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देहरादून: रविवार रात को उत्तराखंड पुलिस का अमानवीय चेहरा सामने आया। चीता पुलिस के दो कास्टेबलों की वजह से सड़क हादसे में घायल हुए एक सिपाही की मौत हो गई। यदि चीता पुलिस के जवान थोड़ी सी मानवता दिखाते तो शायद कांस्टेबल राकेश राठौर की जान बच जाती थी। हालांकि इस मामले में अब देहरादून एसएसपी और डीजीपी अशोक कुमार जांच कराने की बात कह रहे हैं।
दरअसल, रविवार देर रात को देहरादून पुलिस लाइन में तैनात सिपाही राकेश राठौर बाइक पर हरिद्वार से देहरादून की तरफ आ रहे थे। तभी बीच रास्ते में हर्रावाला के पास सिपाही राकेश राठौर की बाइक डिवाइडर से टकरा जाती है, जिससे राकेश राठौर गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं। मामले की जानकारी मिलते ही चीता पुलिस के जवान भी मौके पर पहुंचे और एंबुलेंस को कॉल किया।
सिपाही राकेश राठौर सड़क पर पड़ा हुआ कराह रहा था, लेकिन चीता पुलिस के जवान उसे पानी पिलाने या फिर उसकी मदद करने के बजाए उसका वीडियो बना रहे थे और एंबुलेंस का इंतजार कर रहे थे। वीडियो में साफ दिख रहा है कि राकेश खुद से उठने की हिम्मत कर रहा था, लेकिन पुलिस वालों ने उसकी कोई मदद नहीं की।
हालांकि बाद में एंबुलेंस के जरिए राकेश को हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। यहां सवाल यही खड़ा हो रहा है कि यदि चीता पुलिस के जवान समय रहते राकेश को हॉस्पिटल में भर्ती करा देते तो शायद उसकी जान बच सकती थी। लेकिन पुलिस उसकी मदद करने के बजाय वीडियो बनाती रही और एंलुबेंस का इंतजार करती रही थी।
चीता पुलिस का ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो वायरल होने के बाद अधिकारी हरकत में आए और देहरादून एसएसपी ने एसपी सिटी को पूरे मामले की जांच का आदेश दिए हैं। वहीं डीजीपी अशोक कुमार का भी इस मामले पर बयान आया है। उन्होंने कहा कि मामले की जांच कराई जा रही है।जांच में यदि कोई भी पुलिसकर्मी दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।