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नारी उत्थान व सामाजिक न्याय के लिए हमें अपने पूर्वाग्रहों से लड़ना होगा: प्रो. सुभाष चन्द्र।
व्यक्तित्व के निर्माण में महिलाओं का अहम योगदान है: प्रो. कुलदीप सिंह।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग और पंजाबी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में विचार गोष्ठी का आयोजन।
कुरुक्षेत्र, 8 मार्च :- कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग और पंजाबी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जनसंचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी संस्थान की निदेशिका प्रोफेसर बिन्दु शर्मा ने बतौर मुख्यातिथि उपस्थित रही।
डॉ. बिन्दु शर्मा ने अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को बताते हुए कहा कि महिला दिवस की कहानी संघर्षों और आंदोलनों से शुरू हुई थी। आज आधुनिक युग में तकनीकी व अन्य तौर पर इतने विकसित हो चुके है। संविधान में हमें बराबरी का अधिकार दे दिया गया है लेकिन समाज में राजनैतिक, आर्थिक व अन्य सभी क्षेत्रों में गैर-बराबरी देखने को मिलते है। सबसे बड़ी चुनौती लैंगिक असमानता है जो केवल भारतीय समाज में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में कायम है। महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवाया है लेकिन उनकी उपलब्धियों को नजरअंदाज किया गया। बेहतर समाज व संवेदनशील मनुष्य का निर्माण करना जरूरी कार्य है जिसके प्रत्येक नागरिक को आत्मसंघर्ष करना होगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो. सुभाष चन्द्र ने कहा कि नारी उत्थान व सामाजिक न्याय के लिए हमें अपने पूर्वाग्रहों से लड़ना होगा। पूर्वाग्रह हमारे सांस्कृतिक परिवेश का हिस्सा हैं। सभी समाज सुधारकों, संतों व दार्शनिकों ने इन पूर्वग्रहों के खिलाफ ही लड़ाई लड़ी है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए पंजाबी विभाग के प्रोफेसर डॉ. कुलदीप सिंह ने कहा कि महिला और पुरुष गाड़ी के दो पहियों की तरह हैं। दोनों से ही सृष्टि का इतना विकास हुआ है। सामाजिक जीवन व व्यक्ति के व्यक्तित्व के निर्माण में महिलाओं का अहम योगदान है। इस मौके पर पंजाबी विभाग के प्राध्यापक डॉ. वेदपाल, हिन्दी विभाग के प्राध्यापक डॉ.जसबीर सिंह, विकास साल्याण, ब्रजपाल और विद्यार्थी और शोधार्थी शामिल रहे।