इस बार आजाद निर्वाचित कौंसिलर को नहीं मिलती दिख रही मौज मस्ती
👉-पहले कई आजाद कौंसिलर को मिलती रही मोटी रकम व की जाती सेवा
मोगा : [प्रेम शर्मा ब्यूरो चीफ] :=मोगा का ज्यादातर इतिहास रहा है कि नगर कौंसिल व निगम के चुनाव उपरांत विजयी रहे आजाद कॉउन्सिलर्स या उनके पति को अपने पक्ष में रख प्रधान पद या मेयर पद प्राप्त करने के लिए उन्हें विशेष स्थान या पहाड़ी इलाकों में ले जाकर उनकी खूब सेवा की जाती रही है |यही नहीं कई को तो अपने पक्ष में रखने के लिए मोटी राशि तक दी जाती रही है ,लेकिन इस बार ऐसा होता नहीं दिख रहा। क्यों कि इस बार के चुनाव में चाहे कांग्रेस को बहुमत नहीं मिल सका लेकिन विधायक द्वारा समर्थित रहे आजाद के तौर पर विजयी 6 कौंसिलर कांग्रेस के ही माने जा रहे हैं। जिससे कांग्रेस को अपना मेयर बनाने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी क्योंकि विपक्ष मेयर बनाने की दौड़ से लगभग बाहर दिख रहा है |
गौर रहे की 1993 में हुए नगर कौंसिल प्रधान पद के चुनाव में तत्कालीन कांग्रेस सरकार होने के बावजूद बहुमत न होने के चलते लगभग एक महीना तक तत्कालीन पार्षदों को पहाड़ी क्षेत्र की सैर तहत वहां रख जहां खूब सेवा की। वहीं घर तक सम्पर्क साधने से भी रोका गया। उपरांत जोगिंदर पाल जैन ने नगर कौंसिल चुनाव में आजाद तौर पर अपनी टीम बना चुनाव लड़ विजय हासिल की। लेकिन कांग्रेस सरकार होने के चलते बात न बनती देख जुगाड़ लड़ा कांग्रेस में शामिल हो प्रधानगी पद प्राप्त किया।जिस तहत एक महीना के लगभग अपने सहयोगिओं व आजाद पार्षदों को खूब सैर करवाई ।यही आलम विगत हुए निगम चुनाव दौरान मेयर के चुनाव दौरान हुआ जिसमें कई आजाद कौंसिलर को अपने पक्ष में रखने को मोटी रकम देने समेत अपने पास रख खूब सेवा की गई ।हालांकि उस चुनाव में शिअद भाजपा गठबंधन विजयी होने के बावजूद जोगिंदर पाल जैन तथा जथेदार तोता सिंह में छतीस का आंकड़ा रहा यह अलग बात है कि जैन अपने बेटे अक्षित जैन को मेयर बनाने में सफल रहे |