यह लड़ाई यूरोप के सभी स्कूलों में पढ़ाई जाती है पार भारत में नहीं:अशोक बहल

यह लड़ाई यूरोप के सभी स्कूलों में पढ़ाई जाती है पार भारत में नहीं:अशोक बहल

फिरोजपुर 12 सितंबर [कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता]

सारागढ़ी दिवस 12 सितंबर का ऐतिहासिक दिन आज है पर अफसोस की बात है कि
ये लड़ाई यूरोप के सभी स्कूलो मेँ पढाई जाती है पर हमारे देश में इसे कोई जानता तक नहीं यह विचार श्री अशोक बहल सेक्रेटरी इंडियन रेड क्रॉस फिरोजपुर ने व्यक्त किए उन्होंने कहा कि
एक तरफ 12 हजार अबफगानी लुटेरे तो दूसरी तरफ 21 सिख
अगर आप को इसके बारे नहीं पता तो आप अपने इतिहास से बेखबर है
आपने “ग्रीक सपार्टा” और “परसियन” की लड़ाई के बारे मेँ सुना होगा इनके ऊपर “300” जैसी फिल्म भी बनी है पर अगर आप “सारागढ़ी” के बारे मेँ पढोगे तो पता चलेगा इससे महान लड़ाई सिखलैँड मेँ हुई थी बात 1897 की है…
नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर स्टेट मेँ 12 हजार अफगानोँ ने हमला कर दिया वे गुलिस्तान और लोखार्ट के किलोँ पर कब्जा करना चाहते थे इन किलोँ को महाराजा रणजीत सिँघ ने बनवाया था इन किलोँ के पास सारागढी मेँ एक सुरक्षा चौकी थी जंहा पर 36वीँ सिख रेजिमेँट के 21 जवान तैनात थे ये सभी जवान माझा मालवा क्षेत्र फिरोजपुर श्री अमृतसर साहिब जिलों के थे और सभी सिख थे 36 वीँ सिख रेजिमेँट मेँ केवल साबत सूरत (जो केशधारी हों) सिख भर्ती किये जाते थे ईशर सिँह के नेतृत्व मेँ तैनात इन 20 जवानोँ को पहले ही पता चल गया कि 12 हजार अफगानोँ से जिँदा बचना नामुमकिन है फिर भी इन जवानोँ ने लड़ने का फैसला लिया और 12 सितम्बर 1897 को सिखलैँड की धरती पर एक ऐसी लड़ाई हुयी जो दुनिया की पांच महानतम लड़ाइयोँ मेँ शामिल हो गयी एक तरफ १२ हजार अफगान थे तो दूसरी तरफ 21 सिख यंहा बड़ी भीषण लड़ाई हुयी और 1400 अफगान मारे गये और अफगानोँ की भारी तबाही हुयी सिख जवान आखिरी सांस तक लड़े और इन किलोँ को बचा लिया अफगानोँ की हार हुयी जब ये खबर यूरोप पंहुची तो पूरी दुनिया स्तब्ध रह गयी ब्रिटेन की संसद मेँ सभी ने खड़ा होकर इन 21 वीरोँ की बहादुरी को सलाम किया इन सभी को मरणोपरांत इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरिट दिया गया जो आज के परमवीर चक्र के बराबर था भारत के सैन्य इतिहास का ये युद्ध के दौरान सैनिकोँ द्वारा लिया गया सबसे विचित्र अंतिम फैसला था UNESCO ने इस लड़ाई को अपनी 8 महानतम लड़ाइयोँ मेँ शामिल किया इस लड़ाई के आगे स्पार्टन्स की बहादुरी फीकी पड़ गयी पर मुझे दुख होता है कि जो बात हर भारतीय को पता होनी चाहिए उसके बारे मेँ कम लोग ही जानते है ये लड़ाई यूरोप के स्कूलो मेँ पढाई जाती है पर हमारे यहा नहीं क्यों. सेल्यूट है सिख रेजीमेंट के उन जवानों पर जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दे दी लेकिन अपने किले बचा लिए और अफिगानों की हार हुई

श्री अशोक बहल ने पंजाब सरकार और भारत सरकार से आग्रह किया है कि ऐसे शूरवीर बहादर और देशभक्तों के इतिहास को सभी स्कूलों में पढ़ाया जाए ताजो भारतवासियों को इन पर गर्व हो

Read Article

Share Post

VVNEWS वैशवारा

Leave a Reply

Please rate

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

बिहार:विहिप ने किया हिन्दू संस्कार दीक्षा कार्यक्रम

Sun Sep 12 , 2021
विहिप ने किया हिन्दू संस्कार दीक्षा कार्यक्रम संवाददाता विक्रम कुमार विश्व हिन्दू परिषद ने शनिवार को पूर्णिया ज़िले के क़स्बा प्रखंड के राणीसती चौक स्थित आर्य समाज मन्दिर प्रांगण में लगभग 250 सनातन हिंदुओं को सनातन परंपरा का ज्ञान देते हुए सनातन हिन्दू संस्कार दीक्षा कार्यक्रम किया।जिसमें आर्य समाज के […]

You May Like

Breaking News

advertisement