नाटक म्हारे अरमान आयुष्मान में दिखी बुजुर्गों की मनोदशा और समाजिक संदेश दे गया नाटक जन्मदिन का तोहफा

नाटक म्हारे अरमान आयुष्मान में दिखी बुजुर्गों की मनोदशा और समाजिक संदेश दे गया नाटक जन्मदिन का तोहफा।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

जींद और चण्डीगढ़ के कलाकारों ने नाट्य उत्सव में प्रस्तुत किये नाटक, दर्शकों ने सराहा।

कुरुक्षेत्र 30 जुलाई : कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग, हरियाणा द्वारा आयोजित हरियाणवी नाट्य उत्सव 2023 के पाँचवे दिन जींद से इंद्रजीत के निर्देशन में नाटक जन्मदिन का तोहफा और चण्डीगढ़ से जगजीत कौर के निर्देशन में नाटक म्हारे अरमान आयुष्मान प्रस्तुत हुए। इस मौके पर मुख्य अतिथि के के रुप में अध्यक्ष, हरियाणा बाल विकास परिषद एडवोकेट कृष्ण पांचाल तथा विशिष्ट अतिथि भगवान परशुराम कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डा. योगेश्वर जोशी उपस्थित रहे। विभाग की कला अधिकारी रंगमंच तानिया जी. एस. चौहान ने अतिथियों को पुष्पगुच्छ भेंटकर स्वागत किया। उत्सव के पांचवे दिन पहला नाटक जन्मदिन का तोहफा रहा। जिसमें कलाकारों ने खूनदान महादान का संदेश देते हुए दर्शकों को आनंदित किया। नाटक में दिखाया गया कि एक बच्चे का जन्मदिन होता है तो वह अपने माता-पिता से जन्मदिन का तोहफा मांगता है। उसके पिता उसे जन्मदिन के तोहफे के रुप में नसीहतें देते हैं। जिससे बेटा नाराज हो जाता है। तब उसके पिता उसे समझाते हैं कि तोहफे के रुप में दी जाने वाली कोई भी वस्तु कुछ समय बाद खराब हो जाएगी, लेकिन मेरे द्वारा दी जाने वाली नसीहतें जीवन में हमेशा काम आएंगी। तब बेटा उन नसीहतों के बारे में पूछता है तो उसके पिता उसे समझाते हैं कि 18 वर्ष का होने पर उसका बाईक चलाने के लिए लाईसेंस बन सकता है। वहीं 18 वर्ष का होने पर खूनदान भी कर सकता है। इस बात पर बेटा पिता से खूनदान करने के फायदे पूछता है, तो उसके पिता समझाते हैं कि खूनदान ही महादान है। हमारे द्वारा दान किया जाने वाला खून किसी भी व्यक्ति की अगर जान बचाता है तो उससे बढ़कर खूशी और कोई नहीं हो सकती। इस तरह दूसरा नाटक दो बुजुर्ग लोगों के आपसे प्रेम को दर्शाता है। जगजीत कौर के निर्देशन में मंचित नाटक म्हारे अरमान आयुष्मान में दिखाया गया कि एक बुजुर्ग महिला जो अपने परिवार के लोगों से परेशान है, वह अपना मन बहलाने के लिए पड़ोस में रहने वाले एक बुजुर्ग से बातचीत करना शुरु कर देती है। धीरे-धीरे दोनों बुजुर्ग एक दूसरे की ओर आकर्षित हो जाते हैं और अक्सर मिलने के बहाने ढूंढना शुरु कर देते है। इस बात का पता दोनों बुजुर्गों के परिवारवालों को लग जाता है और दोनों के परिवार वाले बुजुर्गों केा अलग करने के मनसूबे बनाना शुरु कर देते हैं। लेकिन एक दिन दोनों बुजुर्ग अपने परिवार को छोड़कर दूर चले जाते हैं। इस प्रकार नाटक के माध्यम से दिखाया कि बुजुर्ग लोगों के भी कुछ अरमान रहते हैं, जो परिवार के पालन-पोषण में दब जाते है। अंत में अतिथियों ने सभी कलाकारों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। वहीं तानिया चौहान ने अतिथियों को शॉल व स्मृति चिन्ह देकर आभार जताया।

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