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मन पर नियंत्रण करने की धोर आवश्यकता है। आपके विचार जैसे होंगे वैसा ही आपका मन भी होगा। दिव्या ज्योति जागृती संस्थान आश्रम में सत्संग के दौरान साध्वी सुहासिनी भारती जी ने सत्संग के दौरान यह वचन कहे

मन पर नियंत्रण करने की धोर आवश्यकता है। आपके विचार जैसे होंगे वैसा ही आपका मन भी होगा। दिव्या ज्योति जागृती संस्थान आश्रम में सत्संग के दौरान साध्वी सुहासिनी भारती जी ने सत्संग के दौरान यह वचन कहे

(पंजाब) फिरोजपुर 06 अप्रैल [कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता]=

हमारा मन बड़ा शक्तिशाली है, अगर हम अपनी इच्छा के मुताबिक इसे काबू करने और लगाम लगाकर रखने की तरकीब हासिल कर ले तो यह रचनात्मक तरीके से काम कर के चमत्कार दिखा सकता है । इसके विपरीत अगर इसे बेलगाम और बेकाबू छोड़ दिया जाए तो यह पूर्ण विनाश का रास्ता भी दिखा सकता है । इसलिए मन पर नियंत्रण करने की घोर आवश्यकता है। यह विचार दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के स्थानीय आश्रम में सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की परम शिष्य साध्वी सुहासिनी भारती जी ने संगत को संबोधित करते हुए दिए। उन्होंने बताया मन विचारों से बनता है विचारों से बना होने के कारण आपके विचार जैसे होंगे, वैसा ही आपका मन भी होगा। मरुभूमि में पलने वाले विचारों की किसम के मुताबिक ही मनुष्य के व्यक्तित्व का निर्माण होता है। हमारे जीवन को ढालने में विचारों की शक्ति बड़ा काम करती है ,क्योंकि हम जो भी काम करते हैं , वह विचारों के द्वारा ही प्रेरित होता है । विचारों की प्रेरणा के बिना हम कोई काम नहीं कर सकते।
उन्होंने बताया कि मन पर नियंत्रण पाने की जरूरत है। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि इसे काबू कैसे किया जाए ? श्रीमद भागवत गीता में कहा गया है कि मन अभ्यास और वैराग्य के द्वारा काबू में किया जा सकता है । लेकिन यह इतना आसान नहीं है। अगर ऐसा होता तो सभी ने इसे काबू में कर लिया होता। इसका एक ही उपाय है ब्रहमज्ञान की साधना पूर्ण सद्गुरु द्वारा सत्य ज्ञान या ब्रह्म ज्ञान की सतत साधना इसके नियंत्रण में फलीभूत होती है। उन्होंने बताया कि हमारे धर्म ग्रंथों में बताया गया है कि ब्रह्मज्ञान की विद्या से ही मन की नियंत्रण में किया जा सकता है। लेकिन ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति की लिए इस पूर्ण सद्गुरु की आवश्यकता है जो hme शास्त्रों के अनुसार ब्रह्म ज्ञान प्रदान कर उस ईश्वर का साक्षात्कार करवा दे तभी मन पर नियंत्रण पाया जा सकता है। अंत में साध्वी कृष्णा भारती जी के द्वारा भजन कीर्तन का गायन किया गया।

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