उत्तराखंड: मिशन 2022 की दिशा तय करेगा साल्ट का सेमीफाइनल।

उत्तराखंड: मिशन 2022 की दिशा तय करेगा साल्ट का सेमीफाइनल।
प्रभारी संपादक उत्तराखंड
साग़र मलिक

सल्ट विधानसभा उपचुनाव में प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं। सल्ट के चुनावी समर को 2022 के विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है। यही कारण है कि राज्य की दो चिर प्रतिद्वंद्वी पार्टी भाजपा और कांग्रेस इस उपचुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंकती दिखाई दे रही हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि सल्ट का चुनाव जनादेश के लिए बेशक कोई महत्व न रखता हो, लेकिन इसका नतीजा आगामी विधानसभा चुनाव में सियासी दल को मनोवैज्ञानिक बढ़त देने का काम जरूर करेगा।2017 के विधानसभा चुनाव में 11 सीटों पर सिमटी कांग्रेस के लिए यह उपचुनाव एक सुनहरे अवसर के तौर पर देखा जा रहा है। चुनाव में उसका जैसा भी प्रदर्शन होगा, 2022 के चुनाव के लिए उसके मनोविज्ञान पर वैसा असर डालेगा।यही कारण है कि कांग्रेस के सभी प्रमुख सियासी दिग्गज पार्टी प्रत्याशी गंगा पंचोली के नामांकन में सल्ट पहुंचे और अगले 15 दिनों तक वे वहीं प्रचार अभियान में जुटने वाले हैं।
सत्तारूढ़ भाजपा के लिए सल्ट का समर नाक का सवाल माना जा रहा है। पार्टी ने इस सीट पर भी सहानुभूति का दांव चला है। भाजपा ने सल्ट के विधायक रहे स्वर्गीय सुरेंद्र सिंह जीना के भाई महेश जीना को उम्मीदवार बनाया है। पार्टी ने यह प्रयोग थराली और पिथौरागढ़ उपचुनाव में भी कर चुकी है।

परिवार के ही सदस्य को उम्मीदवार बनाने का भाजपा का यह प्रयोग कामयाब हो चुका है। लेकिन पार्टी पूरी तरह से सहानुभूति के दांव पर निर्भर नहीं रहना चाहती। इसलिए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को उम्मीदवार का नाम फाइनल करने में काफी सोच-विचार करना पड़ा।

अब चुनावी नतीजा अपने पक्ष में करने के लिए भाजपा ने अपने सारे दिग्गज प्रचार मैदान में उतार दिए हैं। कांग्रेस की तुलना में भाजपा के लिए यह चुनाव ज्यादा प्रतिष्ठा का सवाल बना है। इस चुनाव में भाजपा के प्रदर्शन को उसकी सरकार के चार साल के कामकाज से जोड़कर देखा जाएगा।मुख्यमंत्री बनने के बाद तीरथ सिंह रावत के कार्यकाल का यह पहला उपचुनाव है। इसलिए उपचुनाव उनकी परीक्षा के तौर पर देखा जा रहा है। सियासी जानकारों का मानना है कि सल्ट चुनाव 2022 के विधानसभा का एक तरह से सेमीफाइनल है। इस उपचुनाव की हार और जीत की गूंज 2022 के विधानसभा चुनाव तक सुनाई देगी।
 

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