पवित्र ग्रंथ गीता के ज्ञान रुपी प्रकाश से दूर होंगी पूरे विश्व की समस्याएं : मनोहर।

पवित्र ग्रंथ गीता के ज्ञान रुपी प्रकाश से दूर होंगी पूरे विश्व की समस्याएं : मनोहर।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 94161-91877

मुख्यमंत्री मनोहर लाल करीब 5 करोड़ की लागत से बने गीता संग्रहालय एवं म्यूजियम के लघु स्वरुप का किया उदघाटन। श्रीकृष्ण-अर्जुन रथ का भी किया लोकार्पण।
मुख्यमंत्री ने किया संग्रहालय का अवलोकन।
भगवान श्रीकृष्ण का विराट स्वरुप बना आकर्षण का केन्द्र।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल, केन्द्रीय मंत्री रतनलाल कटारिया, आरएसएस के सह सरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानांनद, स्वामी शरणानंद महाराज, आरएसएस के प्रांत संघचालक पवन जिंदल ने किया ग्रंथ गीता के छोटे स्वरुप का विमोचन।

कुरुक्षेत्र 7 मार्च :- मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पवित्र ग्रंथ गीता के ज्ञान रुपी विकास से ही पूरे विश्व की शंकाए और समस्याएं दूर होंगी। इस ज्ञान के प्रकाश को अपने जीवन में धारण करने के लिए पवित्र गं्रथ गीता के उपदेशों को अपनाना होगा। इस पवित्र ग्रंथ गीता के ज्ञान रुपी प्रकाश से ही मानव का डर समाप्त होगा। इन उपदेशों की जन्मस्थली कुरुक्षेत्र को यह गौरव प्राप्त हुआ और इस भूमि से मिले उपदेशों को पूरे विश्व को ज्ञान का प्रकाश मिल रहा है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल रविवार को गीता ज्ञान संस्थानम केन्द्र में गीता संग्रहालय एवं म्यूजियम के प्रारम्भिक चरण का उदघाटन करने के उपरांत बोल रहे थे। इससे पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल, आरएसएस के सह सरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल, आरएसएस के प्रांत संघचालक पवन ङ्क्षजदल, गुरु शरणानंद महाराज, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज, केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री रतन लाल कटारिया, हरियाणा के खेलमंत्री संदीप सिंह, सांसद नायब सिंह सैनी, विधायक सुभाष सुधा, विधायक रामकरण काला, हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के चेयरमैन भारत भूषण भारती, मुख्यमंत्री के राजनैतिक सचिव कृष्ण बेदी, हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमच, जीओ गीता दिल्ली के उपाध्यक्ष किशोर अग्रवाल, जीओ गीता के उपाध्यक्ष एवं कुलपति डा. मारकंडे आहुजा ने विधिवत रुप से गीता ज्ञान संस्थानम केन्द्र में करीब 5 करोड़ रुपए की लागत से बने गीता संग्रहालय एवं म्यूजियम के प्रारम्भिक चरण का उदघाटन किया। इसके उपरांत मुख्यमंत्री मनोहर लाल व सभी मेहमानों ने गीता संग्रहालय एवं म्यूजियम का अवलोकन किया और इस म्यूजियम में भगवान श्रीकृष्ण के विराट स्वरुप को देखकर गदगद हो गए। इस संग्रहालय के अध्यात्मिक पहलूओं के बारे में गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद और म्यूजियम के बारे में डीवाईसीए के निदेशक डा. महासिंह पूनिया ने मेहमानों को विस्तार से जानकारी दी है। सभी मेहमानों ने इस लघु संग्रहालय की जमकर प्रशंसा भी की है और गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद का आभार भी व्यक्त किया है। इस दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल व सभी मेहमानों ने युवाओं के लिए लिखी गई पवित्र ग्रंथ गीता के छोटे स्वरुप का विमोचन भी किया गया।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि जीओ गीता संस्थान, जिस प्रकार इसका नाम है, उसी के अनुरुप यह संस्थान गीता का संदेश पूरे विश्व को दे रहा है और पवित्र ग्रंथ गीता को पूरे विश्व में प्रचारित करने का काम कर रहा है। श्रीमदभगवद गीता एक ऐसा ग्रंथ है, जिसको केवल सुनने, पढऩे या स्मरण करने से काम नहीं चलता है, बल्कि इस ग्रंथ के सार को जीवन में उतारकर इसका लाभ लिया जा सकता है। पवित्र ग्रंथ गीता का अपना एक आभा मंडल है, इसके आभा मंडल में रहेंगे तो जीवन में कोई भी गलत काम नहीं करेंगे, हमेशा अच्छा कार्य करने की प्रेरणा मिलेगी और जीवन शुद्घ होगा। महाभारत और ग्रंथ गीता एक ही समय की दो ऐतिहासिक पुस्तके है, लेकिन महाभारत को कोई घर में भी नहीं रखता है और पवित्र ग्रंथ गीता को घर के मंदिर में रखते है, अध्ययन करते है, इसके सार को अपने जीवन में उतारते है। महाभारत से यह पता चलता है कि ठीक व गलत क्या है, सच व झूठ क्या है, उचित-अनुचित क्या है, लेकिन हमें करना क्या चाहिए, कैसे करना चाहिए ये महाभारत में नहीं है, ये सब कुछ पवित्र ग्रंथ गीता में मौजूद है। यह ग्रंथ जीवन जीने का रास्ता दिखाता है, हमें करना क्या है यह तो हम सोच सकते है, लेकिन क्या नहीं करना है ये सिर्फ गीता ज्ञान से पता चलता है। इसलिए जीवन में गीता के ज्ञान को उतारना बहुत जरुरी है।
उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि एक मनुष्य एक गुफा के अंदर गया, अंदर बहुत अंधेरा था, काफी घूमने के बाद वह रास्ता भटक गया और उसे बाहर आने का रास्ता नहीं मिला तो बैचेन हो गया। तभी संयोग से किसी ने प्रकाश किया और उस प्रकाश की रोशनी में रास्ता दिखा तो वह व्यक्ति गुफा से बाहर आ गया, तो इससे हमें शिक्षा मिलती है कि हमें सबसे पहले प्रकाश ढूंढना चाहिए, जब प्रकाश रुपी ज्ञान मिलेगा तो रास्ता अपने-अपने आप ही मिल जाएगा और सभी समस्याओं का हाल मिलेगा। उन्होंने कहा कि हमारे अंदर एक प्रकाश, एक ज्ञान, एक तप, एक साधना और एक साहस व निर्भयता भी होनी चाहिए, जीवन में कुछ भी करो निर्भय होकर करो, निर्भय होकर कार्य करने से गलती होने पर रास्ता मिल जाता है। पवित्र ग्रंथ गीता से भी निर्भयता का संदेश मिलता है। इस ग्रंथ के 16वें अध्याय का पहला श्लोक निर्भयता के बारे में ही है। ज्ञान और योग का तभी लाभ होगा जब निभर्य होकर जाप करेंगे, स्वाध्याय करेंगे तभी समस्याओं का हल होगा। जीओ गीता संग्रहालय और पुस्तकालय इस पावन स्थली पर गीता-ज्ञान की जिज्ञासा लेकर आने वाले श्रद्धालुओं की पिपासा को शांत करने में तो उपयोगी होंगे, इसके साथ-साथ यह हमारी सांस्कृतिक विरासत को सहेजने में भी सहायक सिद्घ होंगे। जीओ गीता संस्थान की स्थापना ही गीता के विश्वस्तरीय अध्ययन केन्द्र के रूप में की गई है। यह संग्रहालय व पुस्तकालय इस अध्ययन केन्द्र की नींव का पत्थर साबित होंगे।
उन्होंने कहा कि गीता ज्ञान संस्थान कुरूक्षेत्र को भारतीय सभ्यता और संस्कृति के प्रमुख केन्द्र के रूप में विकसित करने के विजन को साकार करने में बड़ी भूमिका निभा रहा है। कुरुक्षेत्र की धरा पर आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में भी यह संस्थान अग्रणी भूमिका निभाता ही है, देश से बाहर मॉरीशस व ब्रिटेन में गीता महोत्सव का आयोजन करके गीता के संदेश को विदेशों में भी प्रचारित करने में अहम योगदान दे रहा है। केन्द्र व राज्य सरकार कुरुक्षेत्र के विकास के लिए प्रतिबद्घ है और सरकार का प्रयास है कि ब्रज कोसी यात्रा की तर्ज पर 48 कोस कुरुक्षेत्र की भूमि में स्थित तीर्थों की यात्रा शुरु की जाए। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा 48 कोस कुरुक्षेत्र भूमि में स्थित 134 तीर्थों के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण तीर्थों के सर्वेक्षण का कार्य भी करवाया जा रहा है, इन तीर्थों का कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा विकास भी किया जा रहा है। अब 134 तीर्थों के विकास के लिए सरकार बजट बढ़ाने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार भगवान श्रीकृष्ण के दो बड़े मंदिर, जिनमें वृंदावन में 65 एकड़ में 800 करोड़ की लागत से और बैंगलोर में 700 करोड़ रुपए की लागत से बनाएगी। इसके साथ ही हरियाणा सरकार भी ज्योतिसर को एक विश्व दर्शनीय स्थल बनाने के लिए 150 करोड़ रुपए की राशि खर्च कर रही है। इस धर्मस्थल कुरुक्षेत्र में बन रहे गीता ज्ञान संस्थानम केन्द्र पर भी 100 करोड़ रुपए खर्च होंगे। अभी हाल में ही पंचकूला के एसपी सिंगला द्वारा संस्थान को दिए गए 51 लाख की सेवा के साथ-साथ अन्य लोगों को अपने सामथ्र्य के अनुसार सेवा करनी चाहिए ताकि समाज का यह संस्थान आगामी 2 सालों में पूरा हो सके।
गुरु शरणानंद जी महाराज ने गीता संग्रहालय एवं म्यूजियम के बनने की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि शास्त्रों में ज्ञान को सबसे अधिक महत्व दिया गया है और वेदों से भी ज्ञान की प्राप्ति होती है। जब ज्ञान रुपी प्रकाश प्रत्येक मानव में नजर आएगा तो निश्चित ही उसमें निर्णय लेनी की शक्ति भी पैदा होगी। इस ज्ञान रुपी प्रकाश को ग्रहण करने के लिए प्रत्येक मानव को पवित्र ग्रंथ गीता के उपदेशों को अपने जीवन में धारण करना चाहिए। इन उपदेशों में ही पूरी दुनिया की दुविधाओं का हल समाहित है। इसलिए बार-बार कहा गया है कि गीता का अनुरसरण करने से प्रत्येक मानव में विवेक की जागृति होगी और आत्म विश्वास पैदा होगा। उन्होंने पवित्र ग्रंथ गीता को प्रेरणा मार्गदर्शक बताते हुए यज्ञ औ तप के मार्ग पर चलने का अनुरोध करते हुए कहा कि गीता रुपी दीपक को प्रज्जवलित करना चाहिए। यह दीपक कुरुक्षेत्र की धरा ज्योतिसर में पवित्र ग्रंथ गीता के रुप में प्रकाशमय हुआ जो आज पूरे विश्व को ज्ञान रुपी प्रकाश देने का काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि गीता ज्ञान संस्थानम केन्द्र भी पूरे विश्व को ज्ञान का प्रकाश देने में अपनी अहम भूमिका अदा करेगा।
गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कुरुक्षेत्र की धरा को नमन करते हुए कहा कि कोविड-19 के कारण पूरा विश्व प्रभावित हुआ लेकिन भारत ही एक ऐसा देश था जो महामारी के दौरान भी सुरक्षित स्थिति में रहा। यह तभी सम्भव हो पाया क्योंकि भारत आस्था पर टिका हुआ है। इस गीता ज्ञान संस्थानम केन्द्र की 4 मार्च 2016 को आधारशिला रखी गई थी, अब इसका स्वरुप नजर आने लगा है। महाभारत की इस भूमि कुरुक्षेत्र में युद्घ के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता के उपदेश दिए और यह उपदेश आज पूरे विश्व को ज्ञान का प्रकाश दे रहे है। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम के विचारों को व्यक्त करते हुए कहा कि शांति के मार्ग पर चलने के लिए पवित्र ग्रंथ के उपदेशों के मार्ग पर चलना होगा। इतना ही नहीं विदेशी चिंतकों ने भी पवित्र ग्रंथ गीता को विश्व शांति का आधार माना है। इसलिए गीता विश्व के लिए एक अनुपम उपहार है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जिस भी देश में जाते है, वहां पर गीता ग्रंथ का ही उपहार देते है। उन्होंने कहा कि ज्योतिसर को एक भव्य स्वरुप देने का कार्य मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा किया जा रहा है। मुख्यमंत्री के प्रयासों ही 48 कोस के तीर्थों के जीर्णोद्घार का कार्य किया जा रहा है। इस कड़ी में ही गीता ज्ञान संस्थानम में ही स्वास्थ्य और गीता के उपदेशों पर शोध करने, म्यूजियम में गीता के स्वरुपों को दिखाने तथा स्वतंत्रता सैनानियों और महान लोगों के विचारों को समाज के समक्ष रखने जैसे कार्यों को अमलीजामा पहनाने का काम शुरु किया गया है।
केन्द्रीय मंत्री रतनलाल कटारिया ने कहा कि गीता संग्रहालय एवं म्यूजियम के माध्यम से भारत की संस्कृति को सहेजने का काम किया गया है, जो कि एक अनुकरणीय कार्य है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कुरुक्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर का दर्जा देने, पर्यटन और अध्यात्म की दृष्टि से इस पवित्र स्थान को विश्व के मानचित्र पर लाने का काम किया गया है। यह पर्यटन स्थली आने वाले समय में एक आस्था का केन्द्र बनेगी। मुख्यमंत्री के प्रयासों से गीता जयंती को अंतरराष्ट्रीय महोत्सव का दर्जा मिला, जिसके कारण मारीशस से इंग्लैंड तक भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।
आरएसएस के सह सरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल ने कहा कि कुछ वर्ष पहले अंतर्राष्टï्रीय गीता महोत्सव के दौरान गीता ज्ञान संस्थानम केन्द्र में पहुंचने का अवसर मिला और छोटे से अंतराल में ही इस संस्थानम में गीता को लेकर जो संग्रहालय व म्यूजियम बनाया है, वह निश्चित ही दर्शनीय स्थल के रुप में विकसित होगा। इस गीता स्थली कुरुक्षेत्र में हजारों वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्ण ने गीता के जो उपदेश दिए थे, उन उपदेशों में सभी ग्रंथो का सारांश समाहित है। उन्होंने कहा कि दुनिया में प्रत्येक देश की अपनी-अपनी विशेषता है, लेकिन आध्यमिकता भारत देश की विशेषता है। इस पवित्र ग्रंथ गीता को जीवन में धारण करने वाले व्यक्ति को कभी भी किसी से द्वेश व घृणा नहीं होगी, वह मानव हमेशा परमात्मा के दिखाए गए मार्ग पर चलेगा। उन्होंने कहा कि गीता की महिमा सुनने से काम नहीं चलेगा, गीता के उपदेशों को जीवन में धारण करना होगा।
आरएसएस के प्रांत संघचालक पवन जिंदल ने कहा कि संग्रहालय का लोकार्पण एक आनंद का अवसर है। इस लघु संग्रहालय से पूरे विश्व को ज्ञान मिलेगा। पवित्र ग्रंथ गीता के एक-एक अक्षर भी लघु नहीं हो सकता। इस ग्रंथ के एक-एक शब्द से पूरे विश्व को ज्ञान की प्राप्ति होगी। जीओ गीता के उपाध्यक्ष एवं कुलपति डा. मारकंडे आहुजा ने मेहमानों का स्वागत करते हुए कहा कि 5 वर्ष पहले गीता ज्ञान संस्थानम केन्द्र का निर्माण कार्य शुरु हुआ और प्रथम चरण में लघु संग्रहालय का शुभारम्भ हो चुका है। इस संस्थानम के परिसर में गीता समागम, गुरुकुल, भोजनालय, गीता वैलनेस सेंटर, विभूति भवन बन चुके है और 18 मीटर लम्बे स्तम्भ, गीता कुंड, ज्ञान केन्द्र का निर्माण किया जाना है। इस कार्यक्रम के मंच का संचालन जीओ गीता के महामंत्री प्रदीप मित्तल ने किया। इस मौके पर विधायक रामकरण काला, विधायक लीला राम गुर्जर, विधायक असीम गोयल, विधायक रणधीर गोलन, विधायक हरविन्द्र कल्याण, विधायक प्रमोद विज, विधायक संजय सिंह, विधायक दीपक मंगला, विधायक कमल गुप्ता, अंजू भाटिया, जीओ गीता दिल्ली के उपाध्यक्ष किशोर अग्रवाल, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव डीएस ढेसी, एसीएस राजीव अरोड़ा, उपायुक्त मुकुल कुमार, पुलिस अधीक्षक हिमांशु गर्ग, कुलपति डा. सोमनाथ सचदेवा, कुलपति डा. बलदेव धीमान, कुलसचिव डा. संजीव शर्मा, केडीबी के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा, केडीबी सदस्य विजय नरुला, उपेन्द्र सिंघल, राजेश शांडिल्य, महेन्द्र सिंगला, हंसराज सिंगला, सुशील राणा, डा. सुचि स्मिता, स्वामी तरुण दास, स्वामी विकास दास, करनाल की मेयर रेणू बाला, अम्बाला की मेयर शक्ति रानी, बृज गुप्ता, भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष आत्म प्रकाश मनचंदा, भाजपा जिलाध्यक्ष राजकुमार सैनी, पूर्व जिलाध्यक्ष धर्मवीर मिर्जापुर, सतीश गुप्ता, पूर्व मंत्री विनोद शर्मा, पूर्व चेयरमैन भाणी राम मंगला, महेश अग्रवाल, एचएस बेदी, संदीप अग्रवाल, जगदीश अग्रवाल, डा. सुदर्शन चुघ आदि उपस्थित थे।

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