अबैध होर्डिंग के मकड़जाल में उलझी कोंच, धेले की आमदनी नहीं पालिका को
कोंच। मंत्री आ रहे हों या कोई नेताजी, घर में भागवत कथा हो रही है या कोई और निजी कार्यक्रम, सभी का प्रचार प्रसार करने का एक चलन सा बन गया है। कस्बे के अंदर कोई सड़क, गली या चौराहा ऐसे प्रचारों से अछूता नहीं है। देखा जाए तो पूरा कस्बा ही ऐसे अबैध होर्डिंग्स के मकड़जाल में बुरी तरह फंसा है, जबकि पालिका को इन प्रचार साधनों से एक धेले की भी आमदनी नहीं है। इसके बावजूद पालिका प्रशासन में इतनी हिम्मत नहीं है कि इन अबैध होर्डिंग्स को वह उतरवा सके। गौरतलब है कि कस्बे के प्रवेश द्वार मारकंडेयश्वर तिराहे से जब कस्बे के अंदर प्रवेश करेंगे तो सड़कों के किनारे लट्ठे लगा कर टांगे गए सैकड़ों होर्डिंग्स नजर आ जाएंगे। सरकारी बिजली के खंभों पर और निजी परिसरों में भी होर्डिंग्स की भरमार है। एक के ऊपर दूसरी, दूसरी के ऊपर तीसरी होर्डिंग लगाने में भी लोग गुरेज नहीं करते हैं। रेलवे क्रासिंग, बस स्टैंड, चौकी तिराहा, चंदकुआं चौराहा, स्टेट बैंक से लेकर पूरे राजमार्ग पर अनगिनत होर्डिंग्स टंगे हैं। सबसे बड़ी बात यह कि इन होर्डिंग्स को टांगने के लिए किसी तरह की कोई परमीशन भी नहीं ली जाती है। इन होर्डिंग्स के मकड़जाल में वाहनचालकों का भी ध्यान भटकना लाजिमी है और कभी कभी हादसे भी हो जाते हैं। नगर पालिका के आरआई सुनील कुमार यादव का कहना है कि होर्डिंग्स लगाने के लिए नियमतः पालिका की परमीशन लेनी और दस रुपए वर्ग फीट के हिसाब से उसका शुल्क जमा करना होता है लेकिन इक्का दुक्का लोग ही ऐसा करते हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही अभियान चला कर होर्डिंग्स उतरवाए जाएंगे।