके दल में व्याप्त वंशवाद व परिवारवाद ने देश और समाज को क्या फायदा हुआ। हमारे कांग्रेसी वंशवाद ने देश को अपने प्राण दिए तो किसी ने देश की एकता, अखंडता व संप्रभुता को अक्षुन्न बनाए रखा। क्या भारतीय जनता पार्टी के नेता यह बता सकते हैं कि उनके वंशवाद से देश और समाज को क्या फायदा हो रहा है। क्या उनका वंशवाद वंशवादी की श्रेणी में नहीं आता है। क्या सिर्फ कांग्रेस पार्टी की वंशवाद ही देश के लिए घातक है। देश की जनता को यह समझने की आवश्यकता है कि वंशवाद हर जगह है, परिवारवाद हर जगह है, देश की लगभग सभी पार्टियों में परिवारवाद व वंशवाद का समावेश है। लेकिन कांग्रेस पार्टी का वंशवाद राष्ट्र हित में है। यह देश की जनता समझ रही है। और भारतीय जनता पार्टी सिर्फ सत्ता का सुख भोगने के लिए वंशवाद और परिवारवाद को अंजाम दे रही है जो कि देश के हित में नहीं है।

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