नाटक भगत सिंह की वापसी में मण्डी हिमाचल प्रदेश के रंगकर्मियों ने छोड़ी अभिनय की छाप

नाटक भगत सिंह की वापसी में मण्डी हिमाचल प्रदेश के रंगकर्मियों ने छोड़ी अभिनय की छाप।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

नाट्य रंग उत्सव के दूसरे दिन भगत सिंह की वापसी नाटक का हुआ सफल मंचन।
समाज को आईना दिखा गया नाटक भगत सिंह की वापसी।

कुरुक्षेत्र 3 मार्च : हरियाणा कला परिषद और उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज के सौजन्य से कला कीर्ति भवन में आयोजित नाट्य रंग उत्सव के दूसरे दिन हिमाचल सांस्कृतिक शोध संस्थान एवं नाट्य रंगमण्डल मण्डी के कलाकारों द्वारा सागर सरहदी का लिखा और अयाज खान के निर्देशन में नाटक भगत सिंह की वापसी का मंचन किया। इस मौके पर हरियाणा पर्यटन विभाग के अध्यक्ष अरविंद यादव बतौर मुख्यअतिथि पहुंचे, वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता हरियाणा पशुधन बोर्ड के अध्यक्ष धर्मबीर मिर्जापुर ने की। हरियाणा कला परिषद के निदेशक संजय भसीन ने अतिथियों को पुष्पगुच्छ भेंट कर उनका स्वागत किया, साथ ही महाबीर गुड्डू ने पगड़ी पहनाकर अतिथियों का अभिनंदन किया। मंच का संचालन विकास शर्मा द्वारा किया गया। सागर सरहदी के नाटक भगत सिंह की वापसी में नाटककार की कल्पना है कि यदि भगत सिंह आज फिर से जन्म लेकर उसी आत्मा के साथ हमारे सामने आकर खड़े हो जाएं और हमसे पूछे कि जिस आजा़दी को पाने के लिए हमने हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूम लिया था, इस देश के लिए अपनी जान निछावर कर दी थी, क्या यह वही आजाद भारत है। जिसका तसव्वुर हमने किया था क्या यह वही भारत है। जहां अमीर गरीब का भेदभाव नहीं होगा, जहां छुआछूत नहीं होगी, जहां संप्रदायिकता नहीं होगी, क्या यह वही भारत है। तब हमारे पास क्या उत्तर होगा? नाटक में आजादी से पूर्व की अनेक घटनाओं के माध्यम से आजादी दिलाने के लिए किए जा रहे भगत सिंह के प्रयासों को दिखाया। नाटक जब अपनी संपूर्णता को पहुंचता है तो नाटक के अंतिम दृश्य में भगत सिंह दर्शकों को संबोधित करते हुए कहते हैं कि मेरे और तुम्हारे बीच सिर्फ मौत की वादी है। यदि मैं जीवित होता तो तुम्हें एहसास करवाता कि तुम भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, आजाद से भी बढ़कर हो। तुम्हारे अंदर देशभक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी होनी चाहिए। आज यह जिम्मेदारी हम तुम पर डालते हैं क्योंकि भगत सिंह की जरूरत 1931 में ही नहीं, आज भी है। इसलिए राष्ट्र निर्माण के लिए क्रांति की शम्मां को बुझने मत दो। उसे रौशन करो और फिर से सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत का निर्माण करो। नाटक में राहुल भगत, फ्रेंडी, राजगुरु, रोशन, विवेक, नीलेश, ओमकार, नीरज, ध्रुव, तस्लीम अली, देवांग तोमर, सीमा शर्मा, दीप कुमार, शुभम वर्मा, विवेक, नीरज आदि ने अपनी अदाकारी से नाटक को सफल बनाया। अंत में कलाकारों को सम्मानित किया गया।
नाटक काली बर्फ का मंचन।
हस्तशिल्प वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार तथा महिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण केद्र सुडियाकुआं के सहयोग से आयोजित गांधी शिल्प बाजार के चलते 6 मार्च तक चलने वाले नाट्य रंग उत्सव में आज नैनीताल के सुभाष चंद्रा के निर्देशन में नाटक काली बर्फ का मंचन किया जाएगा। जिसमें कश्मीर की समस्याओं पर आधारित कहानी को मंचित करते हुए कलाकार अपनी अभिनय प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे। नाटक का समय सायं 6.30 बजे रहेगा।

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