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ग्रामीण चिकित्सकों की भूमिका अहम
अररिया
गंभीर रोगों की रोकथाम व उन्मूलन के प्रयासों में ग्रामीण चिकित्सकों की भूमिका निर्णायक साबित हो रही है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा उनके क्षमता संवर्धन व उन्हें प्रेरित व प्रोत्साहित करने को लेकर किया जा रहा निरंतर प्रयास भी इस दिशा में बेहद कारगर साबित हो रहा है। यही कारण है की कालाजार, फाइलेरिया, टीबी के साथ अब पोलियो पर प्रभावी नियंत्रण ही नहीं खसरा व रूबेला जैसे जानलेवा बीमारियों के उन्मूलन के प्रयासों में ग्रामीण चिकित्सकों की सक्रिय भागीदारी का विभागीय प्रयास भी तेज हो चुका है। ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य संबंधी किसी तरह की परेशानी होने पर लोग सबसे पहले इन्हीं चिकित्सकों के पास जाते हैं। इन रोग से जुड़े लक्षण वाले मरीज इलाज के लिये आने पर इससे जुड़ी जानकारी विभाग को देना जरूरी है। साथ ही ग्रामीण इलाकों में भ्रमण के दौरान चिकित्सक टीका की उपलब्धता, केंद्र तक लेकर लोगों की पहुंच से जुड़ी समस्या संबंधित प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, डीआईओ या फिर डब्ल्यूएचओ को करने पर इस दिशा में समुचित कार्रवाई संभव है। इसे लेकर डब्ल्यूएचओ द्वारा ग्रामीण चिकित्सकों को खास तौर पर प्रशिक्षित किया जा रहा है। साथ ही स्वस्थ समाज के निर्माण में उनसे अपेक्षित सहयोग की अपील की जा रही है।
जानकारी देते हुए डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ शुभान अली कहते हैं की जिले में बीते कुछ सालों से पोलियो को कोई मामला सामने नहीं आया है। लेकिन पोलियो संक्रमण का खतरा अभी भी बरकरार है। लेकिन हाल ही में पड़ोसी देश पाकिस्तान व अफगानिस्तान में पोलियो के मामले सामने आये हैं। इसके अलावा अफ्रीका के मोजांबिक भी अब तक पोलियो से प्रभावित है। लिहाजा पोलियो के मामलों को लेकर सतर्कता जरूरी है। वहीं वर्ष 2023 तक देश को खसरा व रूबैला रोग से पूर्णत: मुक्त कराने का लक्ष्य निर्धारित है। पोलियो ही नहीं खसरा व रूबैला जैसे रोगों पर प्रभावी नियंत्रण के लिये डब्ल्यूएचओ के सहयोग से जिले में विशेष अभियान संचालित किया जा रहा है। ताकि निर्धारित अवधी में रोग उन्मूलन के प्रयासों को निर्णायक मुकाम दिया जा सके।