उत्तराखंड: गांव में पानी के लिए हाहाकार,20 किलोमीटर दूर वाहन से ढोकर ला रहे पानी..

चम्पावत: पेयजल लाइन ध्वस्त होने से नेपाल सीमा से लगे तामली, पोलप और कारी गांव में पेयजल का गंभीर संकट पैदा हो गया है। इससे रोजमर्रा के कार्य तो प्रभावित हो ही रहे हैं, धार्मिक कार्यक्रमों में भी असर पड़ रहा है। धार्मिक आयोजनों को सम्पन करने के लिए लोग 15 से 20 किमी दूर से पिकप में पानी ढो रहे हैं। लोगों ने एक सप्ताह के भीतर पेयजल आपूर्ति सुचारू न करने पर डीएम कार्यालय का घेराव करने की चेतावनी दी है।

जिले के पर्वतीय इलाकों में गर्मी के सीजन में पेयजल संकट से हाहाकार मचता था। लेकिन इस बार सर्दी में पानी के लिए त्राहिमाम मची हुई है। इसका कारण आपदा से पेयजल योजनाओं का क्षतिग्रस्त होना है। अक्टूबर माह के आखिरी दिनों में अतिवृष्टि से आई आपदा के कारण नेपाल सीमा के तामली क्षेत्र की सिमियाउरी-तामली और कारी गांव के लिए बनी सिमियाउरी-बिरगुल-रायल पेयजल योजना ध्वस्त हो गई थी। आपदा के लगभग 25 दिन बीत चुके हैं लेकिन अभी तक योजनाओं की मरम्मत नहीं हो पाई है।

तामली, पोलप, कारी आदि गांवों की चार हजार से अधिक की आबादी पेयजल संकट से जूझ रही है। लोग दूर दराज से पानी ढोने को विवश हैं। यहां तक कि नामकरण और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों के लिए 15 से 20 किमी दूर से पिकप से पानी मंगवा कर काम चलाया जा रहा है। दो दिन पूर्व तामली निवासी मोहन सिंह के घर में नामकरण था, जिन्होंने 17 किमी दूर मंच से पिकप में पानी मंगवाकर कार्यक्रम सम्पन्न किया।
तामली की ग्राम प्रधान भावना जोशी, पोलप की प्रधान सरिता माहरा, पूर्व बीडीसी सदस्य शोभा देवी, सामाजिककार्यकर्ता देवेंद्र जोशी, बचकोट की पूर्व प्रधान उमा देवी, प्रह्लाद सिंह, भुवन जोशी, विपिन आदि ने बताया कि योजना दुरूस्त करने की मांग करने पर जल संस्थान और जल निगम दोनों इसकी जिम्मेदारी एक दूसरे पर डाल रहे हैं। जनता की सुनने वाला कोई नहीं है।

चम्पावत: पेयजल लाइन ध्वस्त होने से नेपाल सीमा से लगे तामली, पोलप और कारी गांव में पेयजल का गंभीर संकट पैदा हो गया है। इससे रोजमर्रा के कार्य तो प्रभावित हो ही रहे हैं, धार्मिक कार्यक्रमों में भी असर पड़ रहा है। धार्मिक आयोजनों को सम्पन करने के लिए लोग 15 से 20 किमी दूर से पिकप में पानी ढो रहे हैं। लोगों ने एक सप्ताह के भीतर पेयजल आपूर्ति सुचारू न करने पर डीएम कार्यालय का घेराव करने की चेतावनी दी है।

जिले के पर्वतीय इलाकों में गर्मी के सीजन में पेयजल संकट से हाहाकार मचता था। लेकिन इस बार सर्दी में पानी के लिए त्राहिमाम मची हुई है। इसका कारण आपदा से पेयजल योजनाओं का क्षतिग्रस्त होना है। अक्टूबर माह के आखिरी दिनों में अतिवृष्टि से आई आपदा के कारण नेपाल सीमा के तामली क्षेत्र की सिमियाउरी-तामली और कारी गांव के लिए बनी सिमियाउरी-बिरगुल-रायल पेयजल योजना ध्वस्त हो गई थी। आपदा के लगभग 25 दिन बीत चुके हैं लेकिन अभी तक योजनाओं की मरम्मत नहीं हो पाई है।

तामली, पोलप, कारी आदि गांवों की चार हजार से अधिक की आबादी पेयजल संकट से जूझ रही है। लोग दूर दराज से पानी ढोने को विवश हैं। यहां तक कि नामकरण और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों के लिए 15 से 20 किमी दूर से पिकप से पानी मंगवा कर काम चलाया जा रहा है। दो दिन पूर्व तामली निवासी मोहन सिंह के घर में नामकरण था, जिन्होंने 17 किमी दूर मंच से पिकप में पानी मंगवाकर कार्यक्रम सम्पन्न किया।
तामली की ग्राम प्रधान भावना जोशी, पोलप की प्रधान सरिता माहरा, पूर्व बीडीसी सदस्य शोभा देवी, सामाजिककार्यकर्ता देवेंद्र जोशी, बचकोट की पूर्व प्रधान उमा देवी, प्रह्लाद सिंह, भुवन जोशी, विपिन आदि ने बताया कि योजना दुरूस्त करने की मांग करने पर जल संस्थान और जल निगम दोनों इसकी जिम्मेदारी एक दूसरे पर डाल रहे हैं। जनता की सुनने वाला कोई नहीं है।

बताया कि एक सप्ताह के भीतर ध्वस्त योजनाएं ठीक नहीं की गई तो जनता जिलाधिकारी कार्यालय का घेराव करेगी। क्षेत्र के लोगों ने गत अक्टूबर माह के पानी के बिलों का भुगतान न करने की भी निर्णय लिया है। ग्रामीणों ने बताया कि आपदा के कारण दर्जनों लोगों के निजी पेयजल लाइनें भी क्षतिग्रस्त हुई हैं, किंतु जल संस्थान इन लाइनों को भी ठीक नहीं कर रहा है।

ईई जल निगम चम्पावत वीके पाल ने बताया कि तामली और कारी क्षेत्र की ध्वस्त पेयजल योजनाओं को ठीक करने का कार्य तेजी से चल रहा है। अगले दो या तीन दिन में मरम्मत का कार्य पूर्ण कर पेयजल की आपूर्ति सुचारु कर दी जाएगी। आपदा के कारण जल निगम की क्षतिग्रस्त अधिकांश योजनाओं की मरम्मत कर आपूर्ति सुचारू की जा चुकी है।

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साग़र मलिक उतराखंड प्रभारी(वी वी न्यूज़)

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