निजी स्कूलों की दादागिरी, निजी स्कूलों ने ‘अपना ऐप’ के जरिए शुरू की वसूली, पेरेंट्स पर बना रहे दवाब।

निजी स्कूलों की दादागिरी,
निजी स्कूलों ने ‘अपना ऐप’ के जरिए शुरू की वसूली, पेरेंट्स पर बना रहे दवाब।
प्रभारी संपादक उत्तराखंड
साग़र मलिक

अपनी आय में कमी आने के बाद अब निजी स्कूल ऑनलाइन पढ़ाई के लिए ऐप बनाकर अभिभावकों की जेब काट रहे हैं। कई अभिभावकों ने शिक्षा सचिव और मुख्य शिक्षा अधिकारी से इसकी शिकायत की है। उनका आरोप है कि स्कूल, पढ़ाई तो पहले की तरह जूम या गूगल मीट जैसे प्लेटफार्म पर ही करा रहे हैं, लेकिन उनसे जुड़ने के लिए मोबाइल ऐप बनाकर उसके तीन से पांच हजार रुपये सालाना की फीस वसूल रहे हैं। दरअसल कोरोना के चलते उपजी परिस्थितियों में ज्यादातर स्कूल, गूगल मीट या जू जैसी मोबाइल ऐप के जरिए ऑनलाइन कक्षाएं चला रहे हैं लेकिन इसके लिए वह अभिभावकों से अलग से पैसे की मांग नहीं कर पा रहे हैं।
ऐसे में अब स्कूलों ने नया रास्ता निकालते हुए अपने-अपने सस्ते मोबाइल ऐप तैयार करने शुरू कर दिए हैं। इनके जरिए वे बच्चों को आईडी-पासवर्ड देकर जूम या गूगल मीट पर ही ले जाकर पढ़ा रहे हैं। लेकिन इन ऐपों के नाम पर कई स्कूल, सालभर के लिए तीन से पांच हजार रुपये शुल्क मांग रहे हैं। कुछ इसे ऐप फीस तो कुछ इसे आईटी फीस के रूप में चार्ज कर रहे हैं जबकि विभाग और कोर्ट ने इस तरह की कोई भी फीस नहीं लेने की बात कही है। इसके बावजूद कई स्कूल ऐसा कर रहे हैं। अभिभावक और अभिभावक संघ भी इसकी शिकायत कर चुके हैं। उनका यह भी आरोप है कि विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा।

केस 1: बंजारावाला स्थित एक स्कूल ने अपने ऐप के लिए तीन हजार रुपये सालाना मांगे हैं। जबकि वो ऐप खोलने के बाद क्लास पहले की तरह जूम में ही हो रही है। स्कूल का कहना है कि ये ऐप सुरक्षा के लिए है ताकि कोई किसी और का आईडी-पासवर्ड लेकर बिना फीस पढ़ाई ना करे।
केस 2:  राजपुर रोड स्थित एक स्कूल ने भी ऑनलाइन पढ़ाने के लिए अपनी अलग मोबाइल ऐप तैयार कराई है। वह बच्चों को उसके जरिए ही पढ़ा रहा है। जबकि पहले क्लास जूम या गूगल मीट से होती थी। अब ऐप के नाम पर एक साल के लिए अतिरिक्त चार हजार रुपये फीस ली जा रही है।
केस 3:  राजपुर रोड स्थित एक निजी स्कूल पढ़ाई तो जूम या गूगल से करा रहा है लेकिन आईटी मेंटिनेंस के नाम पर ढाई से तीन हजार रुपये फीस मांग रहा है। ये फीस ना देने पर बच्चों की पढ़ाई जानबूझकर रोकी जा रही है या आईडी पासवर्ड बदलकर ठीक करने
के नाम पर फीस ले ले रहे हैं।

कई स्कूलों को लेकर इस तरह की शिकायतें आई हैं। ज्यादातर छोटे स्कूल ऐसी मनमानी कर रहे हैं। इस तरह की कोई भी फीस लेना गलत है। हमने अपने स्तर से भी शिक्षा विभाग को इस पर रोक लगाने को पत्र भेजे लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं।
आरिफ खान, राष्ट्रीय अध्यक्ष, एनएपीएसआर
ऑनलाइन पढ़ाई कराना स्कूल की अपनी व्यवस्था है। वो कैसे कराता है ये उसकी जिम्मेदारी है, हालांकि इस के लिए कोई ऐप फीस या आईटी फीस नहीं ली जा सकती। अगर कोई ले रहा है, तो गलत है। अभिभावक हमें भी प्रूफ के साथ शिकायत कर सकते हैं।
प्रेम कश्यप, अध्यक्ष, पीपीएसए
हमने भी अपने ऐप बनाई है। गूगल मीट के साथ उससे भी पढ़ाई करा रहे हैं लेकिन हम इसके लिए बच्चों से कोई ऐप या आईटी फीस नहीं ले रहे। ये व्यवस्था हमारी जिम्मेदारी है। हमें सिर्फ ऑनलाइन पढ़ाई के बदले ट्यूशन फीस लेनी है। कोई स्कूल ऐसा कर रहा है तो यह सरासर गलत है।
एसके सिंह, प्रिंसिपल, विवेकानंद स्कूल
मुझे इस तरह की शिकायतें मिली हैं पर कोरोना के चलते कार्यालय और स्कूल बंद हैं। स्थिति सामान्य होते ही ऐसे स्कूलों पर कार्रवाई की जाएगी। ऑनलाइन पढ़ाई के लिए सिर्फ ट्यूशन फीस ली जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने फीस को लेकर एक और आदेश दिया है उसकी गाइड लाइन का इंतजार है।
आशा रानी पैन्यूली, मुख्य शिक्षा अधिकारी 

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