सन्तो की समाधि एवं मन्दिर भूमि पर हो रहे भूमि पूजन को सन्त समाज बर्दाश्त नहीं करेगा

सन्तो की समाधि एवं मन्दिर भूमि पर हो रहे भूमि पूजन को सन्त समाज बर्दाश्त नहीं करेगा

ग्वालियर 12 जनवरी आज धर्म स्थल संरक्षण समिति, ग्वालियर कार्यालय:- गंगादास की बड़ी शाला लक्ष्मीबाई कॉलोनी ग्वालियर ने एक एक पत्रकार वार्ता मानस भवन ग्वालियर मैं लेकर दिनांक 14 जनवरी 2021 को उक्त भूमि पर शिलान्यास आयोजित करने के कार्यक्रम को निरस्त करने के सम्बंध में हम नगरवासी मन्दिर श्री रामजानकी मन्दिर परम्परागत साधू सन्त श्रद्धालु एवं धर्मप्रेमी संयुक्त रूप से श्री रामजानकी मन्दिर सरयू दास जी की बगिची पर अवैधानिक रूप से सन्तो के बिना अनुमति के मंदिर भूमि को हड़पने के षड्यंत्रो को सन्त समाज बर्दाश्त नही करेगा।

आज पत्रकार वार्ता में धर्मस्थल संरक्षण समिति के अध्यक्ष श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री राम दास जी महाराज( दंदरौआ सरकार) एवं धर्मस्थल संरक्षण समिति सचिव स्वामी श्री रामसेवक दास ( महंत बड़ी शाला) श्री अनूप मिश्रा पूर्व कैबिनेट मंत्री, पूर्व विधायक श्री रमेश अग्रवाल, मां कनकेश्वरी देवी भक्ति वेदांत संघ के सचिव पंडित महेश मुद्गल, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष श्री सुरेंद्र सिंह तोमर, मध्य प्रदेश सनाढ्य सभा के अध्यक्ष श्री किशन मुद्गल ,धर्मस्थल संरक्षण समिति ग्वालियर मीडिया प्रभारी अशोक जैन, समाजसेवी पंडित रामबाबू कटारे उपस्थित थे ।

धर्मस्थल संरक्षण समिति ग्वालियर की ओर से पूर्व मंत्री श्री अनुप मिश्रा ने बताया कि शहर रमटा पूरा मौजे में एक प्राचीन धार्मिक स्थान नूरगंज की शाला के नाम से स्थित है उसी परिसर में श्री रामजानकी मन्दिर है। जो कालांतर में सरयू दास की शाला के नाम से विख्यात हुआ। गुरु शिष्य परम्पराओ के तहत सतत स्थान का विस्तार होता गया है, इसी श्रंखला में सन्त निम्नानुसार है1 श्री श्रद्धेय कैलाशवासी सन्त श्री रत्नदास जी, सन्त श्री प्रेमदास जी, सन्त श्री लक्ष्मीदास जी, सन्त श्री मोहनदास जी, सन्त श्री रामदास जी, ततपश्चात सरयू दास, दयालदास, हीरादास तथा हरिदास। सभी वर्तमान में स्वर्गवासी हो चुके है वर्तमान में हरिदास के शिष्य कमलदास है जो अभी सरयू दास की बगीची थाटीपुर में सेवारत है सन 2011- 12 में सन्त परम्परा के तहत सभी ग्वालियर चम्बल सम्भाग के सन्तो ने मिलकर सर्व सम्मति से इस मठ की महंताई के लिए श्री श्री 1008 बाबा रामदास महाराज दंदरौआ महाराज को उक्त मन्दिर सुपुर्द किया और स्थान का महंत घोषित किया। यह उक्त मठ मन्दिर रामजानकी ट्रस्ट की परंपरा है। प्राचीन काल से ही ग्वालियर रियासत द्वारा रामजानकी मन्दिर से अनेकों ज़मीन मौजा रमटापूरा मौजा गोसुपुर(गांधी रोड़) महलगांव, ग्राम एराया, कछौआ, अकबाई मौजे इत्यादि में मन्दिर हित में लगाई गई जो माफी औक़ाफ़ विभाग में आयुक्त ग्वालियर के अधीन होकर रेकॉर्ड में सम्मिलित है।
पूर्व मंत्री श्री अनूप मिश्रा ने बताया कि ग्वालियर का प्रबुद्ध नागरिक सभी संत महात्माओं को साथ लेकर ग्वालियर चंबल संभाग में ऐतिहासिक स्थलों एवं धार्मिक स्थलों को अतिक्रमण से मुक्त कराने का शीघ्र ही अभियान चलाया जाएगा हिंदू धर्म के किसी भी मंदिर या मठ पर किसी को कब्जा नहीं करने दिया जाएगा ऐसे किसी भी प्रयास का ग्वालियर का प्रबुद्ध नागरिक कड़ा विरोध करेगा,
धर्मस्थल संरक्षण समिति ग्वालियर ने बताया कि महंत सरयुदास के बाद श्री दयाल दस के उपरांत महंत श्री हरिदास एवं अन्य सन्त लोग रहे। सन 1969-70 में श्री हरिदास ने एक लोकन्यास ट्रस्ट का( रामजानकी मन्दिर) का गठन किया। सन 1970 में न्यास के अध्यक्ष वे स्वयं थे व सन्त श्री हरिदास जी उपाध्यक्ष रहे। न्यास के पंजिकृत कार्यालय रमटापूरा में रहा है। गांधी रोड़ की भूमि सरयुदास की बगीची के नाम से जानी जाती है वहा महंत सरयुदास जी भगवान शनि मन्दिर, साधना गुफा, पछि विहार, गौशाला, बगीची एवं सन्तो की समाधि का निर्माण कराया।
धर्म स्थल संरक्षण समिति ग्वालियर ने बताया कि उक्त मन्दिर न्यास का गठन मन्दिर की पूजा अर्चना एवं संरक्षण तथा सम्पत्तियो की सुरक्षा तथा धार्मिक कार्य अनवरत गति से चलते रहे इसी उद्देशय से सन्तो ने उक्त ट्रस्ट के गठन किया था। साधु संत ही मन्दिर के मुखिया होते रहे। सन 2011 12 में सम्पूर्ण सन्त समाज ने एकत्रित होकर श्री दंदरौआ महाराज जी को मन्दिर का महंत घोषित किया एवं मन्दिर की पूजा अर्चना पूर्वत निरन्तर प्रारम्भ रही। वर्तमान में कुछ समय पूर्व श्री रामजानकी मन्दिर न्यास के नियम उद्देश्य एवं परम्पराओ को दरकिनार करते हुए जिला प्रशासन ने नवीन पुनर्गठित ट्रस्ट में जिन लोगो को शामिल किया वह इस योग्य नही है तथा ट्रस्ट के जो बाइलॉज है उसके भी विपरीत है। ट्रस्ट के गठन केवल सन्तो की सहमति से ही किया जा सकता है। इस भूमि ट्रस्ट बगीची पर नव नियुक्त ट्रस्टियो ने मन्दिर निर्माण की घोषणा 14 जनवरी 2021 को भूमि पूजन के साथ करने की है जो पूर्णतः अवैधानिक है। ऐसे सार्वजनिक स्थल को सील करने का प्रयास एवं ताला बन्दी का बगिया परिसर में करने का प्रयास अवैधानिक है।
धर्म स्थल संरक्षण समिति ग्वालियर ने बताया कि नवनिर्मित ट्रस्टीजन में कोई भी व्यक्ति न ही सन्त परम्परा का है न ही इस योग्य है। ज़िला प्रशासन ने ट्रस्ट के पुनर्गठन के विषय मे कोई भी आमजन व परम्परा के के साधु सन्त का निजीतौर पर या समाचार पत्र के माध्यम से किसी भी प्रकार की सूचना नही दी गयी। इस कारण कथित नवीन ट्रस्ट के गठन पूर्णतः अनुचित उद्देश्यों के लिए किया गया है अर्थात इनकी मंशा पर पूरे सन्त समाज को संदेह है जिसे सभी धर्मप्रेमी एवं श्रद्धालु एवं सन्त समाज मे रोष व्याप्त है।
धर्म स्थल संरक्षण समिति ग्वालियर ने कहा कि इसमें हस्तक्षेप कर ट्रस्ट के पुनर्गठन के सम्बंध में कई गयी अवैधानिक कार्यवाही को समाप्त करके बगीची की भूमि, समाधिस्थल, शनी मन्दिर, पछि विहार, आदि को संरक्षण देकर यथावत सन्तो को सौंपे जाने का आदेश देने का कष्ट करें एवं 14 जनवरी को प्रस्तावित भूमि पूजन कार्यक्रम को तत्काल निरस्त करने का आदेश प्रदान करे। अन्यथा महानगर का सन्त समाज , सभी धर्म प्रेमी एवं प्रबुद्ध नागरिक जन होने वाले भूमि पूजन का कड़ा विरोध करेंगे। सभी पत्रकार मित्रों को भूमि संबंधित एवं संत परंपराओं में हुए निर्णय की सत्यापित प्रतिया दी।

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