जयराम विद्यापीठ में प्रारम्भ हुआ तीन दिवसीय पितृ गायत्री जप एवं तर्पण अनुष्ठान

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हरियाणा संपादक , वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

जयराम विद्यापीठ में हो रहा है सवा लाख पितृ गायत्री जप अनुष्ठान।
सर्वकल्याण की भावना से किया जा रहा है सवा लाख पितृ गायत्री मंत्र जप अनुष्ठान।

कुरुक्षेत्र, 4 अक्टूबर : देश के विभिन्न राज्यों में संचालित जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी के सान्निध्य एवं मार्गदर्शन में ब्रह्मसरोवर के तट पर जयराम विद्यापीठ में प. पंकज कौशिक पुजारी, 21 विद्वान ब्राह्मणों एवं ब्रह्मचारियों द्वारा सर्वकल्याण की भावना से सोमवार को सवा लाख गायत्री मंत्र जप एवं तर्पण अनुष्ठान प्रारम्भ किया गया। यह अनुष्ठान 6 अक्टूबर को पूर्णाहुति के साथ पूर्ण होगा। उल्लेखनीय है कि विद्यापीठ में परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी की प्रेरणा से नियमित सर्वकल्याण एवं विश्व शांति के लिए अनेकों अनुष्ठान किए जाते हैं। परम सेवक रोहित कौशिक ने बताया कि विद्यापीठ में यजमान सतीश गोयल, नवीन गोयल, अजय गोयल, संजय गोयल, समर्थ गोयल, राम कुमार गोयल, मांगे राम गोयल एवं अन्य गोयल परिवार के सदस्यों द्वारा पितृ पक्ष में सवा लाख पितृ गायत्री जप व तर्पण अनुष्ठान करवाया जा रहा है। पितृ गायत्री जप अनुष्ठान का महत्व प्राचार्य रणबीर भारद्वाज ने बताया कि गायत्री मंत्र के जाप से ब्रह्मदर्शन संभव है। मानव जाति के कल्याण के लिए भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण जी के द्वारा भी ऋषि मुनियों के साथ गायत्री मंत्र किए गए हैं। सनातन धर्म के मानने वाले श्री गणेश मंत्र के बाद पूजा में गायत्री मंत्र का जप करते ही हैं। श्रीमद्भागवत के दशम स्कन्ध में लिखा है कि श्रीकृष्ण स्नान करने के बाद गायत्री मंत्र का जाप करते थे। महाकवि तुलसीदास ने रामचरित मानस में लिखा है कि विश्वामित्र ने अपने शिष्यों भगवान राम और लक्ष्मण को इस मंत्र का रहस्य विस्तार से समझाया था।
जयराम विद्यापीठ में सवा लाख गायत्री मंत्र जप अनुष्ठान करते हुए यजमान एवं विद्वान ब्राह्मण व ब्रह्मचारी।

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