फिरोजपुर 05 में {कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता}=
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से श्री शिव मंदिर, ताखरांवाली,श्रीगंगानगर में आयोजित भगवान शिव कथा के पंचम दिवस साध्वी शालू भारती जी ने हिमालयराज की शक्ति स्वरूपा पुत्री पार्वती जी का भगवान शिव के संग विवाह प्रसंग प्रस्तुत किया। जो विवाह प्रसंग हमें यह अध्यात्मिक संदेश देता है। माता पार्वती जीवात्मा का प्रतीक है और भगवान शिव साक्षात परब्रह्म परमेश्वर। हम समस्त जीवों का उस परमात्मा के साथ मिलन किस प्रकार से संभव है जैसे नारद जी मां पार्वती के गुरु बन कर के आए उनके दिशा निर्देशन में मां पार्वती तप करके भगवान शिव को वर्क के रूप में प्राप्त करते हैं । ठीक है ऐसे ही हमें भी अपने जीवन में नारद जी जैसे एक ब्रह्मनिष्ठ तत्ववेता सद्गुरु का सानिध्य चाहिए जिनके कृपा हस्ततले हम उस परम परमात्मा ईश्वर का अर्थात शिव का साक्षात्कार कर पाए ।
भगवान शिव के विवाह में नंदी भृंगी समस्त शिवगंण अत्यंत प्रसन्न होकर शिव नाम की मस्ती में झूम उठते हैं लेकिन यह आज हमारे समाज का समाज की विडंबना है कि भगवान शिव के नाम पर हम ईश्वर के उस अमृत नाम को छोड़कर सांसारिक नशों का पान करते हैं। नशे को लेकर जिस समय से सर्वे किया गया कि नशे का कारण क्या है तो पता चला आज दुख से बचने के लिए मानव नशे की ओर अग्रसर होता है हमारे शास्त्र ग्रंथ कहते हैं नशा न शम शांति मयी इति नशा जिसमें क्षण मात्र का भी शांति नहीं है वह नशा है और दूसरा युवाओं के नशे का कारण है असफलता, जिस कारण आज नशे की महामारी युवाओं में बढ़ती चली जा रही है लेकिन आवश्यकता है। असफलता का पूरे जज्बे के साथ डटकर सामना करने की अनेकों देशभक्त हुए जिन्हें अपने जीवन में असफलताएं मिली परंतु अपने उत्साह के कारण भारत देश के आजादी के लिए तत्पर हो पाए आज सर्व श्री आशुतोष महाराज जी समाज के युवाओं को वह सुनातन पुरातन पद्धति देकर के मन से नहीं, आत्मिक रूप से उन्हें जागरूक कर रहे हैं क्योंकि मन की क्षमताएं सीमित होती हैं आत्मा असीम है। आज आवश्यकता आत्मिक रूप से जागरूक होने की है। आत्मिक रूप से जागरूक श्री आशुतोष महाराज जी के दीक्षित युवा शिष्य आज समाज को नशे से मुक्त करने के लिए संकल्प बंद्ध है । आवश्यकता है हम सभी को उस भगवान शिव के नाम का अमृत पान करें क्योंकि केवल ईश्वर के नाम की भक्ति , उसका अमृत है हमारे समस्त दुखों से चिंताओं से हमें उभार सकता है। साध्वी सोनिया भारती और साध्वी दीपाली भारती ने भगवान शिव के सुन्दर भजनों का गायन किया। ग्रामवासियों ने कथा व्यास और सन्त समाज को राजस्थानी पगड़ी पहनाकर उनका अभिनन्दन किया। कथा का समापन मंगल आरती से किया गया।